अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख भूमिगत परमाणु ठिकानों पर बमबारी करने के बाद पश्चिम एशिया में तनाव और भी ज़्यादा बढ़ गया है। हालात इस कदर गंभीर हो चुके हैं कि अब ईरान ने अमेरिका को सीधे चेतावनी देते हुए कहा है कि इस क्षेत्र में अब कोई भी अमेरिकी नागरिक या अमेरिकी संपत्ति सुरक्षित नहीं मानी जा सकती। ताजा रिपोर्ट्स बताती हैं कि हमले से गुस्साए ईरान ने पलटवार की पूरी तैयारी कर ली है और माहौल बेहद नाजुक हो गया है।
राजनीतिक पारा चढ़ा, कूटनीति फेल?
रॉयटर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दो अमेरिकी अधिकारियों ने खुलासा किया है कि अमेरिका अब इस स्थिति को बातचीत और कूटनीति से सुलझाना चाहता है। लेकिन दूसरी ओर कई खुफिया विश्लेषण यह संकेत दे रहे हैं कि अगले एक-दो दिनों में ईरान अमेरिकी सेना या ठिकानों को निशाना बनाकर बड़ा हमला कर सकता है। ऐसे में पूरी दुनिया की निगाहें अब मध्य-पूर्व पर टिक गई हैं।
‘मिडनाइट हैमर’ से दहला ईरान
शनिवार रात अमेरिका ने ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के तहत ईरान के तीन अति-संरक्षित परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इस हमले में अत्याधुनिक बी-2 बॉम्बर विमानों का इस्तेमाल करते हुए हज़ारों किलो वजनी बम गिराए गए। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस हमले को ‘वैश्विक शांति’ के लिए ज़रूरी कदम बताया। उनका कहना है कि इससे ईरान के परमाणु संवर्धन केंद्रों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है।
ईरान ने दी धमकी, ट्रंप ने दी चेतावनी
हालांकि, ईरान ने इस बात को खारिज करते हुए कहा है कि उनके परमाणु ठिकानों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन इस हमले का करारा जवाब ज़रूर दिया जाएगा। जवाब में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अमेरिका युद्ध नहीं चाहता, लेकिन यदि ईरान पलटवार करता है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
दुनियाभर में मची हलचल, नेतन्याहू खुश
अमेरिका के इस हमले से पूरी दुनिया की राजनीति में हलचल मच गई है। रूस और चीन जैसे देशों ने जहां इस कदम की तीखी निंदा की है, वहीं यूरोपीय देश कूटनीतिक समाधान की अपील कर रहे हैं। लेकिन सबसे ज़्यादा खुशी इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के चेहरे पर दिखी, जिन्होंने ट्रंप का आभार जताते हुए कहा कि पहले शक्ति दिखाना जरूरी है, तभी शांति संभव होती है।
गहराई में बसे थे ईरान के ठिकाने
जानकारी के अनुसार, ईरान के जिन तीन परमाणु केंद्रों को निशाना बनाया गया है, वे ज़मीन के कई सौ मीटर नीचे स्थित थे। इनमें फोर्दो, नतांज और इस्फहान शामिल हैं। ये ठिकाने इतने सुरक्षात्मक थे कि इजरायल जैसी सैन्य ताकत के लिए भी इन्हें नष्ट करना लगभग असंभव था। तभी से नेतन्याहू लगातार अमेरिका पर दबाव बना रहे थे कि वह इस संघर्ष में खुलकर भाग ले—और शनिवार की रात यह रणनीति रंग लाई।