वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर राजनीतिक मतभेद, 32 पार्टियाँ समर्थन में, 15 विरोध में
By: Rajesh Bhagtani Thu, 08 Aug 2024 3:32:45
नई दिल्ली । केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में बड़ा बयान दिया है। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को लेकर उन्होंने कहा कि देश की 32 पार्टियां 'एक देश-एक चुनाव' के पक्ष में हैं, जबकि, 15 राजनीतिक दल इसके विरोध में थे।
उल्लेखनीय है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर विचार के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 को 18,626 पन्नों की एक रिपोर्ट वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 'एक देश, एक चुनाव' को लेकर कमेटी ने 62 पार्टियों से संपर्क किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, 62 में से 47 राजनीतिक दलों ने ही जवाब दिया था, जिसमें 32 पार्टियों ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का समर्थन किया। इसके अलावा 15 दलों ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' नीति का विरोध किया और 15 पार्टियों ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। जिन पार्टियों ने एक साथ चुनाव का सपोर्ट किया, उनमें से केवल दो ही राष्ट्रीय पार्टियां हैं- बीजेपी और कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP)। ये भी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा है।
भाजपा और एनपीपी के अलावा, जिन पार्टियों ने एक साथ चुनाव का समर्थन किया उनमें एआईएडीएमके भी शामिल है। भाजपा के सहयोगी दल ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू), अपना दल (सोनेलाल), असम गण परिषद, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (नागालैंड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, मिजो नेशनल फ्रंट और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ऑफ असम। नीतीश कुमार की जेडीयू, जो हाल ही में महागठबंधन छोड़कर एनडीए में लौटी है। इनके अलावा बीजू जनता दल, शिवसेना (जिसका एक गुट एनडीए के साथ है) और अकाली दल।
रिपोर्ट में बताया गया था कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बसपा ने भी 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के प्रस्ताव का विरोध किया था। वहीं, भाजपा ने इसका समर्थन किया था। हाईकोर्ट के तीन रिटायर्ड जजों ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जताई।
विरोध करने वाले जजों में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अजीत प्रकाश शाह, कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गिरीश चंद्र गुप्ता और मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी शामिल हैं। हालांकि, हाईकोर्ट के 9 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था।
ज्ञातव्य है कि वन नेशन-वन इलेक्शन (एक देश, एक चुनाव) एक प्रस्तावित चुनावी प्रणाली है। इसमें देश में एक ही समय पर सभी चुनाव आयोजित किए जाएंगे। इसका मतलब है कि लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ होंगे। सरकार का मानना है कि इस प्रणाली के समर्थकों का मानना है कि इससे चुनावी प्रक्रिया में सुधार होने के साथ-साथ संसाधनों की भी बचत होगी। इसके अलावा भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी। हालांकि, इसके विरोधी इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हैं, उनका कहना है कि इससे क्षेत्रीय दलों की आवाज दब जाएगी। चुनावी प्रक्रिया जटिल हो जाएगी और मतदाताओं की पसंद सीमित हो जाएगी।
कांग्रेस पार्टी की भी कोविंद पैनल के साथ व्यक्तिगत बैठक हुई थी। इसमें पार्टी ने साफ कहा कि उस देश में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की अवधारणा के लिए कोई जगह नहीं है जिसने सरकार की संसदीय प्रणाली को अपनाया है। कुल मिलाकर कांग्रेस ने इस विचार का विरोध किया है, ये कहते हुए कि यह भारत की संसदीय प्रणाली के अनुकूल नहीं है। बीएसपी ने एक साथ चुनाव कराने के लिए एक रूपरेखा का सुझाव दिया, लेकिन देश के आकार और जनसंख्या के बारे में चिंता भी उठाई। पार्टी ने पहले मौजूदा चुनावी प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। सीपीआई (एम) ने एक साथ चुनाव कराने पर कड़ा विरोध जताया है, इसे 'लोकतंत्र विरोधी' करार दिया। उन्होंने तर्क दिया कि ये संविधान में निहित संसदीय प्रणाली को कमजोर करता है।