प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के तहत मुकुंदरा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में देश की सबसे अनूठी टनल का निर्माण कार्य जारी है। शुक्रवार को 8-लेन टनल की खुदाई का काम पूरा कर लिया गया, जिससे दोनों सिरे आपस में मिल गए। इस उपलब्धि पर इंजीनियरों और कर्मचारियों ने खुशी मनाई। 1350 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का यह टनल यातायात के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगा और एनएच 52 पर लगने वाले भीषण जाम से राहत दिलाएगा। अत्याधुनिक ऑस्ट्रेलियाई तकनीक से निर्मित यह 8-लेन टनल 4.9 किलोमीटर लंबी है, जो मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के नीचे बनाई गई है, और इसे देश की सबसे अनोखी सुरंग माना जा रहा है।
पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण का विशेष ध्यान
इस टनल की खासियत यह है कि इसे पर्यावरण और वन्यजीवों को बिना नुकसान पहुंचाए बनाया गया है। टाइगर रिजर्व से 60 मीटर नीचे बनी इस सुरंग से एक्सप्रेसवे का यातायात गुजरेगा, जबकि ऊपर वन्यजीव निर्बाध रूप से विचरण कर सकेंगे। निर्माण के दौरान किसी भी तरह से जंगल को नुकसान नहीं पहुंचाया गया और न ही वन्यजीवों के लिए कोई बाधा उत्पन्न हुई।
1200 करोड़ रुपये की लागत, ट्रैफिक और समय की बचत
इस परियोजना पर लगभग 1200 करोड़ रुपये की लागत आई है। टनल के चालू होने के बाद एनएच 52 पर दरा क्षेत्र में वर्षों से चली आ रही 10 किलोमीटर के जाम की समस्या समाप्त हो जाएगी। साथ ही, इस टनल के जरिए दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का ट्रैफिक एनएच 52 की तुलना में आधे से भी कम हो जाएगा, जिससे यात्रा में लगने वाला समय भी कम होगा।
2025 के अंत तक पूरा होने की संभावना
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य कोटा में गोपालपुरा माता मंदिर के पास से शुरू किया गया है, जबकि कोटा जिले के चेचट से मुंबई की ओर वाहनों की आवाजाही पहले से ही जारी है। टनल निर्माण पूरा होने के बाद यह हाईवे कोटा जिले को सीधे दिल्ली-मुंबई से जोड़ देगा। जानकारी के अनुसार, इस टनल का कार्य 2025 के अंत तक पूरा होने की संभावना है, जिससे यात्रियों को तेज, सुगम और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा।