केन्द्र ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को गैरकानूनी संगठन घोषित किया, जानिये कौन है मसरत आलम
By: Rajesh Bhagtani Wed, 27 Dec 2023 10:49:01
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को घोषणा की कि सरकार ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को कड़े यूएपीए कानून के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया है। एक्स पर एक पोस्ट में गृह मंत्री ने कहा, "'मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट)' या एमएलजेके-एमए को यूएपीए के तहत एक 'गैरकानूनी संघ' घोषित किया जाता है।"
शाह ने कहा, "यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं।"
मंत्री ने घोषणा की, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का संदेश स्पष्ट है कि राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून का सामना करना पड़ेगा।"
The Muslim League Jammu Kashmir (Masarat Alam faction)’/MLJK-MA is declared as an Unlawful Association under UAPA.
— Amit Shah (@AmitShah) December 27, 2023
This organization and its members are involved in anti-national and secessionist activities in J&K supporting terrorist activities and inciting people to…
कौन हैं मसरत आलम?
मसरत आलम भट्ट, जो 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं, कश्मीरी कट्टरपंथी अलगाववादी समूह ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) के अध्यक्ष हैं। इस पद पर उनकी नियुक्ति 2021 में हुई थी। 50 वर्षीय मसरत आलम पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आतंकी फंडिंग मामले में मामला दर्ज किया है। 2010 में कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत मामला दर्ज होने के कारण वह लगातार गिरफ्तारी में हैं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आलम के खिलाफ 27 FIR दर्ज हैं। उनके खिलाफ 36 बार PSA के तहत मामला दर्ज किया गया है। मार्च 2015 में, मसरत आलम को रिहा कर दिया गया था, जिससे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के खिलाफ विरोध शुरू हो गया, जो उस समय भारतीय जनता पार्टी के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल थी।
श्रीनगर में तब सैयद अली शाह गिलानी के स्वागत के लिए एक रैली में कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के बाद तत्कालीन मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार ने मसरत को 'देशद्रोह' और 'राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने' के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया था। इससे पहले मसरत आलम ने 2010 में कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 120 से अधिक कश्मीरी युवा मारे गए थे।