एक्ट्रेस तापसी पन्नू जल्द ही रश्मी रॉकेट मूवी में नजर आने वाली हैं। फिल्म ओटीटी पर दशहरे के मौके पर यानि 15 अक्टूबर को जी5 पर रिलीज की जाएगी। फैंस को इसका बेसब्री से इंतजार है। तापसी इसके लिए काफी मेहनत भी कर रही हैं। वे अक्सर ट्रेनिंग सेशन की झलक शेयर करती रहती हैं। तापसी ने अपने लुक का एक पोस्टर अपने अकाउंट पर शेयर किया। उनके नए लुक को देख ट्रोलर्स ने उनका मजाक बनाते हुए मर्द की बॉडी वाला बताया।
तापसी ने भी यूजर को करारा जवाब दिया। तापसी के इस लुक को एक प्रमुख दैनिक ने ट्विटर पर शेयर कर कैप्शन दिया, "गेस कौन?" इस पर एक यूजर ने लिखा, "ये मर्द की बॉडी वाली सिर्फ तापसी ही हो सकती है।" इस पर तापसी ने जवाब दिया "मैं बस इतना ही कहूंगी... बस इस लाइन को याद रखें और 23 सितंबर का इंतजार करें। आपको एडवांस में शुक्रिया। मैंने हकीकत में ऐसी तारीफ के लिए कड़ी मेहनत की है।"
2023 तक डेट नहीं, फिर भी लोग कहते बेरोजगार : तापसी
तापसी
अपने बेबाक अंदाज के लिए मशहूर हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि सोशल
मीडिया का एक तबका उन्हें 'बेरोजगार' कहता है जबकि मेरी डायरी में आने वाले
2 सालों की डेट्स फुल हैं। उनकी आने वाली फिल्मों में मिताली राज की
बायोपिक शाबाश मिठू, लूप लपेटा, रश्मी रॉकेट, अनुराग कश्यप की दोबारा और
ब्लर हैं। तापसी ने कहा कि मैं ज्यादातर ट्रोलर्स को नजरअंदाज करती हूं,
क्योंकि ज्यादातर बॉट हैं या एक कैंपेन के तहत बिना सोचे-समझे ट्रोल होते
हैं। उनके पास कोई खास बात नहीं होती और जब आप सफल होते हैं तो ट्रिगर हो
जाते हैं। वे मुझे बेरोजगार कहते हैं, जबकि मेरे पास 2023 तक फिल्म करने का
समय नहीं है। जब मैं जवाब देती हूं तो मैं ट्रोलर्स के लेवल तक नही जाती,
मैं जवाब देने में अपनी डिग्निटी कभी नहीं खोऊंगी।
रिक्शे और ट्रेन में किया है कई बार सफर : ईशा
एक्ट्रेस
ईशा देओल का परिवार दिग्गज कलाकारों से भरा है। पिता धर्मेंद्र और मां
हेमा मालिनी को सुपरस्टार का दर्जा प्राप्त था। ईशा के दोनों भाई सनी देओल
और बॉबी देओल का भी अलग रुतबा रहा। ऐसे में हर कोई यही सोचता है कि उनकी
परवरिश बड़े ठाठ-बाठ से हुई होगी, लेकिन यह सच नहीं है। उनका पालन पोषण आम
बच्चों की जैसे ही हुआ है। ईशा ने एक इंटरव्यू में कहा कि हां मेंरे
पेरेंट्स सुपरस्टार्स हैं...वे लीजेंड्स हैं, पर दोनों ने हमारी परवरिश सरल
तरीके से की है, अनुशासन के कई मायनों में हम डाउन-टू-अर्थ रहे, अच्छे
संस्कार दिए और बड़ों की इज्जत करना सिखाया।
उन्हें हमें नॉर्मल
चाइल्डहुड देने का पूरा श्रेय जाता है। हम जिस स्कूल में पढ़ते थे वहां भी
आम बच्चों की तरह बर्ताव किया जाता था। मैंने रिक्शा में सफर किया है। मैं
कई गेम्स खेलती थी और विभिन्न स्थानों पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के
लिए ट्रेन में गई हूं। हमारे बचपन के दिनों में आज की तरह कोई पैपराजी
कल्चर नहीं था। लोग मुझे देखकर बस इतना ही कहते थे-देखो हेमा और धर्मेंद्र
की बेटी।