मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने बच्चों को परेशान करने के आरोपी दंपति के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर लगाई रोक

By: Rajesh Bhagtani Thu, 01 Aug 2024 7:54:41

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने बच्चों को परेशान करने के आरोपी दंपति के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर लगाई रोक

भोपाल। इंदौर पुलिस ने 2021 में एक दंपति पर अपने दो बच्चों को कथित तौर पर परेशान करने और उन्हें टेलीविजन देखने और सेल-फोन का उपयोग करने की अनुमति नहीं देने का मामला दर्ज किया था, उन्हें लगभग तीन साल बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से अंतरिम राहत मिली है।

न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की अध्यक्षता वाली इंदौर स्थित मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अजय चौहान और उनकी पत्नी सीमा चौहान (इंदौर निवासी) द्वारा अंतरिम राहत के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी।

दंपत्ति के अधिवक्ता धर्मेंद्र चौधरी (पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी) के अनुसार, दंपत्ति के दो बच्चों - 21 वर्षीय बेटी और 8 वर्षीय बेटे - ने अक्टूबर 2021 में इंदौर के चंदन नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उनके माता-पिता पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।

चौधरी ने बताया, "दोनों बच्चों ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उनके माता-पिता अजय और सीमा चौहान ने उन्हें पीटा, उन्हें बंद कर दिया और उन्हें खाने से भी वंचित रखा। माता-पिता पर खास तौर पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दोनों बच्चों को टीवी देखने और सेल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी। शिकायत में कुछ पारिवारिक विवादों का भी जिक्र किया गया है।"

शिकायत के आधार पर चंदन नगर पुलिस ने आईपीसी की धारा 294, 342, 323 और 506 (अश्लीलता, जानबूझकर चोट पहुंचाना, गलत तरीके से बंधक बनाना और आपराधिक धमकी) के अलावा किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 और 82 के तहत प्राथमिकी दर्ज की।

इसके बाद पुलिस ने मामले को लेकर कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी। मामले की सुनवाई इंदौर जिला कोर्ट में चल रही थी।

दोनों बच्चे अपनी मौसी (पिता की बहन) के साथ रह रहे हैं, जिनका अपने भाई (भाई-बहनों के पिता) के साथ कोविड-19 की दूसरी लहर के लॉकडाउन के बाद से कुछ पारिवारिक विवाद चल रहा है।

रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी से हाईकोर्ट के वकील बने इस व्यक्ति ने कहा, "अपने बच्चों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही दंपत्ति गंभीर मानसिक आघात में जी रहे हैं और हाल ही में वे मुझसे मिले, जिसके बाद मैंने एमपी हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने हमारी दलीलें स्वीकार करते हुए आदेश दिया है कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए।"

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