आईफोन हैकिंग के विपक्ष के दावों को सरकार ने किया खारिज, कहा आरोपों की जांच के दिए आदेश

By: Rajesh Bhagtani Tue, 31 Oct 2023 4:52:58

आईफोन हैकिंग के विपक्ष के दावों को सरकार ने किया खारिज, कहा आरोपों की जांच के दिए आदेश

नई दिल्ली। एपल आईफोन हैकिंग के विपक्ष के दावों को केंद्र सरकार ने मंगलवार (31 अक्टूबर) को सिरे से खारिज कर दिया। केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विन वैष्णव ने साथ ही कहा कि आरोपों की जांच के लिए आदेश दिए गए हैं।

सरकार ने विपक्षी सांसदों के इस दावे के बाद जांच के आदेश दिए हैं कि उन्हें राज्य प्रायोजित हमलावरों द्वारा उनके आईफोन से जानकारी चुराने के प्रयासों की चेतावनी मिली है। मंगलवार को विपक्ष के कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि उन्हें Apple की तरफ से एक संदेश मिला है जिसमें उन्हें स्टेट स्पॉन्सर्ड हैकर्स के खतरे से चेताया गया है। जिसके बाद एप्पल ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि राज्य प्रायोजित खतरे को लेकर हम किसी तरह की जानकारी साझा नहीं करते हैं।

वहीं, आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने X (ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि सरकार सभी नागरिकों की गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा करने की अपनी भूमिका को बहुत गंभीरता से लेती है और इन नॉटिफिकेशन की तह तक जाने के लिए जांच करेगी। मंत्री ने अपने पोस्ट में कहा, “ऐसी जानकारी और अटकलों के बीच हमने एप्पल से राज्य-प्रायोजित हमलों पर वास्तविक, सटीक जानकारी के साथ जांच में शामिल होने के लिए भी कहा है।”

अश्विन वैष्णव ने कहा कि कुछ साथियों ने Apple अलर्ट के बारे में संदेश दिए हैं, ऐसे में हम मामले की तह तक जाएंगे। उन्होंने विपक्ष के आरोपों पर कहा, कुछ हमारे आलोचक हैं जो झूठे आरोप हमेशा लगाते रहते हैं। ये देश की प्रगति नहीं चाहते। एपल ने 150 देशों में एडवाइजरी जारी की है। एपल ने अनुमान के आधार पर मैसेज भेजा है। एपल ने अपना स्पष्टीकरण जारी कर दिया है।

एक्स पर सिलसिलेवार किए गए पोस्ट्स में केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हम एप्पल से प्राप्त नॉटिफिकेशन के बारे में कुछ सांसदों के साथ-साथ अन्य लोगों के मीडिया में देखे गए बयानों से चिंतित हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उन्हें प्राप्त अधिसूचना में उनके उपकरणों पर ‘राज्य-प्रायोजित हमलों’ का उल्लेख है।” मंत्री ने आगे लिखा, “इस मुद्दे पर Apple द्वारा दी गई जानकारी अस्पष्ट लगती है। Apple का कहना है कि ये नॉटिफिकेशन शायद उन सूचनाओं पर आधारित हैं जो ‘अधूरी या अपूर्ण’ हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि कुछ Apple खतरे की सूचनाएं गलत अलार्म या कुछ हमलों का पता नहीं चल पाती हैं।

प्रियंका गांधी का किया जिक्र

वैष्णव ने कहा कि इनकी (विपक्षी दलों) आदत है कि जब भी कोई अहम मुद्दा नहीं होता तो कहते हैं कि निगरानी हुई है। इन्होंने ये आरोप कुछ साल पहले भी लगाने की कोशिश की थी। इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई, लेकिन कुछ नहीं निकला। प्रियंका गांधी ने भी दावा किया था कि उनके दो बच्चों का फोन हैक हुआ था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।''

कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शशि थरूर, शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, तृणमूल कांग्रेस (TMC) की महुआ मोइत्रा और आम आदमी पार्टी (आप) के राघव चड्ढा समेत विपक्ष के कई नेताओं ने मंगलवार (31 अक्टूबर) को दावा किया कि उन्हें एपल से एक चेतावनी मिली है।

इसी के साथ विपक्षी नेताओं ने सरकार पर जासूसी के आरोप लगाए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि जब भी अडानी से जुड़ा मामला उठाया जाता है तो एजेंसियों को जासूसी में लगा दिया जाता है। उन्होंने कहा, ''नरेंद्र मोदी की आत्मा अडानी में है, तोता कहीं बैठा है, राजा कहीं और बैठा हुआ है। हकीकत यह है कि सत्ता अडानी जी के हाथ में हैं।''

एप्पल का दावा- Apple ID एन्क्रिप्टेड

अश्विनी वैष्णव ने लिखा, “एप्पल ने यह भी दावा किया है कि Apple ID उपकरणों पर सुरक्षित रूप से एन्क्रिप्टेड हैं, जिससे उपयोगकर्ता की स्पष्ट अनुमति के बिना उन तक पहुंचना या पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाता है। यह एन्क्रिप्शन उपयोगकर्ता की एप्पल आईडी की सुरक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि यह निजी और संरक्षित रहे।”

मंत्री ने लिखा कि भारत सरकार सभी नागरिकों की गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा करने की अपनी भूमिका को बहुत गंभीरता से लेती है और इन अधिसूचनाओं की तह तक जाने के लिए जांच करेगी। ऐसी जानकारी और अटकलों के बीच में हमने Apple से राज्य प्रायोजित हमलों पर वास्तविक और सटीक जानकारी के साथ जांच में शामिल होने के लिए भी कहा है।

एप्पल ने कहा

वहीं, दूसरी ओर आईफोन निर्माता एप्पल इंक ने मंगलवार को कहा कि वह विपक्षी दलों के कुछ सांसदों को भेजे गए चेतावनी संदेश को किसी विशिष्ट सरकार-प्रायोजित हमलावरों से नहीं जोड़ती और वह इस बारे में जानकारी नहीं दे सकती है कि ऐसी चेतावनियों का कारण क्या है। एप्पल ने एक बयान में कहा कि यह संभव है कि कुछ खतरे की सूचनाएं गलत चेतावनी हो सकती हैं और कुछ हमलों का पता नहीं चल सकता।

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