समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता के लिए सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला, केंद्र द्वारा किया जा रहा है विरोध

By: Rajesh Bhagtani Tue, 17 Oct 2023 09:48:31

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता के लिए सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला, केंद्र द्वारा किया जा रहा है विरोध

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ मंगलवार को समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट्ट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 18 अप्रैल, 2023 को याचिकाओं पर सुनवाई की। दस दिनों तक निरंतर और कठोर विचार-विमर्श के बाद, पीठ ने 11 मई, 2023 को इसका फैसला सुरक्षित रख लिया।

यह निर्णय LGBTQIA+ समुदाय के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो कई मुद्दों पर देश में समान अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

कैसे शुरू हुई मामले की सुनवाई?

ज्ञातव्य है कि इस मुद्दे पर आखिरी बार सुनवाई 11 मई को हुई थी। केस की सुनवाई सीजेआई डी वाय चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कॉल, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा द्वारा की जा रही थी। इन सभी की तरफ से इस साल 11 मई को फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था। वैसे देश में ये मुद्दा इतना सुर्खियां इसलिए बटोर रहा है क्योंकि कुछ साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध मानने वाली IPC की धारा 377 के एक पार्ट को रद्द कर दिया था।

उस फैसले के बाद से ही मांग उठ रही थी कि सेम सैक्स वाले लोगों को हर तरह का अधिकार दिया जाए, उन्हें सरकार द्वारा हर सुविधा मिले। लेकिन ये राह उतनी आसान भी नहीं रहने वाली है क्योंकि केंद्र सरकार ने 10 दिन की सुनवाई के दौरान एक बार भी इसके पक्ष में बयान नहीं दिया है। यहां ये समझना जरूरी है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में कुल 20 याचिकाएं दायर हैं। इनमें हैदराबाद का एक कपल भी शामिल है। उच्चतम न्यायालय की 5 जजों की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है।

केंद्र का विरोध, क्या तर्क दिए?

वैसे केंद्र सरकार ने जो नया हलफनामा दायर किया था उसमें कहा था कि विवाह एक ऐसा मसला है, जो विधायिका के दायरे में आता है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि किसी भी फैसले से राज्यों के अधिकार प्रभावित होंगे। खासकर इस विषय पर कोई कानून बनाने से राज्यों के अधिकार में हस्तक्षेप होगा। ऐसे में उनकी राय जरूरी है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ सेक्रेटरी को इस मामले में पत्र लिखा था और उनकी राय मांगी थी।

केंद्र सरकार ने अपने एफिडेविट में कहा था कि जो लोग सेम सेक्स मैरिज को लीगल करने की मांग कर रहे हैं, वे अर्बन एलीट (शहरी अभिजात्य) हैं और यह आम भारतीय की राय या भावना नहीं है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी।

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