करना चाहते हैं मातारानी के दर्शन, चले आइये राजस्थान के इन 10 मंदिरों की ओर

By: Ankur Thu, 23 Mar 2023 4:24:30

करना चाहते हैं मातारानी के दर्शन, चले आइये राजस्थान के इन 10 मंदिरों की ओर

नवरात्रि के पावन पर्व में सभी लोग देवी भगवती की पूजा करते हुए विभिन्न मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं। नवरात्रि में 9 दिनों तक माता के 9 रूपों की आराधना होती है। ऐसे में कई लोग मातारानी के प्रसिद्द मंदिरों में जाना पसंद करते हैं। देश में माता के 52 शक्तिपीठ हैं। लेकिन इनके अलावा भी मातारानी के कई मंदिर हैं। आज इस कड़ी में हम आपको राजस्थान के कुछ प्रसिद्द मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप मातारानी के दर्शन कर उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। हर साल नवरात्रि में माता के इन मंदिरो में भक्तों का रेला उमड़ पड़ता है और सब विभिन्न रूपों में माता की अराधना होती है। मान्यता है कि एक बार इन मंदिरों के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

कैला मैया, करौली

राजस्थान के करौली स्थित कैला मैया के मंदिर की मान्यता दूर-दूर तक है। चैत्र और अश्विनी मास के नवरात्रों में यहां लक्खी मेले आयोजित होते हैं। इस मंदिर में दो प्रतिमाएं है। कैला मैया की प्रतिमा को चेहरा तिरछा है। मंदिर को निर्माण 1600 ईस्वी में राजा भोमपाल सिंह ने करवाया था। मान्यता है कि भगवान कृष्ण की बहन योगमाया जिसका वध कंस करना चाहता था, वे ही कैला देवी हैं। प्राचीन काल में नरकासुर नामक राक्षस का वध माता दुर्गा ने कैला मैया के रूप मे अवतार लेकर किया था। यहां आने वाले भक्त माता को प्रसन्न करने के लिये लांगुरिया के भजन गाते हैं।

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

शक्तिपीठ मणिवेदिका, पुष्कर

माता के 52 में से 27वां शक्तिपीठ मणिवेदिका अजमेर के पुष्कर में है। माता का यह पवित्र स्थान तीर्थ नगरी पुष्कर में मौजूद है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां माता सती की कलाइयां गिरी थी। पुष्कर में नाग पहाड़ी और सावित्री माता की पहाड़ी के बीच स्थित है पुरुहूता पर्वत। स्कन्द पुराण में माता का 27वां शक्तिपीठ पुष्कर के पुरुहूता पर्वत पर स्थित है। अजमेर रेलवे स्टेशन से पुष्कर में मां का मंदिर 18 किलोमीटर है, यहां बस-कार से बीस मिनट में पहुंचा जा सकता है।

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

जीण माता मंदिर, सीकर

शेखावाटी क्षेत्र के सीकर जिले में स्थित जीण माता मंदिर लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। नवरात्रों में यहां बहुत बड़ा मेला भरता है। माउंट आबू में अर्बुदा देवी मां दुर्गा के नौ रूपों में से कात्यायनी का ही रूप हैं, जिनकी विशेष पूजा नवरात्रि के छठवें दिन होती है। आबू हिल स्टेशन का नाम माता अर्बुदा देवी के नाम पर ही है। अर्बुद पर्वत पर मां अर्बुदा देवी का मंदिर है जो देश की शक्तिपीठों में से एक है। जोधपुर शहर के सबसे प्रसिद्ध दुर्ग मेहरानगढ़ में मां चामुंडा का सदियों पुराना मंदिर है। नवरात्र में माता के दर्शन करने के लिए यहां सुबह से ही जल्दी लंबी कतारें लग जाती हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां प्रतिवर्ष नवरात्र में धोक लगाने आते हैं। जोधपुर के चामुंडा माता मंदिर में भक्तों की भक्ति देखने लायक होती है।

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

शाकम्भरी माता मन्दिर, सांभर

शाकम्भरी माता का मन्दिर राजस्थान के जयपुर जिले के सांभर कस्बे में सांभर झील के पेटे में स्थित है। इस क्षेत्र में एक बार भयावह अकाल व सूखा पड़ा था तब देवी माँ ने शाक, वनस्पतियाँ व जल उत्पन्न करके यहाँ के निवासियों की रक्षा की थी। इस कारण देवी शाकम्भरी कहलाई। चौहान वंश के शासक वासुदेव ने सातवीं शताब्दी में साँभर झील और साँभर नगर की स्थापना शाकम्भरी देवी के मंदिर के पास में की। विक्रम संवत 1226 के बिजोलिया शिलालेख में चौहान शासक वासुदेव को साँभर झील का निर्माता व वहाँ के चौहान राज्य का संस्थापक उल्लेखित किया गया है।

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

झांतला माता मंदिर, पांडोली

नवरात्र में माताजी की पांडोली गांव में शक्तिपीठ झांतला माताजी मंदिर में दर्शनों के लिए हजारों भक्तों की भीड़ रहेती है। झातला माता मेंं आने वाले श्रद्धालुओं में बहुत बड़ी संख्या भीलवाड़ा जिले से होती है यहां हर साल पारम्परिक मेला भी लगता है श्री झांतला माता एक चमत्कारी शक्तिपीठ है, जहां जाने वाले कई रोगी ठीक हो जाते हैं, यहां ज्यादातर लकवे के रोगी आते हैं। इस मंदिर में हमेशा अंधेरा होता है और उसी में माता की पूजा की जाती है। इस मूर्ति के बाहर गेंहू और मक्केके दाने बिखरे रहते हैं।

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

त्रिपुरा सुंदरी, बांसवाड़ा

बांसवाड़ा से 18 किलोमीटर दूर तलवाड़ा गांव में अरावली पर्वतमालाओं के बीच मां त्रिपुरा सुंदरी का भव्य मंदिर है। सिंहवाहिनी मां भगवती त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति अष्टदश (अठारह) भुजाओं वाली है। पांच फीट ऊंची मूर्ति में माता दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिकृतियां अंकित हैं। माता के सिंह, मयूर और कमलासीनी होने के कारण यह दिन में तीन रूपों को धारण करती हुई प्रतीत होती है। माता प्रात:कालीन बेला में कुमारिका, मध्यान्ह में यौवना और सायंकालीन वेला में प्रौढ़ रूप में मां के दर्शन होते है। नवरात्रि पर्व पर नौ दिन तक त्रिपुरा सुंदरी की नित-नूतन श्रृंगार की मनोहारी झांकी बरबस मन मोह लेती है। प्रथम दिवस शुभ मुहूर्त में मंदिर में घट स्थापना की जाती है। अखण्ड ज्योति जलाई जाती है। दो-तीन दिन पश्चात् धान के अंकुर फूटते हैं, जिन्हें ज्वारे कहते हैं। अष्टमी और नवमी को हवन होता है। कलश को ज्वारों सहित माही नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। विसर्जन स्थल पर एक मेला सा जुटता है। सलीला ‘माही’ नदी को पुराणों में ‘कलियुगे माही गंगा’ की संज्ञा दी गई है।

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

आशापूरा माता मन्दिर, पाली

आशापूरा माता का प्रसिद्ध मन्दिर राजस्थान के पाली जिले के नाडोल नामक गाँव में स्थित है। यह शाकम्भरी के चौहान राजवंश की कुलदेवी थी। नैणसी की ख्यात का उल्लेख है कि लाखणसी चौहान को नाडौल का राज्य आशापूरा देवी की कृपा से मिला। तदनन्तर चौहान इसे अपनी कुलदेवी मानने लगे । आशा पूर्ण करने वाली देवी आशापूरा के नाम से विख्यात हुई। लाखणसी या लक्ष्मण नामक चौहान शासक द्वारा नाडौल में आशापूरा देवी का भव्य मन्दिर बनवाया गया जहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु जाते हैं।

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

करणी माता मंदिर, बीकानेर

राजस्थान की बीकानेर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित देशनोक में फेमस करणी माता मंदिर है। घर में गलती से चूहा आ जाए तो परेशान हो उठते है। लेकिन, माता के इस मंदिर में चूहों की पूजा होती है। चूहों का यहां काबा कहते है। इस मंदिर में बीस हजार से ज्यादा काले चूहे हैं। कुछ सफेद चूहे भी है जिनका दिखना यहां बेहद शुभ माना जाता है। भक्तों की मानें तो मां करणी दुर्गा का अवतार थीं।

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

अंबिका शक्तिपीठ, विराटनगर

यह शक्तिपीठ राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर से उत्तर में महाभारतकालीन विराट नगर के प्राचीन ध्वंसावशेष के निकट एक गुफा में है, जिसे 'भीम की गुफा' भी कहते हैं। यहीं के विराट ग्राम में यह शक्तिपीठ स्थित है।जयपुर जिले के विराटनगर तहसील पापडी गांव में अंबिका पीठ मंदिर है, जहां गिरी थी सती की पैर की चार अंगुलियां। जयपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर विराटनगर की स्थापना राजा विराट ने की थी और ये प्राचीन राज्य मत्स्य की राजधानी थी।

rajasthan,mata rani temple,navratri 2023,temples in rajasthan,rajasthan tourism,tourist places in rajasthan

शिला देवी मंदिर, जयपुर

देवी दुर्गा को समर्पित यह मंदिर आमेर किले में स्थापित है। इस मंदिर को आमेर के राजा मान सिंह प्रथम ने बनवाया था। कहा जाता है कि, राजा मान सिंह के खिलाफ बंगाल में लड़ाई हारने के बाद, जेसोर के राजा ने उन्हें एक काले पत्थर की पटिया भेंट की थी। जिसमें से देवी दुर्गा की छवि दिखाई देती है। शिला देवी मंदिर में नवरात्रि पर एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। यहां नवरात्रि के नौ दिनों तक मेले का आयोजन किया जाता है। तथा विधिवत माता की पूजा की जाती है और अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com