पत्नी द्रौपदी संग पांडव भी गये थे गोवा, गवाही देती हैं अर्वलेम गुफाएं

By: Nupur Rawat Thu, 13 Feb 2025 7:29:16

पत्नी द्रौपदी संग पांडव भी गये थे गोवा, गवाही देती हैं अर्वलेम गुफाएं

गोवा अपने अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य, समुंदर, रेत और शानदार बीचेस के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां के शांत समुद्र और सुंदर तट पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिससे यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है। गोवा का इतिहास भी उतना ही दिलचस्प है, जितना उसका दृश्य सौंदर्य। गोवा का इतिहास मुख्य रूप से पुर्तगाली उपनिवेश से जुड़ा हुआ है, क्योंकि लगभग 450 वर्षों तक पुर्तगाल ने गोवा पर शासन किया था, जो इस क्षेत्र की संस्कृति, वास्तुकला और परंपराओं पर गहरा प्रभाव डाल चुका है।

लेकिन, गोवा का इतिहास केवल पुर्तगाली उपनिवेश तक सीमित नहीं है। इसके इतिहास की जड़ें महाभारत काल से जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि जब पांडवों को 13 साल का वनवास मिला था, तो वे इन तटों पर पहुंचे थे। महाभारत के विभिन्न ग्रंथों और काव्य कथाओं में गोवा के किले और गुफाओं का उल्लेख मिलता है, जो पांडवों से जुड़ी हुई हैं। विशेष रूप से, उत्तर गोवा में कई ऐसी गुफाएं हैं, जिनकी ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। ये गुफाएं आज भी पर्यटकों के लिए एक रहस्य बनी हुई हैं और पांडवों के वनवास से जुड़ी घटनाओं को दर्शाती हैं। आधिकारिक तौर पर इस बात के कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं, लेकिन लोक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि पांडव यहां रुके थे और उन्होंने इस क्षेत्र को अपने विश्राम और साधना के लिए चुना था। गोवा के ये प्राचीन स्थल आज भी इतिहास और संस्कृति के अध्ययन के लिए एक आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, और पर्यटक यहां आकर इस अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करते हैं। आज हम आपको अर्वलेम गुफाओं के बारे में बताने जा रहे जहां वनवास के दौरान पांडव और द्रौपदी रहा करते थे।

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अर्वलेम गुफाएं

नॉर्थ गोवा में स्थित अर्वलेम गुफाओं को स्थानीय लोग ‘पांडव गुफाएं’ भी कहते हैं। यह ऐतिहासिक गुफाएं संक्लिम गांव में स्थित हैं और मान्यता है कि महाभारत काल में अपने वनवास के दौरान पांडवों और द्रौपदी ने इन गुफाओं में शरण ली थी। हालांकि, इसे साबित करने के लिए कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिले हैं, लेकिन लोककथाओं में इस बात का व्यापक रूप से उल्लेख किया जाता है।

स्थानीय मान्यता के अनुसार, इन गुफाओं का निर्माण 6वीं या 7वीं शताब्दी में पहाड़ी चट्टानों को काटकर किया गया था। हालांकि, इसकी वास्तुकला को देखकर कई इतिहासकारों का मानना है कि इनका निर्माण बौद्ध भिक्षुओं द्वारा करवाया गया होगा, क्योंकि इनकी संरचना अजंता और एलोरा की गुफाओं से काफी मिलती-जुलती है।

अर्वलेम गुफाएं लैटेराइट चट्टानों से बनाई गई हैं और इन्हें तोड़कर कुल पांच अलग-अलग गुफाओं का निर्माण किया गया था। इनमें सबसे प्रमुख और सबसे बड़ी गुफा के भीतर एक शिवलिंग स्थापित है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इन गुफाओं से शिव भक्तों का गहरा संबंध रहा होगा। यही कारण है कि यह स्थान न केवल ऐतिहासिक बल्कि धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां स्थानीय भक्त दर्शन और पूजा के लिए नियमित रूप से आते हैं।

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अर्वलेम गुफाओं के पास ही प्रसिद्ध रुद्रेश्वर मंदिर और अर्वलेम झरना स्थित है, जो इस स्थान को और भी आकर्षक बनाते हैं। मानसून के दौरान, जून से सितंबर के बीच, यह झरना अपने चरम सौंदर्य पर होता है और बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए भी यह क्षेत्र एक बेहतरीन गंतव्य साबित हो सकता है, क्योंकि झरने के पास स्थित रुद्रेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए रोमांचक ट्रेकिंग का आनंद लिया जा सकता है।

यदि आप गोवा घूमने की योजना बना रहे हैं, तो अर्वलेम गुफाओं को अपनी यात्रा सूची में जरूर शामिल करें। यह गुफाएं सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक पर्यटकों के लिए खुली रहती हैं। यहां तक पहुंचने के लिए, आप पास के शहर सैन्क्वेलिम तक बस से आ सकते हैं और वहां से बाइक या टैक्सी किराए पर लेकर गुफाओं तक आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व इसे एक शानदार पर्यटन स्थल बनाते हैं, जिसे देखने का अनुभव अविस्मरणीय रहेगा।

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