2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन और भारत सहित विश्व के 180 से अधिक देशों पर पारस्परिक टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की घोषणा की। इस फैसले के बाद वैश्विक बाजारों में हलचल मच गई और आर्थिक अस्थिरता की आशंका गहराने लगी। ट्रंप के इस कदम से चीन खासा नाराज हुआ और उसने अमेरिका से आने वाले सामानों पर जवाबी कार्रवाई के तहत 34 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया। इसके जवाब में ट्रंप ने चीन को 50 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की चेतावनी दे दी। इस टैरिफ टकराव ने दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं – अमेरिका और चीन – के बीच तनाव बढ़ा दिया है, जिससे वैश्विक मंदी की संभावना को बल मिला है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वह अमेरिकी दबाव के आगे झुकेगा नहीं। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि टैरिफ बढ़ाना अमेरिका की 'ब्लैकमेलिंग रणनीति' को दर्शाता है और यदि अमेरिका हमें अपनी शर्तों पर चलाने का प्रयास करता है, तो चीन अंत तक इसका प्रतिरोध करेगा।
चीन ने दी चेतावनी: अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाया तो उठाएंगे जवाबी कदम
चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर अमेरिका ने टैरिफ दरों में और इजाफा किया, तो चीन भी अपने हितों की रक्षा के लिए जवाबी कदम उठाएगा। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन ट्रेड वॉर (व्यापार युद्ध) में किसी को भी जीत नहीं मिलती। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि चीन किसी भी प्रकार के दबाव के आगे नहीं झुकेगा।
या है पूरा मामला?
2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इससे पहले भी अमेरिका 20% टैरिफ लगा चुका है। इस तरह कुल मिलाकर अब तक अमेरिका ने चीन पर 54% तक टैरिफ थोप दिए हैं। ट्रंप के इस एलान के महज 48 घंटे बाद चीन ने करारा जवाब दिया और अमेरिकी वस्तुओं पर 34% जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की। इस प्रतिक्रिया से बौखलाए ट्रंप ने सोमवार को चेतावनी दी कि यदि चीन मंगलवार तक अपना निर्णय वापस नहीं लेता, तो इसी सप्ताह वह चीनी आयात पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएंगे। ट्रंप ने यह भी कहा कि चीन के साथ होने वाली सभी बैठकों को रद्द कर दिया गया है।