पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच का तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। भारत ने जहां सख्त और निर्णायक कदम उठाकर पाकिस्तान के खिलाफ कठोर संदेश दिया है, वहीं पाकिस्तान ने भी अरब सागर में मिसाइल परीक्षण के लिए नोटिफिकेशन जारी कर अपनी मंशा का खुला इजहार कर दिया है। ऐसे माहौल में यह सवाल और भी प्रासंगिक हो गया है—क्या अब यह टकराव केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहेगा? क्या ‘कड़ी निंदा’ और ‘कड़ी कार्रवाई’ से आगे बढ़कर अब कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है? हालात के गंभीरता की ओर इशारा करने वाले 7 अहम संकेत सामने आए हैं, जो बताते हैं कि अब मामला केवल कूटनीति या बयानबाज़ी तक नहीं रहा।
1. राफेल और सुखोई-30 के साथ भारतीय वायुसेना का युद्धाभ्यास
तेज होते तनाव के बीच भारतीय वायुसेना ने अपनी तैयारियां और तेज कर दी हैं। वायुसेना ने मध्य सेक्टर में अपने अत्याधुनिक और घातक लड़ाकू विमानों—राफेल और सुखोई-30 के साथ एक महत्वपूर्ण युद्धाभ्यास किया है। यह अभ्यास न केवल रणनीतिक रूप से अहम इलाके में किया गया, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
2. 27 देशों के राजदूतों के साथ कूटनीतिक बैठक
भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान का सीधा हाथ होने की जानकारी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट रूप से दी है। विदेश सचिव ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन, जापान और जर्मनी समेत 27 देशों के राजदूतों को ब्रीफिंग दी। यह कूटनीतिक कदम इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत अब केवल प्रतिक्रियात्मक नीति पर नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई की दिशा में बढ़ रहा है।
3. रूसी मीडिया की रणनीतिक चेतावनी
रूस के एक प्रमुख मीडिया संस्थान ने एक गंभीर चेतावनी दी है, जिसमें कहा गया है कि दो परमाणु हथियारों से लैस देशों के बीच जल्द ही कुछ बड़ा हो सकता है। इस तरह की चेतावनियां केवल पत्रकारिता तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि यह ऐसे देशों की खुफिया एजेंसियों की समझ और रणनीतिक संकेतों पर आधारित होती हैं।
4. पाकिस्तान का मिसाइल परीक्षण नोटिफिकेशन
पाकिस्तान ने 24-25 अप्रैल के बीच अरब सागर में मिसाइल परीक्षण की अधिसूचना (NOTAM) जारी की है, जिसकी टेस्ट रेंज 480 किमी बताई जा रही है। इस तरह के परीक्षण आमतौर पर सैन्य तैयारी के तहत किए जाते हैं, लेकिन मौजूदा हालात में यह एक सीधा राजनीतिक संकेत भी माना जा रहा है—विशेषकर तब, जब सीमावर्ती इलाकों में तनाव चरम पर है।
5. राष्ट्रपति से अमित शाह और एस. जयशंकर की मुलाकात
हमले के बाद गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। आम तौर पर इस प्रकार की बैठकें तभी होती हैं जब कोई बड़ा राष्ट्रीय निर्णय लेने की स्थिति हो। यह संकेत है कि सरकार अब केवल शब्दों और प्रतिक्रियाओं से आगे बढ़कर नीतिगत और सैन्य स्तर पर बड़े कदम उठाने की ओर बढ़ रही है।
6. सर्वदलीय बैठक में एकजुटता का प्रदर्शन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सत्तारूढ़ और विपक्षी सभी दलों ने एकजुट होकर आतंकी हमले की निंदा की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने भी सरकार को पूर्ण समर्थन देने की बात कही। यह स्पष्ट करता है कि भारत का संपूर्ण राजनीतिक नेतृत्व अब एक सुर में पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने के पक्ष में है।
7. प्रधानमंत्री मोदी का सख्त संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मधुबनी से एक सख्त संदेश देते हुए कहा कि यह हमला भारत की आत्मा पर हमला है और इसके पीछे जो लोग हैं, उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। उन्होंने यह चेतावनी भाषण के अंत में अंग्रेज़ी में भी दोहराई ताकि विश्व समुदाय को भारत की मंशा का स्पष्ट संकेत मिले। प्रधानमंत्री का यह बयान भारत की नई नीति को दर्शाता है—अब केवल जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंक की जड़ को खत्म करना ही लक्ष्य है।
क्या अब टकराव टाल पाना संभव है?
इन सभी संकेतों को मिलाकर देखा जाए, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत और पाकिस्तान अब ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां कूटनीतिक संयम की गुंजाइश लगातार सिमटती जा रही है। भारत की राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक तैयारियां यह स्पष्ट संकेत दे रही हैं कि अगर पाकिस्तान ने अपनी गतिविधियां नहीं रोकीं, तो यह टकराव जल्द ही एक महायुद्ध का रूप ले सकता है—और यह युद्ध केवल सीमाओं का नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए होगा।