राजस्थान में भ्रष्टाचार और घूसखोरी में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई लगातार जारी है। सोमवार को एसीबी ने जैसलमेर में बड़ी कार्रवाई करते हुए दो तहसीलदारों को 15 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है, जिससे पूरे जिले में हड़कंप मच गया है। रजिस्ट्री और नामांतरण के मामलों में सुविधा देने के बदले घूस मांगने के आरोप में एसीबी ने जैसलमेर जिले के भणियाणा तहसीलदार सुमित्रा गोदारा और फतेहगढ़ तहसीलदार शिवप्रकाश को गिरफ्तार किया है। फिलहाल दोनों अधिकारियों से पूछताछ और मामले में अग्रिम कार्रवाई जारी है।
सत्यापन में सही पाई गई शिकायत
एसीबी के डीजी डॉ। रविप्रकाश मेहरा ने बताया कि परिवादी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दी थी, जिसमें उसने आरोप लगाया कि जमीन की रजिस्ट्री और नामांतरण में सुविधा देने के बदले दोनों तहसीलदार 60 लाख रुपए की रिश्वत मांगकर परेशान कर रहे थे। एसीबी ने शिकायत का सत्यापन कराया, और यह सही पाई गई। इसके बाद, भणियाणा तहसीलदार सुमित्रा गोदारा और फतेहगढ़ तहसीलदार शिवप्रकाश को परिवादी से 15 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया।
एसीबी की टीम पूछताछ में जुटी
यह कार्रवाई एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुष्पेंद्र सिंह के नेतृत्व में की गई। एसीबी के डीजी डॉ। रविप्रकाश मेहरा ने खुद इस मामले की निगरानी की और उनके निर्देशन में यह बड़ी कार्रवाई की गई। एसीबी की टीम ने दोनों आरोपियों को रिश्वत के साथ गिरफ्तार कर लिया है, और मामले की जांच जारी है।
जयपुर की टीम ने जैसलमेर में कार्रवाई की
दोनों तहसीलदारों के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद एसीबी के उच्चाधिकारियों की मॉनिटरिंग में इस पूरे मामले का सत्यापन करवाया गया। सत्यापन में शिकायत सही पाए जाने पर एसीबी ने ट्रैप की कार्रवाई को अंजाम देने के लिए जाल बिछाया। जयपुर के एएसपी पुष्पेंद्र सिंह के नेतृत्व में टीम ने जैसलमेर में जाल बिछाया और जैसे ही परिवादी से दोनों ने घूस की रकम ली, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
महिला तहसीलदार ने लिए थे रुपए
उन्होंने बताया कि भणियाणा (जैसलमेर) में पदस्थापित तहसीलदार सुमित्रा ने अपने और फतेहगढ़ तहसीलदार शिवप्रकाश के लिए परिवादी से 15 लाख रुपए लिए। परिवादी एमजीए हाइपन ग्रुप के सीईओ व फाउंडर मुकेश सारण उर्फ मोटाराम को फतेहगढ़ में खरीदी गई जमीन की रजिस्ट्री करवाने नामांतरण करवाने और पैमाइश करवाने और भणियाणा में खरीदी जाने वाली जमीन की रजिस्ट्री करवाने, नामांतरण दर्ज करवाने और पैमाइश करवाने के लिए 60 लाख रुपए मांगकर तहसीलदार सुमित्रा, शिवप्रकाश व अन्य परेशान कर रहे थे।