नौ महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनकी टीम सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आई है। बुधवार तड़के, स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल चारों अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर फ्लोरिडा के समुद्र में सफलतापूर्वक लैंड हुआ। अंतरिक्ष से पृथ्वी तक का यह सफर 17 घंटे लंबा था, लेकिन इस दौरान 7 मिनट का सांसें रोक देने वाला पल भी आया।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से पृथ्वी तक की यात्रा चुनौतियों से भरी थी। जब स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, तो उसका तापमान 1900 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया और कम्युनिकेशन ब्लैकआउट हो गया। यह ब्लैकआउट 7 मिनट तक चला, जब नासा का अपने स्पेसक्राफ्ट से कोई संपर्क नहीं था। हालांकि, यह सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन बेहद चुनौतीपूर्ण होती है। 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल हादसे के दौरान कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु इसी चरण में हुई थी। इसलिए यह समय किसी भी स्पेसक्राफ्ट के लिए बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील होता है।
सुनीता विलियम्स सहित चारों अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित बाहर निकाले गए। ब्लैकआउट खत्म होने के बाद बुधवार सुबह 3:20 बजे स्पेसक्राफ्ट से संपर्क फिर से स्थापित हुआ, जिससे यह सुनिश्चित हो सका कि कैप्सूल सही दिशा में बढ़ रहा है। अंततः फ्लोरिडा के समुद्र में सफल लैंडिंग के बाद सभी यात्रियों को सावधानीपूर्वक बाहर निकाला गया। इस मिशन को खास माना जा रहा है क्योंकि यह भविष्य में चंद्रमा और मंगल पर भेजे जाने वाले अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इसके साथ ही, सुनीता विलियम्स ने अपने तीसरे अंतरिक्ष मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है, जिससे भारत समेत पूरी दुनिया में खुशी की लहर है।
क्या होता है कम्युनिकेशन ब्लैकआउट?
जब कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो उसकी गति लगभग 28,000 किमी प्रति घंटे होती है। इतनी तेज़ रफ्तार से गुजरने के दौरान, स्पेसक्राफ्ट वायुमंडल से रगड़ (फ्रिक्शन) खाता है, जिससे उसका तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है। इस घर्षण के कारण, स्पेसक्राफ्ट के चारों ओर प्लाज्मा (आयनीकृत गैस) की परत बन जाती है, जो रेडियो तरंगों को अवरुद्ध कर देती है।
इस स्थिति को ही कम्युनिकेशन ब्लैकआउट कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान स्पेसक्राफ्ट और मिशन कंट्रोल सेंटर के बीच सिग्नल पूरी तरह कट जाता है। यह एक बेहद संवेदनशील और जोखिम भरा चरण होता है, क्योंकि वैज्ञानिकों को कुछ मिनटों तक स्पेसक्राफ्ट की वास्तविक स्थिति का पता नहीं चल पाता।
हालांकि, इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को पार करते हुए, स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल सफलतापूर्वक समुद्र में लैंड हुआ। इसके बाद, एक-एक कर चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस तरह, 286 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने के बाद, सुनीता विलियम्स और उनके साथियों ने फिर से पृथ्वी की ताजी हवा में सांस ली और उनका मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ।