उत्तराखंड के चमोली जिले में हुए हिमस्खलन प्रभावित सीमा सड़क संगठन (BRO) के शिविर से रविवार (2 मार्च) को अधिकारियों ने अंतिम चार लापता मजदूरों के शव बरामद कर लिए, जिससे 60 घंटे से जारी कठिन बचाव अभियान समाप्त हो गया। इस घटना में अब मृतकों की संख्या बढ़कर 8 हो गई है।
46 मजदूरों को बचाया गया, 3 की हालत गंभीर
सेना के डॉक्टरों ने जानकारी दी कि शनिवार को जीवित बचाए गए 46 मजदूरों को ज्योतिरमठ के सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है। लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस मालध्या के अनुसार, इनमें से दो को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है, जबकि तीन की हालत गंभीर बनी हुई है। रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि अंतिम लापता मजदूर का शव मिलने के साथ ही व्यापक स्तर पर चलाए गए बचाव अभियान का आधिकारिक रूप से समापन हो गया। चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने पुष्टि की कि हिमस्खलन में फंसे 54 मजदूरों में से 46 को सुरक्षित बचा लिया गया, जबकि 8 की मृत्यु हो गई। शनिवार को चार शव बरामद किए गए थे, जबकि शेष चार शव रविवार को मिले।
मुख्यमंत्री धामी ने जताया शोक, बचाव दलों की सराहना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना में 8 लोगों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया और सेना, स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ, और अन्य एजेंसियों के साहसिक बचाव कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा, "विपरीत परिस्थितियों में बचाव दलों ने जो साहस और समर्पण दिखाया, वह वाकई प्रशंसनीय है। मैं उनकी बहादुरी को सलाम करता हूं।" मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि घायलों को उचित चिकित्सा सुविधा दी जा रही है और मृतकों के शव उनके परिवारों को सौंपने की प्रक्रिया जारी है। साथ ही, उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए हिमस्खलन निगरानी प्रणाली विकसित करने के निर्देश दिए हैं।
कैसे हुआ हादसा?
शुक्रवार को बदरीनाथ और माणा के बीच स्थित BRO कैंप में हिमस्खलन आया था, जिसमें 54 मजदूर आठ कंटेनरों और एक शेड के अंदर फंस गए थे। प्रारंभिक रिपोर्टों में 55 मजदूरों के लापता होने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में पता चला कि उनमें से एक छुट्टी लेकर घर चला गया था और सुरक्षित था। इस बचाव अभियान में 200 से अधिक जवानों को तैनात किया गया था, जिनमें आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आईटीबीपी, बीआरओ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय वायुसेना, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के कर्मी शामिल थे। खोज अभियान को तेज करने के लिए हेलीकॉप्टर, खोजी कुत्ते और थर्मल इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया। बदरीनाथ से मात्र 3 किलोमीटर दूर स्थित माणा गांव भारत-तिब्बत सीमा पर अंतिम भारतीय बस्ती है, जो समुद्र तल से 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।