महाकुंभ में 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मालाओं से सजे 12 ज्योतिर्लिंग, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

By: Sandeep Gupta Mon, 20 Jan 2025 10:39:30

महाकुंभ में 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मालाओं से सजे 12 ज्योतिर्लिंग, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

शिव नगरी प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मालाओं से बने 12 ज्योतिर्लिंग श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। महाकुंभ के सेक्टर 6 में बने हर ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई 11 फीट, चौड़ाई 9 फीट और मोटाई 7 फीट है, और इसके चारों ओर रुद्राक्ष की मालाएं लिपटी हुई हैं। ये मालाएं 10,000 गांवों में घूमकर और मांगकर एकत्र की गई हैं।

37 साल से रुद्राक्ष से शिवलिंग बनाकर पूजा कर रहे हैं बाबा

खुले आसमान के नीचे बने इन ज्योतिर्लिंगों के बारे में मौनी बाबा ने न्यूज एजेंसी PTI से बात करते हुए कहा, 'आतंकवाद को खत्म करने और बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा के लिए लोहे का शिवलिंग बनाया गया था और फिर उस पर रुद्राक्ष की माला रखी गई।' उन्होंने यह भी बताया, 'मैंने सालों पहले रुद्राक्ष से ज्योतिर्लिंग की स्थापना का संकल्प लिया था। पिछले 37 सालों से मैं रुद्राक्ष से शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा कर रहा हूं। इन ज्योतिर्लिंगों में सफेद, काले और लाल रुद्राक्ष के साथ-साथ एक मुखी से लेकर 26 मुखी तक के रुद्राक्ष का उपयोग किया जाता है।'

दक्षिण और उत्तर की दिशा में स्थित छह-छह शिवलिंग

मौनी बाबा ने बताया कि पूरी तरह से रुद्राक्ष से बनी यह शिव नगरी दुनिया की एक अनोखी नगरी है, जहां छह शिवलिंग दक्षिण की दिशा में और छह शिवलिंग उत्तर की दिशा में उन्मुख हैं। उन्होंने यह भी बताया कि महाकाल शिवलिंग दुनिया में एकमात्र दक्षिण मुखी शिवलिंग है, जो विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। बाबा ने कहा कि रुद्राक्ष एक दिव्य मूर्ति की तरह है, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और इसके बिना रुद्राक्ष का विधिपूर्वक धारण संभव नहीं होता। प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही रुद्राक्ष से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार और उनका महत्व


बाबा ने बताया कि एक मुखी और दो मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ होते हैं, जबकि तीन मुखी सफेद रुद्राक्ष कभी-कभी ही मिलते हैं। उन्होंने कहा कि चार मुखी रुद्राक्ष पुरुषार्थ से जुड़ा होता है, और यह विशेष रूप से शुभ माना जाता है। पांच और छह मुखी रुद्राक्ष गृहस्थों के लिए उपयुक्त होते हैं, जबकि सात मुखी रुद्राक्ष विद्यार्थियों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। आठ और नौ मुखी रुद्राक्ष सिद्ध होने पर देवी लक्ष्मी घर में स्थायी रूप से निवास करती हैं और कभी भी घर से बाहर नहीं जातीं। दस और ग्यारह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के करियर में सफलता और तरक्की का प्रतीक माने जाते हैं।

रुद्राक्ष केवल किसी के द्वारा दिए जाने पर ही पहनें


मौनी बाबा ने जोर देकर कहा कि रुद्राक्ष को खरीदकर पहनना गलत है, बल्कि यह केवल तभी धारण करना चाहिए जब किसी अन्य व्यक्ति द्वारा इसे दिया जाए। उन्होंने आगे बताया कि शिव नगरी में आने वाले श्रद्धालुओं को रुद्राक्ष के बारे में सही जानकारी प्रदान की जा रही है और इसके बारे में फैली हुई भ्रांतियों को दूर किया जा रहा है। महाकुंभ नगर के सेक्टर 6 में स्थित बजरंग मार्ग पर नेत्र कुंभ, दिव्य प्रेम सेवा मिशन और स्वामीनारायण अक्षरधाम द्वारा आयोजित शिविर श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं, जहां रुद्राक्ष के महत्व को विस्तार से बताया जा रहा है।

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