राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में सूदखोरी की भयावह समस्या ने एक और परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। बताया जा रहा है कि आसींद निवासी और बीजेपी नेता लादू लाल साहू ने सूदखोरों द्वारा की जा रही बेशर्मी से ब्लैकमेलिंग और वर्षों से जारी शोषण से आखिरकार हार मानते हुए आत्महत्या कर ली। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है और आम लोगों में आक्रोश भर दिया है।
पीड़ा में डूबे नेता ने ज़िंदगी से तंग आकर उठाया खौफनाक कदम
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस हृदयविदारक घटना पर गहरी संवेदना प्रकट करते हुए राज्य सरकार और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। मृतक लादू लाल साहू, जो आसींद की पूर्व प्रधान लक्ष्मी साहू के ससुर थे, ने 24 मई को गांव के बालाजी मंदिर में जाकर ज़हर खा लिया।
सुसाइड नोट में छलकी दर्द भरी कहानी
साहू को पहले आसींद CHC और फिर भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन 27 मई को इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके सुसाइड नोट में यह खुलासा हुआ कि उन्होंने व्यापार के लिए कुछ स्थानीय सूदखोरों से उधारी ली थी और पहले ही मूलधन से कई गुना रकम चुका दी थी। बावजूद इसके, उन पर ब्लैंक चेक और स्टांप पेपर के ज़रिए दबाव बनाकर मानसिक उत्पीड़न जारी था। उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर भी अपनी पीड़ा साझा की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
लोन के नाम पर बना शोषण का जाल, दर्जनों आरोपी नामजद
पुत्र कन्हैया लाल साहू की शिकायत पर पुलिस ने नौ नामजद आरोपियों सहित एक दर्जन से अधिक लोगों पर मामला दर्ज किया है। इनमें कारोबारी, सरपंच प्रतिनिधि, शिक्षक तक शामिल हैं:
आसींद निवासी: चांदमल मेवाड़ा, संदीप मेवाड़ा, नरोत्तम मेवाड़ा
लाछूड़ा निवासी: देवीलाल मेवाड़ा, ताराचंद मेवाड़ा
दौलतगढ़ निवासी: धापू देवी, पंकज खटीक, दिनेश खटीक
बनेड़ा निवासी: हरिशंकर शर्मा, अनीता शर्मा
ब्राह्मणों की सरेरी: सत्यनारायण जोशी, राधेश्याम माण्मया
अन्य गांव: लादूनाथ, विष्णु सिंह, चैन सिंह आदि
आरोपों में क्या है खौफनाक सच्चाई?
साहू पर 50 लाख की उधारी के बदले 3 करोड़ से अधिक की वसूली का आरोप है। खाली चेक और स्टांप से ब्लैकमेलिंग, ज़मीन-जायदाद हड़पने की साजिश, और मानसिक उत्पीड़न की वजह से उनका जीवन नर्क बन गया था।
अशोक गहलोत का प्रशासन पर तीखा सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा, “राजस्थान मनी लेंडर्स एक्ट, 1963 के बावजूद अगर सूदखोरी इतनी बेखौफ हो रही है तो यह प्रशासन की नाकामी है। अब समय है सख्त एक्शन का।”
क्या अब भी नहीं जागेगा सिस्टम?
SHO हंसपाल सिंह ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। जल्द ही सभी आरोपियों को हिरासत में लिया जाएगा। यह कोई पहला मामला नहीं है — सूदखोरी से आत्महत्या के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।
अब बड़ा सवाल ये है कि जब कानून पहले से मौजूद है तो उसे अमल में लाने में प्रशासन इतना सुस्त क्यों है? क्या लादू लाल साहू की मौत के बाद सरकार और पुलिस कोई ठोस कदम उठाएंगे, या फिर अगला शिकार किसी और गरीब या मध्यमवर्गीय परिवार का मुखिया होगा?