जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक माने जाने वाले पूर्व विधायक और देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष रहे जोगिंदर सिंह, जिन्होंने हाल ही में अशोक गहलोत के दो दिवसीय भरतपुर दौरे के दौरान भी अवाना ने गहलोत के समर्थन में नदबई में बड़ी जनसभा कर अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाया था, ने अवाना ने शनिवार को कांग्रेस का दामन छोड़कर राष्ट्रीय लोकदल जॉइन कर लिया।
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने दिल्ली में अपने आवास पर अवाना को पार्टी में शामिल कर उन्हें सदस्यता दिलाई। अवाना के पुत्र और भरतपुर की उच्चैन पंचायत समिति के प्रधान हिमांशु अवाना भी लोकदल में शामिल हुए। साथ ही साल 2009 में दौसा से लोकसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले कमर रब्बानी चैची ने भी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। रब्बानी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं।
अवाना के कांग्रेस छोड़कर लोकदल में जाने को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल पड़ी हैं। अवाना से पहले गहलोत समर्थक पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया, राजेंद्र यादव सहित कई नेता लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे।
अवाना ने कहा कि कांग्रेस छोड़ने को लेकर कोई नाराजगी नहीं है। वे कांग्रेस पार्टी, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने उन्हें 2023 में कांग्रेस का टिकट दिया था। वे अशोक गहलोत का भी सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि लोकदल को राजस्थान में मजबूत करेंगे। 14 अप्रैल से राजस्थान में पार्टी का सदस्यता अभियान शुरू करेंगे और ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों को लोकदल से जोड़ेंगे। आने वाले निकाय पंचायत चुनाव में भी पार्टी अपने प्रत्याशी उतारेगी.
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव तक हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के सम्मेलन किए जाएंगे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी भी राजस्थान का दौरा करेंगे।
राजस्थान से तीन नेता लोकदल में
राजस्थान से अब तीन नेता राष्ट्रीय लोकदल में है। भरतपुर से विधायक सुभाष गर्ग दूसरी बार लोकदल के टिकट पर चुने गए हैं। इसके अलावा पूर्व विधायक सगीर अहमद ने भी कांग्रेस छोड़कर लोकदल का दामन थाम लिया था। वे पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव हैं। अब जोगिंदर सिंह अवाना ने भी कांग्रेस छोड़कर लोक दल जॉइन कर ली है।
ऐसे बन गए थे गहलोत के खास
जुलाई 2020 में सचिन पायलट कैंप की ओर से बगावत करने के बाद जोगिंदर सिंह अवाना और बसपा से आए अन्य विधायकों ने सरकार बचाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का साथ दिया था। इसके बाद गहलोत ने अवाना को देवनारायण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था। यही नहीं, 2023 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें नदबई से कांग्रेस का टिकट मिला था, लेकिन वे चुनाव हार गए थे। उसके बाद वह लगातार कांग्रेस में सक्रिय थे। अवाना के पुत्र भी कांग्रेस के टिकट पर नदबई के उच्चैन से प्रधान चुने गए थे।