देश में एक तरफ कोरोना संक्रमण कम हो रह है वही दूसरी तरफ ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस बीमारी अपने पैर पसार रही है। यह बीमारी देश के 26 राज्यों तक में फैल चुकी है और मौजूदा समय में इसके लगभग 20,000 मरीज अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे है। अंडमान और निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, दादरा नागर हवेली, लद्दाख, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और नगालैंड को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में ब्लैक फंगस के मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। एक तरफ ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ रहे है वहीं, इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की कमी है। इसकी इतनी कमी है कि कुल मांग के 10% के बराबर भी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने सोमवार को जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों को एम्फोटेरिसिन-बी की अतिरिक्त 30,100 शीशियां या वायल आवंटित की हैं। एम्फोटेरिसिन-बी का इस्तेमाल म्यूकोर्मिकोसिस के इलाज में किया जाता है। इस बीमारी को ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है जो नाक, आंख, साइनस और कई बार मस्तिष्क को बुरी तरह प्रभावित करती है।
गौड़ा ने ट्विटर पर लिखा, 'सभी राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों और केंद्रीय संस्थानों को आज एम्फोटेरिसिन-बी की अतिरिक्त 30,100 शीशियां आवंटित की गईं।'
किस राज्य को मिली कितनी शीशियां
राज्य - शीशियां
महाराष्ट्र - 5,900
गुजरात - 5,630
आंध्र प्रदेश - 1,600
मध्य प्रदेश - 1,920
तेलंगाना - 1,200
उत्तर प्रदेश - 1,710
राजस्थान - 3,670
कर्नाटक - 1,930
हरियाणा - 1,200
पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों को एम्फोटेरिसिन-बी दवा की 29,250 अतिरिक्त शीशियां आवंटित की थीं। वहीं देश में अभी 1 लाख के आसपास एम्फोटेरिसिन-बी की उत्पादन क्षमता है।
बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल के डॉ रघुरात हेगड़े ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी है कि ब्लैक फंगस से पीडि़त मरीजों की जान बचाने के लिए ऑपरेशन करना पड़ रहा है, लेकिन फिर भी उनकी जान नहीं बच पा रहे है। वे अब तक कई मरीजों की आंख निकाल चुके हैं। कुछ मरीज शुरुआती लक्षण दिखने के बाद अस्पताल में भर्ती होते हैं। लेकिन समय पर दवा और इंजेक्शन नहीं मिलने पर उनकी जान चली जाती है।