इंसानी कल्पनाओं से परे है पहलगाम का प्राकृतिक सौंदर्य, फिल्म निर्माताओं की पहली पसन्द
By: Geeta Fri, 12 May 2023 10:51:24
पहलगाम भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के अनन्तनाग जिले में स्थित एक नगर और अधिसूचित क्षेत्र है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है और अनंतनाग से 45 किमी दूर लिद्दर नदी के किनारे बसा हुआ है। पहलगाम एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल और पर्वतीय स्थल है। साथ ही अमरनाथ यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है। विश्वभर से हजारों पर्यटक प्रति वर्ष यहाँ आते हैं।
पहलगाम अपने शंकुधारी वनों के लिए प्रसिद्ध है। यह श्रीनगर से 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और घने जंगलों, खूबसूरत झीलों और फूलों के घास के मैदानों से घिरा हुआ है। यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय जून से अक्टूबर, दिसम्बर और जनवरी बर्फ के लिए है। यहाँ से बेताब और अरु घाटियों की यात्रा, घुड़सवारी, कैनोइंग, इत्यादि करे जा सकते हैं।
पहलगाम वैसे तो अमरनाथ यात्रा का बेसकैंप होने के कारण ज्यादा प्रसिद्ध है, लेकिन यदि आप छुट्टियां मनाने यहां जाना चाहते हैं, तो भी यह एक आदर्श स्थान है। समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां मौसम हमेशा ठंडा बना रहता है। यहाँ आप शहर की भीड़ से दूर प्रकृति के बीच होते हैं। आप चाहें तो लिद्दर नदी के किनारे बैठे-बैठे अपना पूरा दिन गुजार सकते हैं या चाहें तो राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, ट्रैकिंग जैसे साहसिक कार्य भी कर सकते हैं।
पहलगाम श्रीनगर से 95 किमी दूर है और रास्ता अनंतनाग होते हुए जाता है। अनंतनाग से पहलगाम तक लिद्दर नदी के साथ-साथ जाते हैं। लिद्दर नदी शेषनाग झील से निकलती है और चंदनवाड़ी, पहलगाम होते हुए अनंतनाग के पास झेलम नदी में मिल जाती है। इसी लिद्दर नदी में राफ्टिंग होती है, जो चारों तरफ ऊंचे पहाड़ों और घने जंगलों से होकर जाती है।
अगर आप पहलगाम जा रहे हैं, तो कम से कम 2 दिन तो रुकना ही चाहिए। पहला दिन सफर की थकान उतारने के लिए और दूसरा दिन आसपास घूमने के लिए। पहलगाम के आसपास एक से बढक़र एक खूबसरत जगहें हैं, जिनमें आडू वैली, बेताब वैली, चंदनवाड़ी और बैसारन प्रमुख हैं।
आडू वैली
आडू वैली पहलगाम से 12 किमी दूर है और समुद्र तल से 2400 मीटर ऊपर है। यहां जाने के लिए शेयर टैक्सी और निजी टैक्सी आसानी से मिल जाती है। आडू वैली का सौंदर्य देखते ही बनता है। यहां चारों तरफ हिमाच्छादित पर्वत और घने जंगल हैं। यहां आप पैराग्लाइडिंग भी कर सकते हैं। यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं, तो कोलाहोई बेसकैंप तक जा सकते हैं और तारसर व मारसर झीलों का ट्रैक भी कर सकते हैं। ट्रैकिंग का सारा साजोसामान और गाइड-पॉर्टर आडू में आराम से मिल जाते हैं।
बैसारन घाटी
बैसारन घाटी, कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूर, एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है जिसे इसकी सुंदर भव्यता के कारण मिनी-स्विट्जरलैंड करार दिया गया है। यह बर्फ से ढके पहाड़ों और घने देवदार के जंगलों से घिरे एक पहाड़ की चोटी पर एक हरा-भरा घास का मैदान है। बैसारन जाने का इष्टतम समय इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार का अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं। यदि आप बर्फ का अनुभव करना चाहते हैं तो जनवरी से मार्च तक का समय घूमने का सबसे अच्छा समय है। पत्ते और सुंदर मौसम की सराहना करने के लिए अप्रैल और जून के दौरान वहां जाएं।
चंदनवाड़ी
पहलगाम से 15 किमी दूर चंदनवाड़ी है। चंदनवाड़ी के ही रास्ते में बेताब वैली भी स्थित है, जहाँ सनी देओल अमृता सिंह अभिनीत बेताब फिल्म की शूटिंग हुई थी। ये दोनों ही स्थान अत्यधिक खूबसूरत हैं और यहाँ लिद्दर नदी का अनछुआ सौंदर्य देखा जा सकता है। इनके अलावा बैसारन भी अच्छी जगह है, जहाँ पैदल जाया जाता है। यदि आप पैदल नहीं चलना चाहते तो खच्चरों से भी जा सकते हैं। पहलगाम से बैसारन जाने के लिए आसानी से खच्चर मिल जाते हैं।
वैली ऑफ शेफर्ड
पहलगाम को वैली ऑफ शेफर्ड भी कहा जाता है। यहाँ से आगे ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर स्थित झीलों के किनारे गुज्जर समुदाय अपनी भेड़-बकरियों के साथ रहता है। ये लोग अप्रैल-मई में ऊपर चले जाते हैं और अक्टूबर में नीचे लौटते हैं। भेड़ों से इन्हें मिलती है अच्छी गुणवत्ता की पश्मीना ऊन, जिसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। पश्मीना ऊन के बने कपड़े अत्यधिक नरम व हल्के होते हैं और खूब गर्म भी होते हैं।
अमरनाथ यात्रा
हर साल जुलाई और अगस्त के महीनों में अमरनाथ जी की यात्रा आयोजित होती है। यह यात्रा दो मार्गों से होती है- पहलगाम और बालटाल। पहलगाम वाला मार्ग पौराणिक है और सबसे ज्यादा लोकप्रिय भी है। इस मार्ग से अमरनाथ जी तक पैदल जाने में दो से तीन दिन तक लग जाते हैं। रास्ते में रात्रि विश्राम शेषनाग और पंचतरणी जैसे रमणीक स्थानों पर होता है।
कोलाहोई पीक
कोलाहोई पीक (स्थानीय रूप से गशे-ब्रेर कहा जाता है जिसका अर्थ है प्रकाश की देवी) अनंतनाग जिले, जम्मू और कश्मीर, भारत में स्थित 17,799 फीट (5,425 मीटर) की ऊँचाई वाला एक पर्वत है। पहाड़ कश्मीर डिवीजन में सबसे ऊंचा पर्वत है। कोलाहोई पीक अरु घाटी के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है और गंदेरबल जिले के सोनमर्ग के आसपास के क्षेत्र में स्थित है। कोलाहोई पीक ग्रेट हिमालयन रेंज का हिस्सा है और पहलगाम के पास अरु से 21 किमी उत्तर में स्थित है। इसके उत्तर में सिंध नदी बहती है, जबकि लिद्दर नदी पहाड़ पर स्थित ग्लेशियर से निकलती है और दक्षिण की ओर बहती है।
कोलाहोई ग्लेशियर से निकली कोलाहोई चोटी एक पिरामिड के आकार की चोटी है जिसके नीचे बर्फ के झरने और बर्फ के मैदान हैं। चोटी का चट्टान गठन एरीट्स और रिज के साथ असाधारण रूप से स्थिर है। 1912 में डॉ. अर्नेस्ट नेवे के नेतृत्व में एक ब्रिटिश चिकित्सा दल द्वारा पहली बार कोलाहोई चोटी पर चढ़ाई की गई थी। पहलगाम के पास अरु गांव के माध्यम से कोलाहोई पीक पर चढऩे का सबसे आसान मार्ग इसका दक्षिणी चेहरा है, जहाँ से 21 किमी ऊंचाई वाली अल्पाइन ट्रेक शिखर के ग्लेशियर की ओर जाता है। सोनमर्ग से सरबल नाला के माध्यम से एक छोटी लेकिन अधिक कठिन 15 किमी की ट्रेक भी संभव है।
7 सितंबर 2018 को, पर्वतारोहियों का एक दल सफल शिखर सम्मेलन के बाद उतरते समय पत्थरबाज़ी के मलबे की चपेट में आ गया, जिससे उनमें से दो की मौत हो गई।
बेताब वैली
बेताब घाटी, जिसे मूल रूप से हजन घाटी या हगन घाटी कहा जाता है, भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम से 15 किमी (9.3 मील) की दूरी पर स्थित है। घाटी को इसका नाम सनी देओल-अमृता सिंह की पहली हिट फिल्म बेताब (1983) से मिला। घाटी पहलगाम के उत्तर पूर्व की ओर है और पहलगाम और चंदनवाड़ी के बीच पड़ती है और अमरनाथ मंदिर यात्रा के मार्ग में है। हरे-भरे घास के मैदानों, बर्फ से ढके पहाड़ों और घने वनस्पतियों से आच्छादित घाटी।
बेताब घाटी जम्मू और कश्मीर का एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। बेताब वैली यात्रियों का पसंदीदा कैंपसाइट भी है क्योंकि यह ट्रेकिंग और पहाड़ों की आगे की खोज के लिए एक बेस कैंप के रूप में भी काम करता है। घाटी पहलगाम से चलने योग्य दूरी पर है। बर्फीली पहाडिय़ों से नीचे बुदबुदाती धारा का क्रिस्टल स्पष्ट और ठंडा पानी एक आनंददायक है; यहां के स्थानीय लोग भी यही पानी पीते हैं। बैसारन और तुलियन झील आसपास के कुछ आकर्षण हैं जिन्हें देखा जा सकता है।
कश्मीर साठ से अस्सी के दशक तक भारतीय फिल्म उद्योग का घर था। आरजू, कश्मीर की कली, जब जब फूल खिले, कभी कभी, सिलसिला, सत्ते पे सत्ता और रोटी जैसी कई फिल्मों की शूटिंग घाटी में की गई। घाटी में आतंकवाद भडक़ने के बाद फिल्म की शूटिंग लगभग रुक गई थी, लेकिन अब हालात में सुधार के साथ, उम्मीद की जा सकती है कि बॉलीवुड जल्द ही अपने मूल घर में वापस आ जाएगा, जिसे कई लोग मानते हैं। उग्रवाद का खतरा 30 से अधिक वर्षों के लिए एक निवारक था, लेकिन निर्देशक इम्तियाज अली ने अभिनेता रणबीर कपूर और नरगिस फाखरी के साथ घाटी में अपनी फिल्म रॉकस्टार की शूटिंग के साथ, हिंसा अतीत की बात लगती है। जिस झोपड़ी में बॉबी को गोली मारी गई थी वह आज भी बॉबी हट के नाम से प्रसिद्ध है। जब तक है जान, ये जवानी है दीवानी, हैदर जैसी कई फिल्मों की शूटिंग जम्मू और कश्मीर राज्य में की गई है।
कब जाएं?
पहलगाम कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन अप्रैल से जून का समय सर्वोत्तम है, क्योंकि इस दौरान मौसम भी ठंडा बना रहता है और छुट्टियां बिताने का अलग ही आनंद आता है। जुलाई और अगस्त में अमरनाथ यात्रा के कारण भीड़ ज्यादा होती है। सितंबर से नवंबर तक का समय भी अच्छा है।
कैसे जाएं?
नजदीकी एयरपोर्ट श्रीनगर है, जो दिल्ली से हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। आप श्रीनगर पहुंचकर टैक्सी से पहलगाम जा सकते हैं। नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन जम्मू है, जहां से श्रीनगर व अनंतनाग के लिए बसें व शेयर टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं।
कहां ठहरें?
पहलगाम में हर बजट के होटल हैं। कुछ होटल लिद्दर नदी के किनारे भी हैं, जहां ठहरने का आनंद अलग ही होता है। आडू वैली में कुछ कैंप भी मिल जाएंगे। आप अपना टैंट भी ले जा सकते हैं।