येदियुरप्पा के फैसले ने याद दिलाई अटल बिहारी वाजपेयी के इस्तीफे की
By: Priyanka Maheshwari Sat, 19 May 2018 11:52:44
कर्नाटक में सियासी उठापटक का खेल खत्म हो चुका है। कर्नाटक में शनिवार को बहुमत परीक्षण के दौरान महज 55 घंटे के लिए मुख्यमंत्री रहे बीएस येदियुरप्पा ने भावुक भाषण के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। येदियुरप्पा ने बहुमत परीक्षण के लिए जरूरी संख्याबल न होने के बाद इस्तीफे दे दिया। इस राजनीतिक घटनाक्रम ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के इस्तीफे की याद दिला दी। 22 साल पहले 13 दिन तक प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी ने लोकसभा में पर्याप्त संख्या में सांसद नहीं होने पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वाजपेयी सरकार के गिरने के बाद जद-एस नेता कुमारस्वामी के पिता एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने थे और अब येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद कुमारस्वामी सीएम पद की शपथ लेंगे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले दिया था इस्तीफा
कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तरह ही 1996 में लोकसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई थी। जनता की सहानुभूति हासिल करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन पीएम वाजपेयी ने मतविभाजन का इंतजार किए बिना ही पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, मैं राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपने जा रहा हूं लेकिन फिर पूर्ण बहुमत के साथ लौटकर सदन में आऊंगा। ठीक उसी तरह से येदियुरप्पा ने विधानसभा में कहा, मैं विश्वास प्रस्ताव पर जोर नहीं दूंगा और सीधे राज्यपाल के को अपना इस्तीफा सौंपने जा रहा हूं।
येद्दयुरप्पा ने बहुमत परीक्षण से पहले दिया इस्तीफा
कर्नाटक विधानसभा में क्या होगा इस पर देश की नजरें टिकी हुई थीं। भाजपा के पास 104 सीटें थी जो बहुमत के आंकड़ें से 8 कम थीं। विधानसभा की कार्यवाही से पहले कयासों का दौर जारी थी। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर विवाद खत्म होने के बाद सदन में सभी विधायकों को शपथ दिलाई गई, इसके बाद दोपहर 3.30बजे दोबारा सदन शुरू हुआ। येद्दयुरप्पा ने भावुक भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं, अन्नदाता किसान को पूरी तरह मदद करने को तैयार हूं। येद्दयुरप्पा ने कहा कि हमें किसानों की समस्याओं को दूर करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि एक तरफ किसान आंसू बहा रहे हैं और दूसरी तरफ चुनाव हो गए।
इस भाषण के बाद उन्होंने इस्तीफे का एलान कर दिया, और इस तरह ढ़ाई दिन में भाजपा की सरकार गिर गई। फिलहाल कर्नाटक की सियासत में आया तूफान कमजोर पड़ गया है लेकिन थम गया है ऐसा नहीं है। अब गेंद फिर राज्यपाल के पाले में है कि वे कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को कब न्यौता देते हैं।