वास्तु के अनुसार होना चाहिए गर्भवती महिलाओं का कमरा, जानें इससे जुड़े जरूरी नियम
By: Ankur Wed, 20 July 2022 07:10:59
मां बनना किसी भी महिला के लिए अद्भुद अहसास होता हैं और गर्भावस्था के ये पल उसकी जिंदगी के यादगार पल होते हैं। इन दिनों में गर्भवती महिला के खानपान का अच्छे से ध्यान रखा जाता हैं ताकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रहें। लेकिन इसी के साथ ही आपको गर्भवती महिलाओं के आसपास के वास्तु पर भी ध्यान देने की जरूरत होती हैं ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। बताया जाता है कि गर्भावस्था के दौरान नकारात्मक शक्तियां सबसे ज्यादा मां और बच्चे की ओर आकर्षित होती है इसलिए वास्तु नियमों की पालना जरूर की जानी चाहिए। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि गर्भवती महिलाओं का कमरा कैसा होना चाहिए या उनमें कौनसी वस्तुएं रखी जानी चाहिए जो नकारात्मकता को दूर रखें। आइये जानते हैं इसके बारे में...
पीले चावल
चावल मां लक्ष्मी अौर पीला रंग भगवान विष्णु को अतिप्रिय हैं। वास्तु के अनुसार गर्भवती महिला के कमरे में पीले चावल रखना शुभ होता है। इससे मां अौर बच्चे पर नकारात्मक ऊर्जा का असर नहीं होता। इसके साथ ही मां अौर बच्चे पर भगवान विष्णु अौर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
तांबे की कोई चीज
गर्भवती महिलाएं कमरे में तांबे की धातु से तैयार कोई चीज रख सकते है। मान्यता है कि इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। तांबा बुरी नजर से बचाता है। इसलिए तांबे की कोई भी चीज गर्भवती महिला के कमरे में रखना अच्छा होता है। माना जाता है कि तांबे की चीज रखने से मां अौर बेटे के पास से नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है।
श्रीकृष्ण के बाल रूप की फोटो लगाएं
प्रेग्नेंट महिला को अपने कमरे में श्रीकृष्ण के बाल रूप की फोटो जरूर लगानी चाहिए। साथ ही, ऐसी कोई फोटो भी लगा सकती है जिसे देखकर आपको खुशी मिलती हो। ऐसी फोटो मां और होने वाले बच्चे के मानसिक विकास के लिए शुभ माना जाता है। इस फोटो को वहां लगाएं जहां आपकी नजर बार-बार पड़ती हो।
मुस्कुराते हुए बच्चे की फोटो
गर्भवती महिला को अपने कमरे में मुस्कुराते हुए बच्चे की फोटो लगानी चाहिए। इस फोटो को वहां लगाएं जहां आपकी नजर बार-बार पड़ती हो। इससे महिला का मन खुश रहता है।
भगवान कृष्ण की बांसुरी और शंख
आप गर्भवती महिला के कमरे में भगवान कृष्ण की बांसुरी और शंख भी रख सकते हैं। ऐसा करने से बच्चा शांत और हंसमुख स्वभाव का होता है। साथ ही आप तांबे की धातु से बनी कोई एक वस्तु भी कमरे में रख सकते हैं। इससे गर्भवती महिला और बच्चे पर बुरी नजर और नकारात्मकता का असर नहीं होता और उसे वह सकारात्मक ऊर्जा में बदल देता है।
पति-पत्नी की ऐसी रखें तस्वीर
वास्तुशास्त्र के अनुसार, गर्भवती महिला के कमरे में पति-पत्नी की हंसती-मुस्कुराती तस्वीरें भी लगानी चाहिए। ऐसा करने से बच्चा अपने माता-पिता के बेहद करीब रहता है। साथ ही गर्भवती महिला हमेशा पॉजिटिव फील करती है और होने वाला बच्चा भी स्वस्थ रहता है।
मोर पंख रखें
ऐसा माना जाता है कि मोर पंख से सकारात्मक ऊर्जा आती है। कमरे में मोर पंख रखना मां और होने वाले बच्चे के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसलिए प्रेग्नेंट महिला को अपने बेडरूम में मोर पंख जरूर रखना चाहिए।
सकारात्मक किताबें पढ़ें
गर्भवती महिला के कमरे में आप रामायण या श्रीमद्भागवत पुराण भी रख सकते हैं। साथ ही इनके रोज पढ़ने से इसका शुभ असर बच्चे पर पड़ता है। वह बच्चा काफी संस्कारी भी होता है। माना जाता है रोज यह ग्रंथ पढ़ने से बच्चा भगवान की देखरेख में रहता है।
इस तरह के कपड़े पहने
कमरे का रंग हो या कपड़ों का, गर्भवती महिलाओं को लाल, काला और नारंगी ऐसे गहरे रंगों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इसकी जगह हल्के रंगों जैसे- हल्का नीला, पीला, सफेद और हल्के गुलाबी रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि गहरे रंगों के इस्तेमाल से गर्भवती महिला डिप्रेशन का शिकार हो सकती है। जिसका मां और बच्चे दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
गर्भवती महिलाओं के कमरे में ना रखें ये चीजें
- ज्योतिष के अनुसार गर्भावस्था के दौरान नौ महीने तक पति-पत्नी दोनों को ही दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके सोना चाहिए। दक्षिण दिशा में पैर रख कर सोने से अशुभ होता है।
- गर्भवती महिला के कमरे में पितरों की फोटो नहीं होनी चाहिए।
- कमरे में कोई भी हिंसक तस्वीर भी नहीं होनी चाहिए। जैसे महाभारत या जंगली जानवर की फोटो।
- गर्भावस्था के दौरान महिला को अपने बालों को खुला नहीं रखना चाहिए खास तौर पर सोते समय।
- गर्भावस्था के दौरान जिस कमरे में महिला सोती है उसके बेड़ के नीचे टूटी फटी और पुरानी चीजें जमा नहीं होनी चाहिए।
- गर्भवती महिला के कमरे में कभी भी महाभारत, चाकू-छूरी, मायूसी वाली तस्वीरों को नहीं रखनी चाहिए। ऐसी मान्यता है गर्भवती स्त्री को सुई-धागे का काम भी नहीं करना चाहिए, इससे बच्चे की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।