भगवान महाकाल हैं उज्जैन के राजा, जानें महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी पूरी जानकारी

By: Ankur Sat, 17 June 2023 5:57:40

भगवान महाकाल हैं उज्जैन के राजा, जानें महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी पूरी जानकारी

भारत को अपने मंदिरों और आस्था के लिए जाना जाता हैं। देश में एक से बढ़कर एक मंदिर हैं जिसमें से कुछ अपनी भव्यता तो कुछ अपने चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर हैं मध्य प्रदेश के उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर जो सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा बेहद खास ज्योतिर्लिंग है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं जिसकी कीर्ति देश-विदेश में फैली हुई है। सालभर यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है, दुनियाभर से यहां लोग ज्योंतिर्लिंग के दर्शन के लिए आया करते हैं। इस मंदिर में दक्षिण मुखी महाकालेश्वर महादेव भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस जगह को भगवान शिव का पवित्र निवास स्थान माना जाता है। आज इस कड़ी में हम आपको महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको यहां आने पर मजबूर कर देगी। आइये जानते हैं इसके बारे में...

mahakaleshwar temple ujjain,ujjain mahakaleshwar jyotirlinga,famous temples in ujjain,lord shiva temple in ujjain,spiritual pilgrimage in ujjain,ancient temples of ujjain,mahakaleshwar jyotirlinga darshan,sacred places in ujjain,ujjain mahakaleshwar temple timings,ujjain mahakaleshwar temple history

महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास

महाकालेश्वर के इतिहास के बारे में बात करें तो, बता दें कि सन 1107 से लेकर 1728 तक उज्जैन में यवनों का शासन रहा था। इस शासन काल में लगभग हिंदुओं की प्राचीन परम्पराएं लगभग नष्ट हो गई थी। इसके बाद मराठो ने 1690 में मालवा क्षेत्र में हमला कर दिया था। फिर 29 नवंबर 1728 में मराठा शासकों ने मालवा में अपना शासन कर लिया था। इसके बाद उज्जैन की खोया हुआ गौरव और चमक फिर से वापस आई इसके बाद यह साल 1731 से 1728 के बाद यह मालवा मालवा की राजधानी बनी रही। मराठो के अधिपत्य के समय यहां पर 2 बड़ी घटनाए हुई। पहली घटना यह थी कि पहले यहां पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर का फिर से निर्माण किया गया और ज्योतिर्लिंग की ख़ोई हुई प्रतिष्ठा वापस मिली। इसके अलावा यहाँ सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना की गई जो बेहद खास उपलब्धि थी। आगे चलकर इस मंदिर का विस्तार राजा भोज द्वारा किया गया।

mahakaleshwar temple ujjain,ujjain mahakaleshwar jyotirlinga,famous temples in ujjain,lord shiva temple in ujjain,spiritual pilgrimage in ujjain,ancient temples of ujjain,mahakaleshwar jyotirlinga darshan,sacred places in ujjain,ujjain mahakaleshwar temple timings,ujjain mahakaleshwar temple history

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

शिव पुराण की कथा के अनुसार, उज्जयिनी में चंद्रसेन नाम का राजा शासन करता था, जो शिव भक्त था। भगवान शिव के गणों में से एक मणिभद्र से उसकी मित्रता थी। एक दिन मणिभद्र ने राजा को एक अमूल्य चिंतामणि प्रदान की, जिसको धारण करने से चंद्रसेन का प्रभुत्व बढ़ने लगा। यश और कीर्ति दूर दूर तक फैलने लगी। दूसरे राज्यों के राजाओं में उस मणि को पाने की लालसा जाग उठी। कुछ राजाओं ने चंद्रसेन पर हमला कर दिया। राजा चंद्रसेन वहां से भागकर महाकाल की शरण में आ गया और उनकी तपस्या में लीन हो गया।

कुछ समय बाद वहां पर एक विधवा गोपी अपने 5 साल के बेटे साथ वहां पहुंची। बालक राजा को शिव भक्ति में लीन देखकर प्रेरित हुआ और वह भी शिवलिंग की पूजा करने लगा। बालक शिव आराधना में इतना लीन हो गया कि उसे मां की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी। उसकी मां उसे भोजन के लिए बार बार आवाज लगा रही थी। बालक के न आने पर गुस्साई मां उसके पास गई और पीटने लगी। शिव पूजा की सामग्री भी फेंक दी। बालक मां के इस व्यवहार से दुखी हो गया। तभी वहां पर चमत्कार हुआ। भगवान शिव की कृपा से वहां पर एक सुंदर मंदिर निर्मित हो गया, जिसमें दिव्य शिवलिंग भी था और उस पर बालक द्वारा अर्पित की गई पूजा सामग्री भी थी। इस तरह से वहां पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हुई। इस घटना से उस बालक की मां भी आश्चर्यचकित रह गई। जब राजा चंद्रसेन को इस बात की सूचना मिली तो वह भी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने पहुंच गया। जो राजा मणि के लिए चंद्रसेन पर हमला कर रहे थे, वे युद्ध का मार्ग छोड़कर महाकाल की शरण में आ गए। इस घटना के बाद से ही भगवान महाकाल उज्जयिनी में वास करते हैं। जिस प्रकार से काशी के राजा बाबा विश्वनाथ है, वैसे ही उज्जैन के राजा भगवान महाकाल हैं।


महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला

महाकालेश्वर मंदिर मराठा, भूमिज और चालुक्य शैलियों की वास्तुकला का एक सुंदर और कलात्मक मेल है। यह पवित्र मंदिर एक झील के पास स्थित है जो विशाल दीवारों से घिरे हुए विशाल आंगन में स्थित है। बता दें कि इस मंदिर में पांच मंजिले हैं, जिनमें से एक जमीन के अंदर स्थित है। यहां पर महाकालेश्वर की विशाल मूर्ति गर्भगृह (जमीन के अंदर) में स्थित है और यह दक्षिणा-मूर्ति है, जिसका मतलब होता है दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाली मूर्ति। यह खास बाते सिर्फ महाकालेश्वर मंदिर में पाई जाती है।

महाकालेश्वर के इस सुंदर मंदिर के मध्य और ऊपर के हिस्सों में ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर के लिंग स्थापित हैं। लेकिन आप नागचंद्रेश्वर की मूर्ति दर्शन सिर्फ नाग पंचमी के अवसर पर ही कर सकते हैं क्योंकि केवल इसके इस खास मौके पर ही इसे आम जनता के दर्शन के लिए खोला जाता है। इस मंदिर के परिसर में एक बड़ा कुंड भी है जिसको कोटि तीर्थ के रूप में जाना-जाता है। इस बड़े कुंड के बाहर एक विशाल बरामदा है, जिसमें गर्भगृह को जाने वाले मार्ग का प्रवेश द्वार है। इस जगह गणेश, कार्तिकेय और पार्वती के छोटे आकार के चित्र भी देखने को मिलते हैं। यहां पर गर्भगृह की छत को ढंकने वाली गूढ़ चांदी इस तीर्थ जगह की भव्यता को और भी ज्यादा बढ़ाती है। मंदिर में बरामदे के उत्तरी भाग में एक कक्ष है जिसमे भगवान श्री राम और देवी अवंतिका के चित्रों की पूजा की जाती है।

mahakaleshwar temple ujjain,ujjain mahakaleshwar jyotirlinga,famous temples in ujjain,lord shiva temple in ujjain,spiritual pilgrimage in ujjain,ancient temples of ujjain,mahakaleshwar jyotirlinga darshan,sacred places in ujjain,ujjain mahakaleshwar temple timings,ujjain mahakaleshwar temple history

भगवान महाकाल की भस्म आरती

भगवान महाकाल की भस्म आरती देखने का सुनहरा अवसर किसी को ही प्राप्त हो पाता है। मान्यता है इस आरती में शामिल होने वालों के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। रोजाना सुबह भस्म आरती और महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। महाकाल के दर्शन करने के साथ इनकी भस्म आरती भी जरूर देखनी चाहिए। इस तरह की आरती देखने का अवसर सिर्फ आपको उज्जैन में देखने को मिलेगा। आरती में शामिल होने के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग भी करवा सकते हैं। बुकिंग के लिए मंदिर की वेबसाइट पर जा सकते हैं। हालांकि, मंदिर के टिकट काउंटर से भी भस्म आरती की बुकिंग हो सकती है, लेकिन उधर लंबी लाइन मिल सकती है। ध्यान रहे कि आपके पास आपका आईडी प्रूफ भी हो।

भस्म आरती की प्रक्रिया

प्रत्येक सोमवार को निर्वाणी अखाड़ा के साधु-संतों के द्वारा महाकाल मंदिर में भस्म आरती की जाती है। पहले भगवान महाकाल का ठंडे जल से स्नान कराया जाता है जिसके पश्चात उनका पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। पीपल के पत्ते, गोबर के बने कंडे ,बेर के पेड़ की पत्तियां और पलाश को जलाकर भस्म तैयार किया जाता है जिससे भगवान महाकाल की आरती की जाती है।

मंदिर में पूजा के नियम


महाकालेश्वर मंदिर के नियमानुसार भस्म आरती को महिलाएं नहीं देख सकती हैं। अगर वो इस आरती में शामिल हैं तो उन्हें घूंघट करना पड़ता है। बता दें कि भस्म आरती से पहले यहां शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। यहां भस्म आरती में शामिल होने के लिए किसी तरह का भी पहनाव पहन सकते हैं, लेकिन अगर आप जलाभिषेक करना चाहते हैं तो उसके लिए पुरुषों को सिर्फ धोती और महिलाओं को सिर्फ साड़ी पहननी होती है। अन्य तरह के कपड़े पहने होने पर यहां जलाभिषेक करने की अनुमति नहीं है।

उज्जैन में कोई भी राजा नहीं बिता सकता था एक भी रात

महाकाल को उज्जैन का राजा कहा जाता है ऐसे में उनके अलावा इस नगरी में कोई दूसरा शासक या राजा नहीं रुक सकता। पौराणिक कथाओं के अनुसार विक्रमादित्य के शासन के बाद यहां कोई भी राजा रात भर नहीं टिक सका, इस मंदिर का इतिहास है कि जिस व्यक्ति ने भी यह दुस्साहस किया है वह घिर कर मारा गया इसलिए आज भी कोई मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री उज्जैन में रात नहीं बिताते।

महाकालेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे?

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं और सफर की शुरुआत दिल्ली से कर रहे हैं तो आप आसानी से उज्जैन पहुंच सकते हैं। दिल्ली से उज्जैन के लिए बस, रेल सेवा और फ्लाइट आसानी से मिल सकती है। अगर आप चाहें तो अपनी निजी कार से भी उज्जैन के लिए रवाना हो सकते हैं। दिल्ली से उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर की दूरी करीब 831 किलोमीटर है। लगभग 15 घंटे का रास्ता है। कम पैसों में उज्जैन का सफर करना चाहते हैं तो ट्रेन सबसे सस्ता विकल्प है। किसी सामान्य ट्रेन से सफर कर रहे हैं तो लगभग 22 घंटे का समय लग सकता है। सुपरफास्ट ट्रेन से कम समय में उज्जैन पहुंच जाएंगे। उज्जैन रेलवे स्टेशन से महाकालेश्वर मंदिर की दूरी लगभग दो किलोमीटर है। आप आसानी से स्थानीय टैक्सी, कैब या रिक्शा के माध्यम से मंदिर पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर मार्ग में कई सारे होटल, धर्मशालाएं हैं। अपने बजट के मुताबिक, होटल या धर्मशाला में कमरा बुक कर सकते हैं। स्नान आदि के बाद दर्शन के लिए जाएं

ये भी पढ़े :

# गर्मियों में बढ़ जाती हैं नकसीर की समस्या, इन घरेलू तरीकों से करें उपचार

# जिंदगी को खतरे में डाल सकती हैं ब्लड क्लॉटिंग की समस्या, इन घरेलू उपायों से मिलेगा आराम

# इन प्राकृतिक तरीकों की मदद से हटाएं मेकअप, नहीं होगा त्वचा को नुकसान

# भोजन करने की असामान्य प्रक्रिया के चलते आती है पेट से घुर्राने की आवाज, दूर करने के उपाय

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com