प्राकृतिक सौन्दर्य के अलावा असम के ये त्यौहार भी बनते हैं यहां का आकर्षण, जरूर हों इनमें शामिल

By: Ankur Mon, 31 July 2023 7:43:47

 प्राकृतिक सौन्दर्य के अलावा असम के ये त्यौहार भी बनते हैं यहां का आकर्षण, जरूर हों इनमें शामिल

प्राकृतिक सुंदरता की बात करें तो देश में कई क्षेत्र हैं जो देश ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों का ध्यान भी अपनी ओर खींचते हैं। ऐसी ही जगहों में से एक हैं असम। यह हिमालय की पहाड़ियों की शोभा बढ़ाने वाला एक सुंदर और आकर्षक राज्य है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राकृतिक सौन्दर्य के अलावा असम के त्यौहार भी यहां का आकर्षण बनते हैं। यह हमेशा से एक सांस्कृतिक केंद्र स्थान रहा है जो प्रारंभिक मानव युग से चला आ रहा है। असम में मनाए जाने वाले अधिकांश त्योहार उसके निवासियों की विविध आस्था और विश्वास में सामंजस्य और एकजुटता की भावना को दर्शाते हैं। अगर आप भी असम आने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इन त्यौहारों का जरूर आनंद लें।

बिहू

वैसे तो असम राज्य में बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं परन्तु बिहू के बिना असम राज्य में मनाए जाने वाले त्योहारों की चर्चा अधूरी ही रहेगी। बिहू असम राज्य का सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध त्योहार है इसी कारण इसे राज्य के राजकीय त्योहार का दर्जा भी प्राप्त हुआ है। यह त्योहार तीन अलग-अलग नामों से अलग-अलग समय पर मनाया जाता है। बोहाग बिहू प्रत्येक वर्ष अप्रैल महीने में मनाया जाता है तथा इसी के साथ असामी वर्ष की शुरुआत भी हो जाती है। काती अथवा कोंगाली बिहू प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के पहले दिन मनाया जाता है। इसलिए इसे काती बिहू के नाम से जाना जाता है। माघ बिहू अथवा भोगाली बिहू प्रत्येक वर्ष हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने तथा ग्रिगेरियन कैलेंडर के अनुसार जनवरी महीने में मनाया जाता है। यह उत्सव असम के लोगों को एक इकाई के रूप में एक साथ लाने में अद्भुत काम करता है।

करम पूजा

करम पूजा जिसे करमा पूजा भी कहा जाता है, न केवल असम में बल्कि पूर्वी भारत के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार भादो ऋतु के दौरान होता है जो पूर्णिमा का 11वां दिन होता है और इसे भादो एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार आम तौर पर मध्य अगस्त या सितंबर के महीनों के दौरान होता है और यह वह समय है जिसका असमिया आदिवासी लोग इंतजार करते हैं। वे करम वृक्ष की पूजा करते हैं और विभिन्न नृत्य करके और उनकी प्रशंसा के गीत गाकर अनुष्ठान के एक भाग के रूप में उनका आशीर्वाद मांगते हैं। यह त्यौहार अपने तरीके से हरा-भरा और पर्यावरण हितैषी है।

बैशागू

यह त्यौहार असम में बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर असम की 'बोरो कचारिस' जनजाति द्वारा मनाया जाता है और यह बोरोस का प्रसिद्ध त्यौहार है। अपने असंख्य रंगों और उल्लास के लिए प्रसिद्ध, 'बैशागु' आम तौर पर अप्रैल के मध्य में बोडो कचारियों द्वारा मनाया जाता है। यह बोडो जनजाति का सबसे प्रिय त्योहार है। बोडो लोग इसे नए साल के आगमन पर वसंत उत्सव के रूप में भी मनाते हैं। बैशागु के इस त्यौहार में कई पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाता है। ऐसे संगीत वाद्ययंत्र हैं: ख्वाबंग, जोथा, गोगोना, सिफुंग, खाम आदि। असम के इस बैशागु महोत्सव के अंत में असमिया लोग सामुदायिक प्रार्थना के लिए एक निर्दिष्ट स्थान पर एकत्रित होते हैं, जिसे असमिया भाषा में "गर्जसाली" कहा जाता है।

माजुली फेस्टिवल

असम में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में माजुली फेस्टिवल भी सबसे ख़ास है। माजुली, असम राज्य के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी से तक़रीबन 350 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में जोरहाट टाउन के पास स्थित है। यह ब्रह्मपुत्र नदी पर बना दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है। हाल ही में माजुली को असम राज्य के एक जिले के रूप में मान्यता मिली है। इसी द्वीप पर प्रत्येक वर्ष नवंबर माह में 21 तारीख से 24 तारीख के बीच माजुली फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। यह एक सांस्कृतिक उत्सव है जिसमे माजुली द्वीप के जनजातीय लोगों के साथ-साथ पुरे असम राज्य के लोग शामिल होते हैं। इस फेस्टिवल में तरह-तरह के सांस्कृतिक विधाओं का मंचन किया जाता है। माजुली फेस्टिवल में विभिन्न प्रकार के क्षेत्रीय उत्पादों को भी बिक्री के लिए रखा जाता है। माजुली फेस्टिवल का इतिहास बहुत पुराना है जो लगभग 16 वीं शताब्दी से यहाँ के जनजातीय लोगों द्वारा मनाया जा रहा है। यहाँ हड़प्पन युग में बनाए जाने वाले बर्तनों के सामान ही मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं जिनका माजुली फेस्टिवल में विशेष आकर्षण होता है।

अंबुबाची महोत्सव

कामाख्या देवी मंदिर असम में गुवाहाटी के सबसे प्रतिष्ठित देवी मंदिरों में से एक है; अंबुबाची इस मंदिर में होने वाला एक प्रमुख त्योहार है। बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला यह त्यौहार आम तौर पर हर साल मानसून के मौसम के लिए निर्धारित किया जाता है। यह एक बहुत ही जीवंत और अनोखा त्योहार है जो 4 दिनों तक चलता है और इसमें कई अन्य संस्कृतियों के साथ-साथ तांत्रिक प्रथाओं जैसे विभिन्न अनुष्ठान शामिल होते हैं। पहले 3 दिनों का त्योहार दर्शाता है कि देवी कामाख्या अपने मासिक धर्म चक्र से गुजरती हैं। यह वह समय भी है जब भक्त खाना पकाने या स्नान न करने जैसे सख्त प्रतिबंधों का पालन करते हैं। देवी की मूर्ति को दूध, पानी से साफ किया जाता है और नए कपड़े पहनाए जाते हैं।

चाय महोत्सव

असम राज्य पूरी दुनिया में अपने चाय के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ बहुत बड़े मात्रा में चाय का उत्पादन तो किया ही जाता है लेकिन इसके साथ ही साथ यहाँ पर दुनिया की सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली चाय का उत्पादन भी किया जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए असम राज्य के पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्रत्येक वर्ष के नवंबर माह में यहाँ ‘चाय महोत्सव’ का आयोजन किया जाता है। इस महोत्सव में दुनिया भर से चाय विज्ञानियों के साथ-साथ अनेक लोग शामिल होते हैं तथा इस महोत्सव की शोभा बढ़ाते हैं। चाय महोत्सव का मुख्य केंद्र असम राज्य का जोरहाट क्षेत्र होता है जहाँ पर चाय उत्पादन के बड़े क्षेत्र स्थित है। इस फेस्टिवल के दौरान तरह-तरह के प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया जाता है जहाँ चाय की कुछ बेहतरीन किस्मों को लोगों को समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।

देहिंग पटकाई महोत्सव

यदि आप सोच रहे हैं कि कौन सा त्योहार वास्तव में असम की सुंदर सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, तो आपको वर्ष में एक बार बेदाग देहिंग पटकाई महोत्सव का हिस्सा बनना चाहिए। यह त्योहार हमेशा तिनसुकिया जिले में जनवरी महीने के लिए मनाया जाता है और यह उन दुर्लभ त्योहारों में से एक है जिसे असम सरकार द्वारा उत्साहपूर्वक समर्थित और आयोजित किया जाता है। यह त्यौहार अपने त्यौहारी मूल्यों के साथ-साथ अपने द्वारा आयोजित विभिन्न साहसिक खेलों के कारण दुनिया भर से बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है, जिनमें मछली पकड़ना, पैरासेलिंग और पैराग्लाइडिंग शामिल हैं। त्योहार का संदेश यह है कि यह केवल मौज-मस्ती के उत्सवों के बारे में नहीं है; यह उत्तर पूर्व में हाथियों की प्रजाति को संरक्षित करने का संदेश भी साझा करता है।

मी-दम-मी-फी

सबसे महत्वपूर्ण अहोम त्योहार जो उल्लेख के योग्य है वह है मी-दम-मी-फी, यानी, पूर्वजों की पूजा का त्योहार जो पूरे अहोम समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यह प्रतिवर्ष 31 जनवरी को किया जाता है और अहोम लोगों के बीच सामाजिक संपर्क और सामुदायिक भावनाओं को विकसित करने में मदद करता है। इस अवसर पर पारंपरिक परिधानों में भक्तों के साथ रंगारंग जुलूस भी निकाले जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि मी-दम-मी-फाई को पारंपरिक तरीके से नहीं मनाया जाता है, तो देवता अप्रसन्न हो जाएंगे और परिणामस्वरूप राज्य में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और अंदरूनी कलह, उग्रवाद की बढ़ती गतिविधियां, बाढ़ जैसी प्राकृतिक उथल-पुथल जैसे संकट पैदा होंगे। भूकंप के परिणामस्वरूप मानव जीवन और संपत्ति की हानि होती है। इसलिए, लोगों और समाज के समग्र कल्याण के हित में मी-दम-मी-फाई का प्रदर्शन आवश्यक है।

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