OPS को लेकर रिजर्व बैंक ने राज्यों को किया आगाह, सरकारी खजाने के लिए नुकसानदेह
By: Rajesh Bhagtani Tue, 12 Dec 2023 3:35:21
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू किये जाने को लेकर आगाह किया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इससे राज्यों के स्तर पर राजकोषीय परिदृश्य को लेकर बड़ा जोखिम है और आने वाले वर्षों में उनके लिये ऐसी देनदारी बढ़ेगी, जिसके लिये पैसे की व्यवस्था नहीं है। आरबीआई ने ‘राज्य वित्तः 2022-23 के बजट का अध्ययन’ शीर्षक से अपनी रिपोर्ट में यह बात ऐसे समय कही है जब हाल ही में हिमाचल प्रदेश ने महंगाई भत्ते से जुड़ी पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करने की घोषणा की है। उन्होंने राज्य सरकारों को नसीहत दी कि जनता को लुभाने वाले वादों के कारण उनकी वित्तीय सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। सरकारी खजाने के लिए ओपीएस बहुत नुकसानदेह साबित होगी।
इससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड ने केंद्र सरकार तथा पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को ओपीएस बहाल करने के अपने निर्णय के बारे में जानकारी दी थी। पंजाब सरकार ने भी राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिये ओपीएस लागू करने के संदर्भ में 18 नवंबर, 2022 को अधिसूचना जारी की थी। ये कर्मचारी अभी नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) से जुड़े हैं।
आरबीआई ने राज्यों को सलाह दी है कि वह न्यू पेंशन स्कीम को ही जारी रखें। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट 'स्टेट फाइनेंस: अ स्टडी ऑफ बजट्स ऑफ 2023-24' को जारी करते हुए चेताया कि अगर सारे राज्य ओपीएस फिर से लाते हैं तो उन पर वित्तीय दबाव लगभग 4.5 गुना तक बढ़ जाएगा। ओपीएस का जीडीपी पर बुरा असर दिखेगा। इस पर होने वाले अतिरिक्त खर्च का बोझ 2060 तक जीडीपी का 0.9 फीसदी तक पहुंच जाएगा।
एक जनवरी, 2004 से लागू नई पेंशन प्रणाली अंशदान आधारित पेंशन योजना है। इसमें कर्मचारी के साथ-साथ सरकार भी अंशदान देती है। वहीं पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारियों की पेंशन सेवानिवृत्ति से पहले लिये गए अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत होती है और यह पूरी राशि सरकार की तरफ से दी जाती थी। आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, ‘कुछ राज्य पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की बात कर रहे हैं। इससे राज्यों के स्तर पर राजकोष के परिदृश्य को लेकर एक बड़ा जोखिम मंडरा रहा है…’
इसके अनुसार, वर्तमान खर्चों को भविष्य के लिये स्थगित करके राज्य आने वाले वर्षों में पेंशन मद में ऐसी देनदारी पैदा करेंगे, जिसके लिये वित्त की व्यवस्था नहीं है। कई अर्थशास्त्रियों ने भी पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से लागू करने को लेकर चिंता जतायी है। उनका कहना है कि इससे राज्यों के वित्त पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। पूर्ववर्ती योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने हाल ही में कहा था कि OPS को फिर से लाना बड़ी रेवड़ी होगी। आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, राज्यों ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये बजट में राजस्व खर्च में वृद्धि की है। इन खर्चों में मुख्य रूप से पेंशन और प्रशासनिक सेवाओं जैसे गैर-विकासात्मक खर्च शामिल हैं।
विकास कार्यों के लिए नहीं होगा पैसा
आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, ओपीएस बहाल कर चुके राज्यों की तर्ज पर अन्य राज्य भी इसे लाने पर विचार करने लगे हैं। अगर ऐसा हुआ तो राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और विकास कार्यों पर खर्च में कमी आएगी। आरबीआई ने कहा कि ओपीएस पीछे जाने वाला कदम है। इससे पिछले सुधारों से मिला फायदा खत्म हो जाएगा। इससे आने वाली पीढ़ियों को नुकसान पहुंचने की आशंका भी जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, ओपीएस का आखिरी बैच 2040 के शुरुआत में रिटायर होगा और उन्हें 2060 तक पेंशन मिलती रहेगी।
राजस्व बढ़ाएं, लोक लुभावन वादे न करें - RBI
अगले साल देश में आम चुनाव हैं। ऐसे में आरबीआई ने लोक लुभावन वादों से खर्च बढ़ाने के बजाय राजस्व में इजाफा करने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी राज्य अपनी कमाई में इजाफा करने के बारे में सोचें। राज्यों को रजिस्ट्रेशन फीस, स्टांप ड्यूटी, अवैध खनन रोकने, टैक्स कलेक्शन बढ़ाने, टैक्स चोरी रोकने पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा प्रॉपर्टी, एक्साइज और ऑटोमोबाइल पर लगने वाले टैक्स को रिन्यू करने पर ध्यान देना चाहिए जिससे उनका राजस्व बढ़ेगा।