ड्रग्स के बढ़ते मामलों से चिंतित केरल फिल्म उद्योग (मॉलीवुड) ने बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। केरल फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (KFPA) ने घोषणा की है कि 26 जून 2025 से हर एक्टर, तकनीशियन और क्रू सदस्य को ‘नो ड्रग्स’ (मादक पदार्थों से दूरी) हलफनामा साइन करना अनिवार्य होगा। यह हलफनामा उस दिन से लागू किया जाएगा जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स और अवैध तस्करी के खिलाफ दिवस मनाया जाता है।
ड्रग्स के खिलाफ कड़ा कदम: हलफनामे की अनिवार्यता
KFPA के इस फैसले के तहत अब किसी भी फिल्म के सेट पर काम करने वाले व्यक्ति को अपने मेहनताना कॉन्ट्रैक्ट के साथ यह हलफनामा देना होगा कि वह शूटिंग स्थल या क्रू हाउसिंग में किसी भी प्रकार का नशा नहीं करेगा और न ही उसके पास मादक पदार्थ होंगे। यह क़ानूनी रूप से बाध्यकारी होगा और उल्लंघन की स्थिति में संबंधित व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।
फिल्म यूनियनों से समर्थन की पहल
KFPA ने इस निर्णय को व्यापक समर्थन दिलाने के लिए फिल्म कर्मचारियों की यूनियन FEFKA और कलाकारों की संस्था AMMA को भी पत्र लिखा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, FEFKA इस फैसले के समर्थन में हस्ताक्षर करने को तैयार है जबकि AMMA इसे 24 जून को होने वाली आम सभा में विचार के लिए रखेगी।
यदि AMMA भी इसे मंजूरी देती है, तो यह निर्देश पूरे फिल्म उद्योग में बाध्यकारी बन जाएगा।
क्यों लिया गया यह सख्त निर्णय?
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री हाल के महीनों में ड्रग्स से जुड़े कई विवादों से जूझ रही है। अप्रैल में एक्ट्रेस विंसी एलोंशियस के आरोपों के बाद अभिनेता शाइन टॉम चाको को नशे की हालत में पुलिस से भागने और उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इसी अवधि में फिल्म निर्देशक खालिद रहमान और अशरफ हमजा भी मादक पदार्थ रखने के आरोप में पकड़े गए। वहीं निर्माता हसीब मलाबार ने आरोप लगाया था कि अभिनेता श्रीनाथ भासी ने शूटिंग के दौरान गांजा की मांग की थी।
निर्माता और फिल्मकार सैंड्रा थॉमस ने तो यहां तक दावा किया कि कुछ निर्माता कलाकारों के लिए ड्रग्स के लिए अलग से बजट तय कर रहे हैं।
उद्योग को स्वच्छ करने की गंभीर पहल
KFPA का यह साहसिक निर्णय फिल्म उद्योग की साख बचाने और सेट पर सुरक्षित और अनुशासित माहौल बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे न केवल ड्रग्स की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी, बल्कि युवा कलाकारों और तकनीशियनों को नशे से दूर रखने में भी मदद मिलेगी।
यह कदम बताता है कि केरल फिल्म उद्योग अब ड्रग्स के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाने को तैयार है। यह न केवल एक व्यावसायिक सुरक्षा का मामला है, बल्कि पूरी फिल्म बिरादरी के चरित्र और अनुशासन को बनाए रखने का प्रयास भी है।
यदि AMMA भी इस प्रस्ताव को समर्थन दे देती है, तो यह न केवल मलयालम सिनेमा, बल्कि देश की अन्य फिल्म इंडस्ट्रीज़ के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है।