2932 सिगरेट जलाने के बराबर 'धुआं' निकालती है सांप की छोटी सी गोली, जानें कौनसा पटाखा करता हैं कितना प्रदूषण; ये लोग रहे सावधान
By: Priyanka Maheshwari Sun, 23 Oct 2022 12:51:31
दिल्ली में दिन-ब-दिन प्रदूषण बद से बद्तर होता जा रहा है। दिवाली के बाद बढ़ने वाले प्रदूषण से ये स्थिति और चिंताजनक हो जाएगी। ऐसे में त्योहारों के सीजन को देखते हुए दिल्ली सरकार ने राजधानी में हर तरह के पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इतना ही नहीं दिल्ली में पटाखे फोड़ने पर जुर्माना भी देना होगा। अगर राजधानी में कोई भी शख्स पटाखे फोड़ता पाया गया तो उस पर 200 रुपये का जुर्माना लगेगा, वहीं उसे 6 महीने जेल में भी काटने पड़ सकते हैं। हालाकि, दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में सर्दियों में बढ़ने वाले प्रदूषण की कई वजह हैं, लेकिन इसकी अहम वजहों में से एक पटाखे भी हैं। हालाकि, प्रतिबंध होने के बावजूद लोग दिल्ली में पटाखे जलाते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, दिवाली से पहले और बाद के प्रदूषण स्तर में बड़ा अंतर देखने को मिलता है। पिछले साल दिवाली के अगले दिन दिल्ली में AQI का स्तर 462 पर पहुंच गया था, जो एक दिन पहले तक 382 दर्ज किया गया था। ऐसे में आइये जानते हैं DIU एक रिपोर्ट के मुताबिक कौन सा पटाखा, कितना प्रदूषण फैलाता है।
सांप की गोली
सांप की एक गोली जलाने पर 64,500 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं, जो 2932 सिगरेट जलाने के बराबर है।
1000 बम की लड़ी
1000 बम की लड़ी जलाने पर 38,540 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं, जो 1752 सिगरेट जलाने के बराबर है।
हंटर बम
एक हंटर बम जलाने पर 28,950 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं, जो 1316 सिगरेट जलाने के बराबर है।
फुलझड़ी
एक फुलझड़ी जलाने पर 10,390 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं, जो 472 सिगरेट जलाने के बराबर है।
चकरी
एक चकरी जलाने पर 9,490 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं, जो 431 सिगरेट जलाने के बराबर है।
अनार
एक अनार जलाने पर 4,860 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं, जो 221 सिगरेट जलाने के बराबर है।
बता दे, एक सिगरेट जलाने पर PM2.5 के 22 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं।
पटाखों का धुआं हो सकता है जानलेवा
- दमा, सीओपीडी या एलर्जिक रहाइनिटिस से पीड़ित मरीजों की समस्या दिवाली के दिनों में बढ़ जाती है। पटाखों में मौजूद छोटे कण सेहत पर बुरा असर डालते हैं, जिसका असर फेफड़ों पर पड़ता है। पटाखों के धुंए से फेफड़ों में सूजन आ सकती है, जिससे फेफड़े अपना काम ठीक से नहीं कर पाते और हालात यहां तक भी पहुंच सकते हैं कि ऑर्गेन फेलियर और मौत तक हो सकती है।
- पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा या दमा का अटैक आ सकता है। पटाखों के जलने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी गैसें निकलती हैं जो दमा के मरीजों के लिए खतरनाक हैं। इससे उसकी जान भी जा सकती है।
- पटाखों के धुएं से हार्टअटैक और स्ट्रोक का खतरा भी पैदा हो सकता है। पटाखों में मौजूद लैड सेहत के लिए खतरनाक है, इसके कारण हार्टअटैक और स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है।
- बच्चे और गर्भवती महिलाओं को पटाखों के शोर व धुएं से बचकर रहना चाहिए। पटाखों से निकला गाढ़ा धुआं खासतौर पर छोटे बच्चों में सांस की समस्याएं पैदा करता है। पटाखों में हानिकर रसायन होते हैं, जिनके कारण बच्चों के शरीर में टॉक्सिन्स का स्तर बढ़ जाता है और उनके विकास में रुकावट पैदा करता है। पटाखों के धुंऐ से गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को भी ऐसे समय में घर पर ही रहना चाहिए।
- पटाखे को रंग-बिरंगा बनाने के लिए इनमें रेडियोएक्टिव और जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। ये पदार्थ जहां एक ओर हवा को प्रदूषित करते हैं, वहीं दूसरी ओर इनसे कैंसर की आशंका को भी बढ़ाते हैं
- दिवाली के दौरान हवा में पीएम बढ़ जाता है। जब लोग इन प्रदूषकों के संपर्क में आते हैं तो उन्हें आंख, नाक और गले की समस्याएं हो सकती हैं। पटाखों का धुआं, सर्दी जुकाम और एलर्जी का कारण बन सकता है और इस कारण छाती व गले में कन्जेशन भी हो सकता है।
- पटाखे चलाने से धूल के कणों पर कॉपर, जिंक, सोडियम, लैड, मैग्निशियम, कैडमियम, सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जमा हो जाते हैं। इन गैसों के हानिकारक प्रभाव होते हैं। इसमें कॉपर से सांस की समस्याएं, कैडमियम-खून की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम करता है, जिससे व्यक्ति एनिमिया का शिकार हो सकता है। जिंक की वजह से उल्टी व बुखार व लेड से तंत्रिका प्रणाली को नुकसान पहुंचता है। मैग्निशियम व सोडियम भी सेहत को नुकसान पहुंचाता है।
- दिल के मरीजों को भी पटाखों से बचकर रहना चाहिए। इनके फेफड़ें बहुत नाजुक होते हैं। कई बार बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति पटाखों के शोर के कारण दिल के दौरे का शिकार हो जाते हैं।
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