नागा साधु और अघोरी के खानपान में होता है फर्क, जानें दोनों की जीवनशैली का अंतर
By: Priyanka Maheshwari Mon, 20 Jan 2025 5:59:54
महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में नागा साधुओं के अखाड़े अपनी अलग ही रौनक बिखेरते हैं, और वहां उनके बीच चल रही चर्चाओं में लोग अक्सर उलझे रहते हैं। हालांकि, नागा साधु और अघोरी दोनों ही हिंदू धर्म के साधु होते हैं, लेकिन इनकी जीवनशैली और खानपान में बड़ा अंतर होता है। इन दोनों साधुओं का बाहरी लुक समान होता है, जैसे शरीर पर भस्म, रुद्राक्ष की माला, शस्त्र आदि, जिससे इन दोनों को पहचान पाना कठिन हो जाता है। फिर भी इनकी जीवनशैली और आहार में अंतर को समझना जरूरी है।
जीवनशैली में अंतर:
नागा साधु: ये साधु आमतौर पर जंगलों, गुफाओं और पहाड़ों में रहते हैं और शिव की तपस्या में लीन रहते हैं। इनकी जीवनशैली शांति, ध्यान और योग पर आधारित होती है। इनका उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति और भगवान शिव के साथ एकात्मकता प्राप्त करना होता है।
अघोरी साधु: अघोरी साधु अपनी अधिकतर साधना श्मशान घाटों में करते हैं। उनका मुख्य ध्यान तंत्र-मंत्र, अंधकार की शक्तियों, और शवों से जुड़े विषयों पर होता है। ये अपने आंतरिक शक्ति और तंत्र विद्या के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए श्मशान का रुख करते हैं।
खानपान में अंतर:
नागा साधु: अधिकांश नागा साधु शाकाहारी होते हैं। इनका भोजन साधारण और सात्विक होता है, जिसमें फल, सब्जियां, और अनाज शामिल होते हैं। ये भोजन मुख्य रूप से भिक्षाटन द्वारा प्राप्त करते हैं और अपने नियमों के अनुसार दिन में एक बार ही भोजन करते हैं। इनका यह भी नियम है कि वे एक दिन में 7 घरों से ज्यादा भिक्षा नहीं लेते। कुछ नागा साधु मांसाहारी भी होते हैं, लेकिन यह संख्या बहुत कम होती है।
अघोरी साधु: अघोरी साधु का खानपान बहुत ही भिन्न होता है। ये मांसाहारी होते हैं और किसी भी प्रकार का भोजन, जिसमें मांस, मदिरा और अन्य व्यसनयुक्त चीजें शामिल होती हैं, ग्रहण कर लेते हैं। अघोरी साधु कभी-कभी श्मशान में शवों का मांस और अन्य अजीबोगरीब पदार्थ भी खाते हैं। इनका खानपान बहुत लचीला होता है और इनमें कोई विशेष प्रतिबंध नहीं होता।