भारतीय सिनेमा में ऐसे कई अभिनेता हुए हैं जिन्होंने अपनी अदाकारी, स्क्रीन प्रजेंस और स्टाइल से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसे होते हैं जो लगातार फिल्मों में सफलता न मिलने के बावजूद भी एक "सुपरस्टार" कहलाते हैं। साउथ इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता अक्किनेनी नागार्जुन (Akkineni Nagarjuna) भी उन्हीं सितारों में से एक हैं।
शुरुआत हिट से, लेकिन आगे का सफर आसान नहीं रहा
अक्किनेनी नागार्जुन, जिन्हें प्यार से 'किंग' कहा जाता है, भारतीय सिनेमा के एक प्रतिष्ठित अभिनेता हैं। उनका फिल्मी करियर 1961 में शिशु कलाकार के रूप में शुरू हुआ था, जब उन्होंने फिल्म 'वेलुगु नीडालु' में अभिनय किया था। इसके बाद, 1986 में फिल्म 'विक्रम' से मुख्य अभिनेता के रूप में उन्होंने तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। इस फिल्म की सफलता ने उन्हें स्टार बना दिया। यह फिल्म वर्ष 1983 में प्रदर्शित हुई हिन्दी फिल्म हीरो, जिससे जैकी श्रॉफ ने बॉलीवुड में कदम रखा था, का रीमेक थी। हीरो का निर्माण व निर्देशन सुभाष घई ने किया था। अपने गीत संगीत के बलबूते पर यह फिल्म 80 के दशक के सर्वश्रेष्ठ प्रेम कहानियों में शुमार होती है। बाद में इसी फिल्म को सलमान खान ने अपने प्रोडक्शन हाउस के तले रीमेक किया, जिसके जरिये उन्होंने सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी को फिल्मी दुनिया से परिचित कराया। नागार्जुन ने अपनी फिल्मों में विविधता दिखाई है, जिसमें रोमांस, एक्शन, ड्रामा और भक्ति जैसे विभिन्न शैलियाँ शामिल हैं। 'शिवा', 'अख़री पोरातम', 'निन्ने पेलेदता', 'आनम्मैया', 'मनम', 'सोग्गाडे चिनिनायना', 'उपिरी', 'वाइल्ड डॉग' और 'ब्रह्मास्त्र' जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं ने उन्हें आलोचकों और दर्शकों से सराहना प्राप्त की है।
इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जिनमें एक्शन, रोमांस और ड्रामा सभी शैलियों की झलक देखने को मिली। खासकर एक्शन फिल्मों में उनका अलग ही अंदाज लोगों को खूब भाया और उन्होंने 'एक्शन हीरो' की छवि बना ली।
फ्लॉप फिल्मों का लंबा सिलसिला, पर स्टारडम पर नहीं पड़ा असर
नागार्जुन के करियर में हिट से ज्यादा फ्लॉप फिल्मों की गिनती है। उन्होंने अपने करियर में सफल फिल्मों से ज्यादा असफल फिल्में दी हैं। उनके खाते में अब तक करीब 44 फ्लॉप फिल्में हैं। इसके बावजूद उनकी लोकप्रियता में कोई गिरावट नहीं आई। उनकी सफलता का राज उनकी अभिनय क्षमता, विविधता और दर्शकों से जुड़ाव में है।
फैंस आज भी उन्हें उसी शिद्दत से पसंद करते हैं जैसे उनके करियर के शुरुआती दौर में करते थे। ये उनके व्यक्तित्व, कड़ी मेहनत और स्क्रीन प्रजेंस का ही नतीजा है कि वो आज भी साउथ सिनेमा के सबसे चहेते सितारों में शुमार हैं।
1989 में नागार्जुन ने प्रख्यात निर्देशक मणिरत्नम की रोमांटिक ड्रामा फिल्म ‘गीतांजलि’ में मुख्य भूमिका निभाई। यह फिल्म दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुई और अपनी भावनात्मक कहानी, खूबसूरत संगीत और शानदार अभिनय के कारण खास पहचान बनाई।
‘गीतांजलि’ को उसके मनोरंजक और संवेदनशील कंटेंट के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाज़ा गया। इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ, जो संपूर्ण परिवार के लिए उपयुक्त हो।
इस फिल्म में नागार्जुन ने एक ऐसे युवा प्रेमी की भूमिका निभाई थी जो जीवन और प्रेम के बीच गहराई से उलझा हुआ होता है। इस किरदार ने न सिर्फ आलोचकों बल्कि आम दर्शकों का भी दिल जीत लिया और नागार्जुन को एक संवेदनशील अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया।
उसी वर्ष नागार्जुन ने राम गोपाल वर्मा द्वारा निर्देशित एक्शन फिल्म ‘शिवा’ में अभिनय किया, जो बॉक्स ऑफिस पर बेहद सफल रही। इस फिल्म ने न केवल तेलुगु सिनेमा में एक नई दिशा की शुरुआत की, बल्कि इसे 1990 में 13वें अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में भी प्रदर्शित किया गया।
फिल्म की अपार सफलता के बाद नागार्जुन ने इसी फिल्म के हिंदी रीमेक ‘शिवा’ (1990) के साथ बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया। हिंदी संस्करण को भी दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही।
‘शिवा’ की सफलता ने नागार्जुन को अखिल भारतीय पहचान दिलाई और यह फिल्म उनके करियर की सबसे बड़ी टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने हिन्दी में बोनी कपूर द्वारा निर्मित हॉरर फिल्म रात, जेपी दत्ता की एलओसी कारगिल, मुकुल एस. आनन्द की खुदा गवाह, अग्निवर्षा और महेश भट्ट द्वारा तमिल और हिन्दी में बनाई गई क्रिमिनल में काम किया। क्रिमिनल अपनी एक अलग तरह की फिल्म थी, जिसका संगीत बेहद लोकप्रिय हुआ था। इसके संगीतकार एम.एम. किरवानी थे, जिन्होंने राजामौली निर्देशित आरआरआर के लिए आस्कर पुरस्कार जीता है। दो वर्ष पूर्व वे अयान मुखर्जी निर्देशित ब्रह्मास्त्र में नजर आए थे। हिंदी भाषी दर्शकों के बीच भी नागार्जुन की एक अलग पहचान है, जो उन्हें एक अखिल भारतीय अभिनेता बनाती है।
रॉयल लाइफस्टाइल और बेमिसाल नेट वर्थ
नागार्जुन का कुल संपत्ति लगभग ₹3,050 करोड़ (लगभग $410 मिलियन) है, जो उन्हें दक्षिण भारत के सबसे अमीर अभिनेता बनाता है। नागार्जुन सिर्फ पर्दे पर ही रॉयल नहीं हैं, बल्कि असल जिंदगी में भी एक बेहद रॉयल लाइफ जीते हैं। वह फिल्मी दुनिया के अलावा व्यवसाय, निर्माण और टीवी प्रोडक्शन से भी जुड़े हुए हैं। साथ ही, उनका हैदराबाद में आलीशान अन्नपूर्णा स्टूडियोज भी इंडस्ट्री में बड़ा नाम है, जिसे उन्होंने अपने पिता अक्किनेनी नागेश्वर राव की विरासत के रूप में आगे बढ़ाया।
दर्शकों का प्यार ही असली सफलता
नागार्जुन की कहानी हमें यह सिखाती है कि एक अभिनेता की सफलता केवल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से नहीं मापी जाती, बल्कि यह उसके काम, फैनबेस और समय के साथ उसके प्रभाव से तय होती है। नागार्जुन की लंबी फिल्मी यात्रा में चाहे जितने उतार-चढ़ाव आए हों, उन्होंने हमेशा दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाए रखी है।
नागार्जुन न सिर्फ एक सुपरस्टार हैं, बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी हैं जो साबित करते हैं कि अगर आपकी मेहनत सच्ची हो और किरदारों के प्रति समर्पण बना रहे, तो फ्लॉप फिल्मों के बाद भी स्टारडम कायम रखा जा सकता है। वे आज भी युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं और आने वाले सालों में भी उनकी मौजूदगी इंडस्ट्री को दिशा देती रहेगी।
नागार्जुन का करियर 65 वर्षों का है, और वे अब भी सक्रिय हैं। वर्तमान में, वे 'कुबेर' नामक फिल्म में धनुष और शेखर कमुला के साथ काम कर रहे हैं, जिसका हाल ही में टीज़र जारी हुआ है। यह फिल्म उनके करियर का एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।
नागार्जुन की यात्रा यह दर्शाती है कि सफलता केवल हिट फिल्मों से नहीं, बल्कि निरंतरता, विविधता और सही निर्णयों से मिलती है। उनकी कहानी नए कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।