नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारत तब तक सिंधु जल संधि को निलंबित रखेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता।
जायसवाल का यह बयान भारत और पाकिस्तान के बीच हुए एक तात्कालिक युद्धविराम के कुछ दिन बाद आया है, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उपजे सैन्य तनाव की पृष्ठभूमि में हुआ। यह ऑपरेशन दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसी देशों के बीच हाल की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है।
उन्होंने कहा, "सिंधु जल संधि को पारस्परिक सद्भाव और मित्रता की भावना के तहत 1960 में लागू किया गया था, जैसा कि इसकी प्रस्तावना में भी उल्लेख है। लेकिन पाकिस्तान ने पिछले कई दशकों से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर इन मूल सिद्धांतों का उल्लंघन किया है।"
जायसवाल ने आगे बताया, "कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति (CCS) के 23 अप्रैल को लिए गए निर्णय के अनुसार, भारत अब इस संधि को तब तक लागू नहीं करेगा जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन से पूर्ण रूप से और बिना किसी शर्त के पीछे नहीं हटता। साथ ही, जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या में बदलाव और तकनीकी प्रगति के कारण अब जमीनी परिस्थितियाँ पहले जैसी नहीं रहीं।"
गौरतलब है कि भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी, के जवाब में ऐतिहासिक सिंधु जल संधि को पहली बार निलंबित किया है। यह समझौता 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था और इसे अब तक कभी रोका नहीं गया था। इस कदम को राष्ट्रीय सुरक्षा के सर्वोच्च निर्णयकारी निकाय, CCS ने मंजूरी दी।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए भारत की स्थिति को दोहराया और कहा, "पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "आतंक और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते। आतंक और व्यापार एक साथ नहीं हो सकते। भारत ने पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे खूंखार आतंकवादियों को एक ही कार्रवाई में खत्म कर दिया, लेकिन इसके बाद पाकिस्तान ने आतंक के खिलाफ सहयोग की बजाय हताशा में भारत पर हमला कर दिया।"
प्रधानमंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों और ऑपरेशन सिंदूर की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्रवाई भारत की आतंकवाद के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' नीति को दर्शाती है।