महाकुंभ 2025: हर्षा रिछारिया और स्वामी आनंद स्वरूप के आरोप-प्रत्यारोप से मचा बवाल, संत ने जारी किया वीडियो, कही यह बात

By: Sandeep Gupta Fri, 17 Jan 2025 10:22:58

महाकुंभ 2025: हर्षा रिछारिया और स्वामी आनंद स्वरूप के आरोप-प्रत्यारोप से मचा बवाल, संत ने जारी किया वीडियो, कही यह बात

प्रयागराज महाकुंभ में इन दिनों हर्षा रिछारिया और शांभवी पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप के बीच विवाद ने जोर पकड़ लिया है। खुद को 'सबसे सुंदर साध्वी' कहे जाने वाली हर्षा रिछारिया ने रोते हुए महाकुंभ छोड़ने का ऐलान किया और इसके लिए स्वामी आनंद स्वरूप को जिम्मेदार ठहराया। स्वामी आनंद स्वरूप ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी करते हुए हर्षा रिछारिया के आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा, 'महाकुंभ में लाखों लोग आते हैं। हर्षा रिछारिया को मैंने सिर्फ सही रास्ता दिखाने की कोशिश की है। वह दो साल से आचार्य के रथ पर बैठकर साध्वी होने का दावा कर रही थी। जब मुझे सच्चाई का पता चला, तो मैंने उसे रोका।' स्वामी ने आगे कहा कि हर्षा रिछारिया की शादी अगले महीने है और भगवा वस्त्र पहनकर सन्यास का दिखावा करना सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हर्षा रिछारिया दोबारा त्रिपुंड लगाएगी, तो वे फिर से इस पर आपत्ति जताएंगे।

हर्षा रिछारिया ने दिया भावुक जवाब


हर्षा रिछारिया ने अपने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, 'मुझे धर्म और सनातन संस्कृति को समझने का मौका नहीं दिया गया। मुझे इस तरह परेशान किया गया कि अब महाकुंभ में रुकना मुश्किल हो गया है। यह कुंभ मेरे जीवन में एक बार आया था, लेकिन आनंद स्वरूप जी ने मुझसे यह मौका छीन लिया।' उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें रथ पर बैठने के कारण निशाना बनाया गया और अब उन्हें यह महसूस हो रहा है कि उनका यहां रहना किसी अपराध जैसा है।

अमृत स्नान के दौरान रथ पर बैठने से विवाद

महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में हर्षा रिछारिया को महामंडलेश्वर के शाही रथ पर बैठते देखा गया था। यह दृश्य सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर तेजी से वायरल हुआ। इसके बाद साधु-संतों के एक वर्ग ने इसका विरोध किया। स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा, 'आचार्य के रथ पर किसी मॉडल को बैठाकर अमृत स्नान पर जाना समाज के लिए गलत संदेश देता है। धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है।'

शंकराचार्य की प्रतिक्रिया

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी इस मामले में टिप्पणी की। उन्होंने कहा, 'महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता के बजाय हृदय की सुंदरता पर ध्यान देना चाहिए। जो यह तय नहीं कर पाया है कि उसे संन्यास लेना है या शादी करनी है, उसे शाही रथ पर जगह देना उचित नहीं है।'

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