जानें शनिदेव के चमत्कारी धामों के बारे में, जहाँ भक्तों के कटते हैं संकट
By: Anuj Thu, 01 Aug 2024 10:02:05
ज्योतिष के अनुसार हर व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का सामना करना पड़ता है। शनि देव के उपाय और पूजन से शनि दोष दूर होता है। सनातन धर्म में शनि देव की पूजा का बड़ा महत्व है। 'न्याय के देवता' कहे जाने वाले शनि देव की पूजा करने से जीवन से सभी कष्टों से निजात मिलता है। शनि देव को शनिवार का दिन समर्पित है। माना जाता है कि शनिवार को किसी शनि मंदिर में जाकर भगवान की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में आ रही बाधएं दूर होनी लगती हैं। भारत में शनि देव के कई प्रसिद्ध चमत्कारी मंदिर हैं। देश के हर कोने में शनिदेव को पूजा जाता है। लेकिन शनि देव के कुछ मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। आज हम आपको शनिदेव के उन चमत्कारी धामों के बारे में बताएंगे जहां शनिदेव विराजते हैं।
कोकिलावन धाम शनि मंदिर
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में दिल्ली से 128 किमी की दूर कोसीकलां नाम की जगह पर सूर्यपुत्र भगवान शनिदेव का मंदिर है। नंदगांव, बरसाना और श्री बांकेबिहारी मंदिर इसके आसपास ही है। यहां की परिक्रमा करने पर मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मान्यता है कि यहां पर खुद भगवान कृष्ण ने शनिदेव को दर्शन दिए थे और वरदान दिया था कि जो भी मनुष्य पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस वन की परिक्रमा करेगा उसे शनि कभी कष्ट नहीं पहुचाएंगे।
शिंगणापुर मंदिर
शनि देव का यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदानगर जिले के शिंगणापुर गांव में है और यह काफी प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर से जुड़ा ऐसा चमत्कार है कि इस गांव के लोग अपने घरों में ताला भी नहीं लगाते हैं। क्योंकि लोगों का ऐसा मानना है कि शनि देव की महिमा के कारण यहां चोरी नहीं होती। साथ ही इस मंदिर के दर्शन से शनि की साढ़ेसारी और ढैय्या भी दूर होती है।
शनि मंदिर (इंदौर)
शनिदेव का प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है। ये भारत का ही नहीं दुनिया का सबसे प्राचीन शनि मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि जूनी इंदौर में स्थापित इस मंदिर में शनि देवता स्वयं पधारे थे। मंदिर के स्थान पर लगभग 300 वर्ष पहले एक 20 फुट ऊंचा टीला था। यहां आने वाले भक्त पर शनिदेव की विशेष कृपा बरसती है।
शनि तीर्थ क्षेत्र, असोला, फतेहपुर बेरी
यह मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है। यहां शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति विद्यमान है, जो कि अष्टधातुओं से बनी है। शनिदेव की भक्ति का यह स्थान हमेशा से केंद्र रहा है और यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती हैं। यहां एक प्रतिमा में शनिदेव गिद्ध और दूसरे में भैंस पर सवार हैं। असोला शक्ति पीठ को लेकर मान्यता है कि यहां शनिदेव स्वयं जागृत अवस्था में विराजमान हैं।
शनि मंदिर उज्जैन
मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है। सांवेर रोड पर प्राचीन शनि मंदिर भी यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां शनि देव के साथ-साथ अन्य नवग्रह भी हैं। इसे नवग्रह मंदिर भी कहा जाता है। यहां दूर-दूर से शनि भक्त तथा शनि प्रकोप से प्रभावित लोग दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर के पास से ही शिप्रा नदी बहती है जिसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है।
तिरुनल्लरु मन्दिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थित यह मंदिर भी शनि देव को समर्पित है। यह मंदिर दो नदियों के बीच स्थित है। यहां शनि देव के साथ भगवान शिव के दर्शन और पूजन से कुंडली से जुड़े सभी दोष दूर होते हैं। शनि देव जब राशि परिर्तन करते हैं तब इस मंदिर में विशेष पूजा होती है।
शनिश्चरा मंदिर ग्वालियर
यह शनि मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में है। यह शनि मंदिर भारत के पुराने शनि मंदिरों में से एक है। यह शनि पिंड भगवान हनुमान ने लंका से फेंका था जो यहां आकर गिरा। तब से शनि देव यहीं पर स्थापित हैं। यहां शनि देव को तेल चढ़ाने के बाद उनसे गले मिलने की प्रथा भी है। जो भी यहां आता है वह बड़े प्यार से शनि देव से गले मिलकर अपनी तकलीफें उनसे बांटता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से शनि उस व्यक्ति की सारी तकलीफें दूर कर देते हैं।
सारंगपुर कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर
गुजरात में भावनगर के सारंगपुर में भगवान हनुमान का एक प्राचीन मंदिर है। जिसे कष्टभंजन हनुमानजी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर अपने आप में ही खास है क्योंकि इस मंदिर में भगवान हनुमान के साथ शनिदेव विराजित हैं। इतना ही नहीं यहां पर शनिदेव स्त्री रूप में हनुमान के चरणों में बैठे दिखाई देते हैं। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यदि किसी भी भक्त की कुंडली में शनि दोष हो तो कष्टभंजन हनुमान के दर्शन और पूजा-अर्चना करने से सभी दोष खत्म हो जाते है।
शनि मंदिर, प्रतापगढ़
भारत के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक शनि मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित है, जो शनि धाम के रूप में प्रख्यात है। प्रतापगढ़ जिले के विश्वनाथगंज बाजार से लगभग 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में भगवान शनि का प्राचीन पौराणिक मंदिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है, जहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है। अवध क्षेत्र के एकमात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण प्रतापगढ़ (बेल्हा) के साथ-साथ कई जिलों के भक्त आते हैं। प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।