बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में ली दीक्षा, बनीं संन्यासी
By: Sandeep Gupta Fri, 24 Jan 2025 7:38:15
कभी बॉलीवुड में अपनी शानदार अभिनय और खूबसूरती से चर्चित ममता कुलकर्णी ने अब एक नया अध्याय शुरू किया है। हाल ही में भारत लौटीं ममता ने प्रयागराज महाकुंभ में हिस्सा लिया और वहां संन्यास लेने का फैसला किया। उन्होंने महाकुंभ में संन्यास की दीक्षा ग्रहण कर आध्यात्मिक जीवन का रास्ता अपनाया। संन्यास लेने के बाद ममता कुलकर्णी को एक नया आध्यात्मिक नाम दिया गया है। अब उन्हें 'श्री यमाई ममता नंद गिरी' के नाम से जाना जाएगा। आज शाम प्रयागराज में ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक होगा, जिसके बाद यह नया नाम आधिकारिक रूप से स्थापित किया जाएगा। ममता कुलकर्णी ने न केवल संन्यास लिया है बल्कि उन्हें किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की पदवी से भी नवाजा जाएगा। यह पदवी उन्हें चादरपोशी की रस्म के बाद प्रदान की जाएगी। ममता ने संगम के किनारे अपने हाथों से पिंडदान कर आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की।
किसने दी ममता को दीक्षा
अब से ममता कुलकर्णी को 'श्री यामाई ममता नंद गिरि' के नाम से जाना जाएगा। उन्हें यह आध्यात्मिक नाम जूना अखाड़े के आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी द्वारा दीक्षा के दौरान दिया गया। संन्यास लेने के बाद ममता ने भगवा वस्त्र धारण कर लिया है और फिलहाल किन्नर अखाड़े में ठहरी हुई हैं।
सिल्वर स्क्रीन से महामंडलेश्वर तक का सफर
ममता कुलकर्णी का सफर बेहद रोचक और प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने साल 1992 की सुपरहिट फिल्म 'तिरंगा' से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की। इसके बाद ममता ने 'आशिक आवारा,' 'करण अर्जुन,' 'वक्त हमारा है,' और 'क्रांतिवीर' जैसी बड़ी फिल्मों में काम कर दर्शकों के दिलों पर राज किया।
उनकी आखिरी हिट फिल्म 'छुपा रुस्तम' साल 2001 में रिलीज हुई थी। इसके बाद ममता ने 2002 में आई फिल्म 'कभी हम कभी तुम' के साथ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया और केन्या में बस गईं।
भाषाओं में भी शानदार योगदान
हिंदी फिल्मों के अलावा, ममता ने कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बांग्ला और मलयालम जैसी भाषाओं की फिल्मों में भी अभिनय किया। अपने अभिनय करियर में उन्होंने विभिन्न शैलियों में काम कर अपनी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया।
24 साल बाद भारत लौटीं ममता कुलकर्णी
ममता कुलकर्णी, जो कभी बॉलीवुड की चमक-धमक का हिस्सा थीं, हाल ही में 24 साल के लंबे अंतराल के बाद भारत लौटी हैं। इतने वर्षों तक वह कहां रहीं और क्यों बॉलीवुड से दूर हो गईं, इस पर ममता ने खुद खुलासा किया। ममता ने कहा, "मेरे भारत छोड़ने की वजह अध्यात्म था।" 1996 में उनके जीवन में अध्यात्म के प्रति झुकाव बढ़ा, और उसी दौरान उनकी मुलाकात गुरु गगन गिरी महाराज से हुई। उन्होंने बताया, "गुरुजी के मार्गदर्शन के बाद, मेरे मन में अध्यात्म के प्रति रुचि और गहरी होती गई। यही वह समय था, जब मैंने तपस्या का मार्ग चुन लिया।"
बॉलीवुड से दूरी
ममता ने अपनी पुरानी जिंदगी को याद करते हुए कहा, "बॉलीवुड ने मुझे नाम और शोहरत दी, लेकिन फिर एक समय ऐसा आया, जब मेरा उससे नाता छूट गया।" उन्होंने बताया कि 2000 से 2012 तक वह तपस्या में लीन रहीं। अपनी तपस्या के दौरान ममता ने दुबई में एक साधारण जीवन जिया। उन्होंने बताया, "मैं दुबई में दो बेडरूम के एक हॉल में रहती थी और 12 सालों तक ब्रह्मचारी रही।" ममता का यह सफर उनके भीतर के बदलाव और शांति की खोज का प्रतीक है।
फिल्मी चकाचौंध से दूर अब ममता कुलकर्णी आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश कर चुकी हैं। संन्यास लेकर और भगवा धारण कर उन्होंने अपने जीवन को एक नई दिशा दी है। ममता का यह परिवर्तन न केवल उनके लिए बल्कि उनके प्रशंसकों और समाज के लिए भी एक प्रेरणा है।
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