अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर ने चीनी निर्यातकों को गहरे संकट में डाल दिया है। नई अमेरिकी टैरिफ की मार से बचने के लिए कई चीनी निर्यातक अब समुद्री यात्रा के दौरान ही अपने माल को छोड़ रहे हैं और शिपिंग कंपनियों को कंटेनर सरेंडर कर रहे हैं। उद्योग विशेषज्ञ इस स्थिति को "लॉन्ग मार्च की तैयारी" कह रहे हैं – एक ऐसी स्थिति जहां कंपनियों को लंबी और कठिन आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है।
डेली शिपमेंट में आई भारी गिरावट
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की एक सूचीबद्ध निर्यात कंपनी के कर्मचारी ने बताया कि अमेरिका के नए टैरिफ लागू होने के बाद उनकी रोज़ की शिपमेंट 40-50 कंटेनरों से गिरकर महज 3-6 कंटेनरों तक सीमित रह गई है। अमेरिका द्वारा लगाए गए 104% के अतिरिक्त टैरिफ से कुल टैरिफ दर अब 115% तक पहुंच गई है, जिसने बीजिंग को नाराज़ कर दिया है और वैश्विक बाजारों में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
ऑर्डर कैंसिल, शिपिंग प्लान बंद
कंपनी के कर्मचारी ने यह भी बताया कि फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया के लिए शिपिंग प्लान फिलहाल रोक दिए गए हैं, और लगभग सभी फैक्ट्रियों के ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं। जो माल समुद्र में पहले से जा चुका है, उसके लिए अब नई कीमत तय की जा रही है। एक ग्राहक ने यहां तक कहा कि वह समुद्र में भेजे गए माल को छोड़ देगा, क्योंकि टैरिफ के बाद उसे कोई खरीदार नहीं मिलेगा।
"हर कंटेनर घाटे में जा रहा है"
एक प्रमुख निर्यात कंपनी के कर्मचारी ने बताया, "अब हर कंटेनर पर इतना नुकसान हो रहा है, जितना पहले दो कंटेनरों से मुनाफा होता था। ऐसे में यह काम कौन करेगा?" इस नुकसान से बचने के लिए अब कई निर्यातक अमेरिका की जगह यूरोप और जापान जैसे नए बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं।
अमेरिकी खरीदार भी पीछे हट रहे हैं
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड असंतुलन पहले से ही गहरा था — 2023 में चीन ने अमेरिका को 439 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया, जबकि बदले में अमेरिका ने केवल 144 अरब डॉलर का सामान चीन को भेजा। लेकिन अब अमेरिका में महंगाई और टैरिफ के बढ़ने की आशंका के कारण अमेरिकी खरीदार पीछे हटने लगे हैं। कुछ मैन्युफैक्चरर्स के मुताबिक, "हर दिन करीब 300 कंटेनरों के ऑर्डर रद्द हो रहे हैं।"
फैक्ट्रियों में कटौती, नौकरी पर संकट
नए टैरिफ और अनिश्चितता के माहौल ने चीन की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को भी झकझोर दिया है। उत्पादन कम किया जा रहा है, कर्मचारियों की शिफ्टें घटा दी गई हैं और कई फैक्ट्रियों में ऑपरेशन्स सीमित किए जा रहे हैं। जिस कंपनी के कर्मचारी ने जानकारी दी, उसकी अमेरिकी शाखा ने फ्रंटलाइन कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है। डिमांड में भारी गिरावट के चलते अब स्टाफ घटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।