स्वतंत्रता दिवस विशेष : आजादी के बाद किये गए 73वें संविधान संशोधन की विशेषताएँ

By: Ankur Fri, 10 Aug 2018 1:09:27

स्वतंत्रता दिवस विशेष : आजादी के बाद किये गए 73वें संविधान संशोधन की विशेषताएँ

भारत की आजादी के बाद भारत का संविधान बनाया गया और इसे ही भारत में सबसे ऊँचा स्थान दिया गया। आज भी भारत में सबसे ऊँचा स्थान संविधान का ही हैं और इसके अनुरूप ही हमारे देश का सञ्चालन किया जाता हैं। हांलाकि समय-समय पर जब भी जरूरत पड़ी हैं संविधान में बदलाव लाए गए हैं। आज हम आपको सबसे प्रमुख संविधान संशोधन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी वजह से भारत में कई बदलाव आए हैं। हम बात कर रहे हैं 73वें संविधान संशोधन की। आइये जानते हैं 73वें संविधान संशोधन की विशेषताओं के बारे में।

* ग्राम सभा


ग्राम सभा गाँव के स्तर पर ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगी और ऐसे कार्यों को करेगी जो राज्य विधानमंडल विधि बनाकर उपलब्ध करें।

* पंचायतों का गठन

अनुच्छेद 243ख त्रिस्तरीय पंचायती राज का प्रावधान करता है। प्रत्येक राज्य ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर पर पंचायती राज संस्थाओं का गठन किया जायेगा, किन्तु उस राज्य में जिसकी जनसंख्या 20 लाख से अधिक नहीं है, मध्यवर्ती स्तर पर पंचायतों का गठन करना आवश्यक नहीं होगा।

* चुनाव

पंचायत स्तर पर सभी ग्राम पंचायतों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होगा और जिला परिषद् के स्तर पर अप्रत्यक्ष चुनाव होगा। मध्यवर्ती स्तर की संख्या के अध्यक्ष का चुनाव प्रयत्क्ष हो या अप्रत्यक्ष यह बात सम्बंधित राज्य सरकार द्वारा निश्चित की जाएगी। हर पंचायती निकाय की अवधि पाँच साल की होगी। यदि प्रदेश की सरकार 5 साल पूरे होने से पहले पंचायत को भंग करती है तो इसके 6 महीने के भीतर नए चुनाव हो जाने चाहिए। निर्वाचित स्थानीय निकायों के अस्तित्व को सुनिश्चित रखने वाला यह महत्त्वपूर्ण प्रावधान है। 73 वें संशोधन (73rd Amendment)से पहले कई प्रदेशों से पहले कई प्रदेशों में जिला पंचायती निकायों के चुनाव अप्रत्यक्ष रीति से होते थे और पंचायती संस्थाओं को भंग करने के बाद तत्काल चुनाव कराने के सम्बन्ध में कोई प्रावधान नहीं था।

changes in the constitution of india,constitution of india ,73वें संविधान संशोधन

* आरक्षण

पंचायती राज संस्थाओं के कुल स्थानों में 1/3 स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित हैं और अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात के आधार पर स्थान आरक्षित होंगे। यदि प्रदेश सरकार जरुरी समझे, तो वह अन्य पिछड़ा वर्ग को भी सीट में आरक्षण दे सकती हैं। तीनों ही स्तर पर अध्यक्ष (Chairperson) पद तक आरक्षण दिया गया है।

* सदस्यों की योग्यताएँ

पंचायत का सदस्य निर्वाचित होने के लिए निम्न योग्यताएँ (eligibility) आवश्यक होंगी। नागरिक ने 21 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो। वह व्यक्ति प्रवृत्त विधि के अधीन राज्य विधानमंडल के लिए निर्वाचित होने की योग्यता (आयु के अतिरिक्त अन्य योग्यताएँ) रखता हो। वह सम्बंधित राज्य विधानमंडल द्वारा निर्मित विधि के अधीन पंचायत का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो।

* विषयों का हस्तांतरण

ऐसे 29 विषय जो पहले राज्य सूची में थे, अब पहचान कर संविधान की 11वीं अनुसूची में दर्ज कर लिए गए हैं। इन विषयों को पंचायती राज संस्थाओं को हंस्तारित किया गया है। अधिकांश मामलों में इन विषयों का सम्बन्ध स्थानीय स्तर पर होने वाले विकास और कल्याण के कामकाज से है। इन कार्यों का वास्तविक हस्तांतरण प्रदेश के कानून पर निर्भर है। हर प्रदेश यह फैसला करेगा कि इन 29 विषयों में से कितने को स्थानीय निकायों के हवाले करना है। वस्तुतः पंचायतें 11वीं अनुसूची में वर्णित विषयों और कृषि, भूमि सुधार, भूमि विकास, पेयजल, ग्रामीण बिजलीकरण, प्रौढ़ शिक्षा, महिला और बाल विकास, दुर्बल वर्गों का कल्याण आदि के माध्यम से सामजिक-आर्थिक परिवर्तन का प्रयास कर सकती है।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i
पढ़ें Hindi News ऑनलाइन lifeberrys हिंदी की वेबसाइट पर। जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश से जुड़ीNews in Hindi

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com