महाकुंभ में भगदड़ के 36 घंटे बाद भी जारी है अपनों की तलाश
By: Sandeep Gupta Fri, 31 Jan 2025 1:04:02
महाकुंभ में हुए दुर्घटना को 36 घंटे से अधिक हो चुके हैं, लेकिन जीतेन्द्र साहू की आंखों में अब तक नींद नहीं आई है। वे अपनी 70 वर्षीय बुआ शकुंतला देवी को बेताबी से खोज रहे हैं, जो ग्वालियर से 15 श्रद्धालुओं के समूह के साथ मौनी अमावस्या के पावन स्नान के लिए आई थीं। जीतेन्द्र की आवाज भर्राने लगती है जब वे कहते हैं, "हमें हादसे के बाद से बुआ से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। उनके गले में पहचान पत्र था, लेकिन उनका फोन बंद है और उन्होंने किसी से संपर्क नहीं किया। हमें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें।" जीतेन्द्र की तरह ही कई अन्य परिवार भी अपने गुमशुदा परिजनों की तलाश में लगे हुए हैं। कुछ लोग अपनों से मिल चुके हैं, लेकिन कई अब भी लापता हैं।
लोग थककर चूर, मदद की उम्मीद में बैठे
बुधवार शाम तक सैकड़ों लोग डिजिटल लापता-खोज केंद्र के आसपास थके-हारे पड़े मिले। वे अपने परिजनों की कोई खबर मिलने का इंतजार कर रहे थे। कई लोग इतने थक चुके थे कि अधिकारियों से मदद मांगने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे थे।
कैसे हुई भगदड़?
यह दुर्घटना बुधवार तड़के 1 बजे से 2 बजे के बीच घटी, जब भारी भीड़ ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और उन श्रद्धालुओं को कुचल दिया, जो घाटों पर रातभर मौनी अमावस्या के पवित्र स्नान के लिए इंतजार कर रहे थे।
सरकारी पुष्टि और जांच के आदेश
घटना के लगभग 18 घंटे बाद, मेला प्रशासन ने एक संक्षिप्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुष्टि की कि 30 लोगों की मौत हो चुकी है और 60 से अधिक लोग घायल हैं। प्रशासन ने न्यायिक जांच के आदेश भी दिए हैं।
अब भी ज्यादातर महिलाएं लापता
गुमशुदा लोगों में से अधिकांश महिलाएं हैं। हमीरपुर के ढेहा डेरा गांव की फूली निषाद भी मौनी अमावस्या से लापता हैं। उनके बेटे राजेश निषाद, जो अहमदाबाद में काम करते हैं, ने बताया, "मेरी मां मेले में परिवार से बिछड़ गईं और तब से उनका कोई पता नहीं चल पाया है।" लापता लोगों के परिजन अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वे जल्द ही अपने अपनों से मिल सकेंगे।