नए साल के पहले ही दिन ISRO ने रचा इतिहास, लॉन्च किया XPoSat सैटेलाइट, रेडिएशन की करेगा स्टडी

By: Priyanka Maheshwari Mon, 01 Jan 2024 10:08:00

नए साल के पहले ही दिन ISRO ने रचा इतिहास, लॉन्च किया XPoSat सैटेलाइट, रेडिएशन की करेगा स्टडी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने साल 2024 के पहले ही दिन इतिहास रच दिया है। साल के पहले दिन ISRO ने दुनिया का दूसरा और देश का पहला ऐसा सैटेलाइट लॉन्च कर दिया है, जो पल्सर, ब्लैक होल्स, आकाशगंगा और रेडिएशन आदि की स्टडी करेगा। इस उपग्रह की लाइफ 5 साल की है। इसका नाम एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) है। इसके साथ ही 10 अन्य पेलोड भी लॉन्च किए गए हैं। PSLV-C58 को आज सुबह 9:10 बजे लॉन्च किया गया। यह महज 21 मिनट में अंतरिक्ष में 650 किमी ऊंचाई पर जाएगा। यह प्रक्षेपण पीएसएलवी रॉकेट श्रृंखला का 60वां प्रक्षेपण है। XPoSat की लॉन्चिंग से एक दिन पहले वैज्ञानिकों ने तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर की पूजा की।

650 KM की ऊंचाई पर तैनाती

इसरो ने बताया कि इस उपग्रह का लक्ष्य सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण पता लगाना है। यह किस आकाशीय पिंड से आ रही हैं, यह रहस्य इन किरणों के बारे में काफी जानकारी देते हैं। पूरी दुनिया में एक्स-रे ध्रुवीकरण को जानने का महत्व बढ़ा है। यह पिंड या संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद उसके बचे अत्यधिक द्रव्यमान वाले हिस्से), आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक आदि को समझने में मदद करता है। इससे आकाशीय पिंडों के आकार और विकिरण बनाने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी। इसमें लगे टेलिस्कोप को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है। यह सैटेलाइट ब्रह्मांड के 50 सबसे ज्यादा चमकने वाले स्रोतों की स्टडी करेगा। जैसे- पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बाइनरी, एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई, नॉन-थर्मल सुपरनोवा। सैटेलाइट को 650 km की ऊंचाई पर तैनात किया जाएगा।

7 साल पहले हुई शुरुआत

इसरो ने साल 2017 में इस मिशन की शुरूआत की थी। इस मिशन की लागत 9:50 करोड़ रुपए है। लॉन्चिंग के करीब 22 मिनट बाद ही एक्सपोसैट सैटेलाइट अपनी निर्धारित कक्षा में तैनात हो चुका है। इस सैटेलाइट में दो पेलोड्स हैं। पहला - पोलिक्स (POLIX) और दूसरा एक्सपेक्ट (XSPECT)।

क्या है पोलिक्स?

पोलिक्स इस सैटेलाइट का मुख्य पेलोड है। इसे रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट और यूआर राव सैटेलाइट सेंटर ने मिलकर बनाया है। 126 किलोग्राम का यह यंत्र अंतरिक्ष में स्रोतों के चुंबकीय फील्ड, रेडिएशन, इलेक्ट्रॉन्स आदि की स्टडी करेगा। यह 8-30 keV रेंज की एनर्जी बैंड की स्टडी करेगा। पोलिक्स अंतरिक्ष में मौजूद 50 में से 40 सबसे ज्यादा चमकदार चीजों की स्टडी करेगा।

ये 10 उपग्रह भी होने हैं स्थापित

- रेडिएशन शील्डिंग एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल, इसे टेक मी 2 स्पेस कंपनी ने बनाया
- महिलाओं का बनाया उपग्रह, जिसे एलबीएस महिला तकनीकी संस्थान ने तैयार करवाया
- बिलीफसैट, एक रेडियो उपग्रह जो केजे सोमैया तकनीकी संस्थान ने शौकिया तौर पर बनवाया
- ग्रीन इम्पल्स ट्रांसमीटर, इसे इंस्पेसिटी स्पेस लैब ने बनाया
- लॉन्चिंग एक्सपीडिशंस फॉर एस्पायरिंग टेक्नोलॉजीस टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर उपग्रह, इसे ध्रुव स्पेस ने बनाया
- रुद्र 0.3 एचपीजीपी और आर्का 200, दोनों उपग्रह बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने विकसित किए
- डस्ट एक्सपेरिमेंट, जिसे इसरो के पीआरएल ने बनाया
- फ्यूल सेल पावर सिस्टम और सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा सेल, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने बनाया

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