किसी अजूबे से कम नहीं है बिहार की ये जगहें, हर साल पहुंचते हैं लाखों पर्यटक

By: Neha Mon, 12 Dec 2022 12:46:39

किसी अजूबे से कम नहीं है बिहार की ये जगहें, हर साल पहुंचते हैं लाखों पर्यटक

भारत के विभिन्न राज्यों में से एक हैं बिहार जिसे अपने देसी अंदाज के लिए जाना जाता हैं। लेकिन इसी के साथ ही बिहार को अपने ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी जाना जाता हैं। यहां आपको अनोखी संस्कृति, परम्पराएं, रीती-रिवाज, पहनावा देखने को मिलेगा। बिहार राज्य में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है जिसके लिए हर साल यहां लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। यहां अक्टूबर से मार्च का महीना बेहद सुहावना रहता हैं जिसके चलते यह यात्रा करने का सबसे अच्छा समय है। आज इस कड़ी में हम आपको बिहार की कुछ ऐसी जगहों की जानकारी देने जा रहे हैं जो पर्यटन में अपना विशेष स्थान रखती हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...

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विश्व शान्ति स्तूप

बिहार के राजगीर में स्थित विश्व शान्ति स्तूप कई मायनों में पर्यटकों के लिए ख़ास है। विश्व शांति पैगोडा के नाम से मशहूर विश्व शांति स्तूप ऐतिहासिक शहर राजगीर में बना हुआ है, यह स्थल बिहार पर्यटन के लिए गर्व है। यह भारत में निर्मित 7 शांति पैगोडाओं में से एक है और निश्चित रूप से बिहार में घूमे जाने जगहों में से एक है। 400 मीटर की ऊंचाई पर, रणगीर पहाड़ी के उच्चतम बिंदु पर स्थित यह शान्ति स्तूप मस्ती, इतिहास को जानने, फोटो खिंचवाने और शांति के लिए बेस्ट जगह है। इस स्तूप पर जाने के लिए वैसे तो अन्य रास्ते भी हैं लेकिन सबसे ख़ास है रोप वे।

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गया

गया में बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध को बोधज्ञान प्राप्त हुआ था। ये शहर बिहार के प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। गया तीन तरफ से छोटी-छोटी पहाड़ियों मंगला-गौरी, श्रींगा-स्थान, राम-शीला और ब्रह्मायोनि से घिरा हुआ है जिसके पश्चिम की ओर फाल्गु नदी बहती है। यहां के महाबोधि मंदिर में आप दर्शन कर सकते हैं। गया में विष्णुपद मंदिर भी प्रमुख है दंतकथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। यहां का पितृपक्ष का मेला पूरी दुनिया में मशहूर है।

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शेर शाह सूरी का मकबरा

शेर शाह सूरी का मकबरा बिहार के सासाराम नाम के शहर में स्थित है। इसे सम्राट शाह सूरी की याद में बनाया गया था। बता दें कि शाह सूरी एक पाठन थे और उन्होंने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़कर उन्हें हराया भी था। इस मकबरे को वास्तुकार अलावल ने डिजाइन किया था। इस मकबरे की ऊंचाई 122 फीट है। बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन इसे भारत का दूसरा ताजमहल कहा जाता है। इसी वजह से लोग ताजमहल की तरह इसे बिहार का अजूबा मानते हैं।

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मुंगेर

मुंगेर में ऐतिहासिक किला है। यहां पर सीताकुंड नामक प्रमुख कुंड है। मुंगेर से 6 किलोमीटर पूर्व में सीता कुंड मुंगेर आनेवाले पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस कुंड का नाम पुरूषोत्तम राम की धर्मपत्नी सीता के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि जब राम सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाकर लाए थे तो उनको अपनी को पवित्रता साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी। धर्मशास्त्रों के अनुसार अग्नि परीक्षा के बाद सीता माता ने जिस कुंड में स्नान किया था यह वही कुंड है।

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नालंदा विश्वविद्यालय

यह वोश्वविद्यालय नालंदा जिला के राजगीर शहर में स्थित है। नालंदा विश्वविद्यालय दुनियाँ के सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना 4050 इस्वी में गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त ने किया था। यहाँ पढ़ने के लिए विदेशी क्षेत्र आते थे। यहाँ पढ़ने वाले छात्रों की संख्या लगभग 10,000 हुआ करती थी। इन 10,000 छात्रों को पढ़ने के लिए लगभग 2,000 शिक्षक शामिल थे। इसीलिए नालंदा विश्वविद्यालय भारत के लोगो को भी नहीं बलकि विदेशो के लोगो को भी पसंद आता है।

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विक्रमशिला यूनिवर्सिटी

बिहार की भागलपुर से कुल 50 किमी की दूरी पर विक्रमशिला यूनिचर्बिअी देखने लायक है। बताते हैं कि पाल राजा धर्मपाल ने 8वीं शताब्दी के अंत और 9वीं शताब्दी के शुरूआत में यह यूनिवर्सिटी बनवाई थी। 100 एकड़ में फैली यह यूनिवर्सिटी सीखने के लिए बहुत अच्छी जगह है। इसे 1193 में बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था। अब इस जगह का इस्तेमाल विक्रमशिला महोत्सव के लिए किया जाता है।

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तख्त श्री पटना साहिब गुरुद्वारा

पटना रेलवे स्टेशन से 13 किमी की दूरी पर स्थित यह गुरुद्वारा सिखों की आस्था से जुड़ा एक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है। 18वीं शताब्दी में बना यह गुरुद्वारा सिखों के पांच पवित्र तख्तों में से एक माना जाता है। इस गुरुद्वारे में प्रकाशोत्सव के समय पर पर्यटकों की काफी भीड़ लग जाती है। अगर आप बिहार भ्रमण पर जाएँ तो इस पवित्र और सुकून भरा जगह पर अवश्य जाएँ। यहां ना केवल देखने के लिए बहुत कुछ है बल्कि यहां आपको मन की शान्ति भी मिलेगी। जिसे आज के दौर में हर कोई ढूंढ रहा है।

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अशोक स्तंभ

बिहार के वैशाली में स्थित अशोक स्तंभ एक ऐतिहासिक स्मारक है। स्तंभ के ऊपर सिंह की मूर्ति है, जिस का निर्माण अशोक ने कराया था। 18.3 मीटर की ऊंचाई पर बने इस स्तंभ के पास रामकुंड तालाब को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। लोग बताते हैं कि राजा अशोक बौद्ध धर्म को बहुत मानते थे।

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द ग्रेट बुद्धा स्टेचू

बिहार राज्य में पर्यटकों के घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है। बिहार के बोधगया शहर में स्थित भगवान बुद्ध की यह 25 मीटर ऊंची प्रतिमा मा बौद्ध धर्म के लोगो का प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसके अलावा, हर धर्म के लोग यहां आकर प्रसन्नचित होते हैं। 25 मीटर ऊंची बनी इस प्रतिमा में भगवान बुद्ध ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए हैं। बुद्ध का यह रूप यहां आने वाले पर्यटकों के लिए शांति प्रदान करने वाला है। पर्यटक यहाँ आकर इन प्रतिमा के सामने फोटो खिंचवाकर इसे अपने जीवन के सुनहरे यादों में शुमार करते हैं।

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सीतामढ़ी

सीता के जन्मस्थली से विख्यात सीतामढ़ी को सीता के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है सीतामढ़ी के पूनौरा नामक स्थान पर जब राजा जनक ने खेत में हल जोते तो उस समय धरती से सीता का जन्म हुआ था। सीता के जन्म के कारण इस नगर का नाम सीतामढ़ी पड़ा। सीतामढ़ी के प्रमुख पर्यटन स्थल जानकी स्थान मंदिर, उर्बीजा कुंड, हलेश्वर स्थान, पंथ पाकड़, बगही मठ आदि प्रमुख है।

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