भगवान विट्ठल का आशीर्वाद हम सभी पर हमेशा बना रहे, आषाढ़ी एकादशी पर PM मोदी ने दी शुभकामनाएं
By: Rajesh Bhagtani Wed, 17 July 2024 2:27:22
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 'आषाढ़ी एकादशी' के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने इस दिन की शुभकामनाएं देते हुए भगवान विट्ठल के आशीर्वाद की आशा और प्रार्थना व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने कामना की कि ये आशीर्वाद आनंद और समृद्धि से भरे समाज के निर्माण में योगदान दें।
प्रधानमंत्री ने अपने पोस्ट में लिखा, "आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं! भगवान विट्ठल का आशीर्वाद हम सभी पर सदैव बना रहे और हमें आनंद और समृद्धि से भरा समाज बनाने के लिए प्रेरित करे। यह अवसर हम सभी में भक्ति, विनम्रता और करुणा की भावना भी जगाए। यह हमें मेहनत के साथ सबसे गरीब लोगों की सेवा करने के लिए भी प्रेरित करे।"
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस दिन की शुभकामनाएं देने के लिए एक्स का सहारा लिया। उन्होंने कहा, "सभी को आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं! इस मंगल दिवस के अवसर पर सभी वारकरियों, भक्तों को शुभकामनाएं, जो विठुमौली की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। श्री विट्ठल और रखुमाई हम सभी को सुख, समृद्धि और प्रगति का आशीर्वाद दें।"
इस दिन मुंबई के वडाला में विट्ठल मंदिर में भी भक्तों की भीड़ उमड़ी। उत्तर प्रदेश के लोगों ने इस अवसर पर प्रयागराज में संगम में पवित्र डुबकी लगाकर अपनी प्रार्थना की।
Greetings on Ashadhi Ekadashi! May the blessings of Bhagwan Vitthal always remain upon us and inspire us to build a society filled with joy and prosperity. May this occasion also inspire devotion, humility and compassion in us all. May it also motivate us to serve the poorest of…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 17, 2024
आषाढ़ी एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं के बीच अत्यधिक धार्मिक महत्व रखने वाली सबसे शुभ एकादशी में से एक मानी जाती है। यह पवित्र दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है, और ऐसा माना जाता है कि इस दिन, वे दूध के ब्रह्मांडीय सागर, जिसे क्षीर सागर के नाम से जाना जाता है, में गहरी नींद (योग निद्रा) में चले जाते हैं। हिंदू परंपरा के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीने तक दिव्य निद्रा की इस अवस्था में रहते हैं, प्रबोधिनी एकादशी तक, जो चातुर्मास के अंत का प्रतीक है। इन चार महीनों के दौरान, भक्त विभिन्न अनुष्ठानों और प्रथाओं का पालन करते हैं, जो आध्यात्मिक चिंतन और तपस्या की अवधि को दर्शाते हैं। इस प्रकार आषाढ़ी एकादशी हिंदू कैलेंडर में आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण समय की शुरुआत का प्रतीक है, जो ईश्वर के साथ गहरे संबंध को बढ़ावा देती है।