प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को प्रयागराज पहुंचे और गंगा में पवित्र स्नान कर महाकुंभ की आस्था में सहभागी बने। स्नान के बाद उन्होंने संगम तट पर गंगा आरती भी की। लेकिन सवाल उठता है कि पीएम मोदी ने गंगा स्नान के लिए विशेष रूप से 5 फरवरी की तिथि को ही क्यों चुना? आइए हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन की विशेषता और शुभ संयोगों को समझते हैं।
5 फरवरी: पुण्यदायी अष्टमी तिथि
हिंदू धर्म में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। 5 फरवरी को माघ मास की अष्टमी तिथि पड़ रही है, जो कि गुप्त नवरात्रि के दौरान आ रही है। गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि को स्नान और दान के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस दिन को भीष्माष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने इसी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण की उपस्थिति में अपने प्राण त्यागे थे और मोक्ष प्राप्त किया था। उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की थी, क्योंकि हिंदू धर्म में उत्तरायण को अत्यंत शुभ समय माना जाता है। इस अवधि में किए गए शुभ कार्यों का विशेष फल प्राप्त होता है।
शुभ योगों की विशेषता
5 फरवरी को केवल अष्टमी तिथि ही नहीं, बल्कि अन्य कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं:
भरणी नक्षत्र: इस दिन भरणी नक्षत्र का प्रभाव रहेगा, जिसके स्वामी शुक्र हैं। शुक्र भौतिक सुख-संपदा और रचनात्मकता के प्रतीक माने जाते हैं। इस नक्षत्र में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
गुरु-शुक्र राशि परिवर्तन योग: इस विशेष संयोग के कारण गंगा स्नान का पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है।
मंत्र जप का महत्व: इस नक्षत्र में किए गए मंत्र जप विशेष फलदायी माने जाते हैं।
5 फरवरी को गंगा स्नान क्यों विशेष?
इन सभी धार्मिक और ज्योतिषीय संयोगों के कारण 5 फरवरी का दिन गंगा स्नान के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। प्रधानमंत्री मोदी का यह स्नान न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की प्राचीन परंपराओं और धार्मिक आस्था को भी प्रकट करता है।