'पद्मावती' से लेकर 'रानी लक्ष्मीबाई' तक ये है भारत की 5 बहादुर रानियाँ
By: Ankur Sun, 19 Nov 2017 2:02:36
वैसे तो संसार के हर देश का अपना इतिहास है और बहुत ही खूबसूरत रानियाँ उनके इतिहास का हिस्सा हैं, लेकिन बात जब हमारे देश के इतिहास की आती है तो ऐसी कई रानियों के नाम हमें याद आते हैं जो ख़ास तौर से अपनी बेमिसाल खूबसूरती और बहादुरी के लिए जानी गयीं। सैकड़ों वर्षों तक हिन्दू राजाओं को एक ओर जहां विदेशी आक्रांताओं से लड़ना पड़ा, वहीं उन्हें अपने पड़ोसी राजाओं से मिल रही चुनौती का सामना भी करना पड़ा। मध्यकाल और अंग्रेज काल में कई राजाओं और रानियों को बलिदान देना पड़ा था। ऐसे कई मौके आए, जब राज्य की बागडोर रानियों को संभालना पड़ी और वे हंसते-हंसते देश पर अपनी जान न्योछावर कर गईं। आइये जानते हैं कुछ ऐसी रानियों के बारे में
* महारानी पद्मिनी :
रानी पद्मिनी की सुंदरता और वीरता के चर्चे दूर-दूर तक थे। रानी पद्मिनी की सुंदरता पर दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी मोहित हो गया। रानी को हासिल करने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। चढ़ाई और घेरे के बाद अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर धावा बोल दिया और राजा रत्नसिंह को धोखे से मार गिराया। तब यह देखकर रानी पद्मिनी ने राजपूत वीरांगनाओं के साथ जौहर की अग्नि में 1303 ईस्वी में आत्मदाह कर लिया। इस युद्ध में लगभग 30 हजार सैनिक मारे गए और युद्ध में जीतने के बाद भी अल्लाउद्दीन खिलजी रानी को हासिल नहीं कर पाया क्योंकि अलाउद्दीन उस तक पहुँच सके, इससे पहले ही वह आग में कूदकर सती हो गई।
* रानी लक्ष्मीबाई :
रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के गदर में लड़ी थीं और लड़ाई के दौरान शहीद भी हो गयी थीं। इतिहास में उन्हें झांसी की रानी नाम दिया गया है। वैसे तो इतिहास में उनका नाम खास तौर से उनकी वीरता के लिए अंकित है लेकिन वो बहादुर होने के साथ-साथ बेहद सुंदर भी थीं।
* रानी दुर्गावती :
दुर्गावती के वीरतापूर्ण चरित्र को भारतीय इतिहास से इसलिए काटकर रखा गया, क्योंकि उन्होंने मुस्लिम शासकों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया था और उनको अनेक बार पराजित किया था। अकबर अन्य राजपूत घरानों की विधवाओं की तरह दुर्गावती को भी रनवासे की शोभा बनाना चाहता था। अकबर ने अपनी कामुक भोग-लिप्सा के लिए एक विधवा पर जुल्म किया। लेकिन धन्य है रानी दुर्गावती का पराक्रम कि उसने अकबर के जुल्म के आगे झुकने से इंकार कर स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए युद्ध भूमि को चुना और अनेक बार शत्रुओं को पराजित करते हुए 1564 में बलिदान दे दिया।
* रानी कर्णावती (कर्मवती) :
राजस्थान के मेवाड़ की रानी कर्णावती को कौन नहीं जानता। एक ओर जहां मुगल सम्राट हुमायूं अपने राज्य का विस्तार करने में लगा था तो दूसरी ओर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने 1533 ईस्वी में चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था। रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थीं। रानी के दो पुत्र थे- राणा उदयसिंह और राणा विक्रमादित्य। हूमायूं किसी को भी नहीं बख्शता था लेकिन उसके दिल में रानी कर्णावती का प्यार अच्छे से उतर गया और उसने रानी का साथ दिया। हुमायूं को रानी ने अपना धर्मभाई बनाया था इसलिए हुमायूं ने भी राखी की लाज रखते हुए उनके राज्य की रक्षा की।
* संयुक्ता :
संयुक्ता कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी थी जो अपनी सुन्दरता के कारण प्रसिद्ध थी। पृथ्वीराज चौहान से राजा जयचंद की शत्रुता थी, फिर भी अपने पिता द्वारा आयोजित एक स्वयंवर में अपने पिता की इच्छा के विरूद्ध संयुक्ता ने पृथ्वीराज चौहान के गले में वरमाला डालकर साहस का परिचय दिया। संयुक्ता और पृथ्वीराज की प्रेम कहानी भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित है।