उडुपी को भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए उतना ही पवित्र माना जाता है, जितना मथुरा। यह स्थान भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां हर दिन हजारों श्रद्धालु भगवान कृष्ण के दर्शन और पूजा के लिए आते हैं। उडुपी का प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर अपनी अनूठी परंपराओं और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की बालकृष्ण रूप में प्रतिष्ठित सुंदर मूर्ति विराजमान है। खास बात यह है कि श्रद्धालु सीधे मूर्ति के दर्शन नहीं कर सकते। भगवान कृष्ण के दर्शन केवल 9 छिद्रों वाली एक विशेष खिड़की से किए जाते हैं। यह परंपरा अत्यंत रोचक और अद्वितीय मानी जाती है। मंदिर की एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने एक भक्त की प्रगाढ़ भक्ति से प्रसन्न होकर यह खिड़की बनवाई थी, ताकि हर कोई उनके दर्शन कर सके। 13वीं शताब्दी में श्री माधवाचार्य द्वारा स्थापित यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। विशेष रूप से जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर का भव्य श्रृंगार किया जाता है। इसे फूलों, दीपों और रंगीन रोशनी से सजाया जाता है। भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए भक्तों को लंबा इंतजार भी करना पड़ता है, लेकिन उनकी भक्ति और श्रद्धा में कोई कमी नहीं आती।
उडुपी श्री कृष्ण मंदिर: आस्था, मान्यताएँ और यात्रा मार्गदर्शिका
एक प्राचीन मान्यता
उडुपी के श्री कृष्ण मंदिर से जुड़ी एक और प्राचीन मान्यता है। कहा जाता है कि एक बार श्री माधवाचार्य ने समुद्र में आए भयंकर तूफान में फंसे एक जहाज को अपनी दिव्य शक्तियों से बचाया था। जब वह जहाज किनारे आया, तो उसमें श्री कृष्ण की एक मूर्ति मिली, जो समुद्री मिट्टी से ढकी हुई थी। श्री माधवाचार्य ने इस मूर्ति को उडुपी लाकर मंदिर में स्थापित किया। आज भी भक्तगण श्रद्धा और भक्ति के साथ इस मूर्ति की पूजा-अर्चना करते हैं।
मनोकामना पूरी होने पर फर्श पर प्रसाद ग्रहण करने की परंपरा
हाल ही में एक वायरल वीडियो में एक महिला को मंदिर के फर्श पर प्रसाद ग्रहण करते हुए देखा गया। इस पर एक इन्फ्लुएंसर ने बताया कि यह परंपरा उन भक्तों से जुड़ी है, जिनकी मनोकामनाएँ पूरी हो चुकी होती हैं। श्रद्धालु स्वयं फर्श पर प्रसाद परोसने की इच्छा व्यक्त करते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस तरह से ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।
मंदिर के खुलने और बंद होने का समय
सुबह 4:30 बजे – मंदिर के पट सबसे पहले मठ के सदस्यों के लिए खुलते हैं।
सुबह 5:00 बजे – आम भक्तों के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए जाते हैं।
रात 10:00 बजे – संध्या आरती और सभी धार्मिक अनुष्ठानों के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।
त्योहारों के दौरान मंदिर के खुलने और बंद होने के समय में बदलाव किया जा सकता है।
मंदिर कैसे पहुँचें?
नजदीकी हवाई अड्डा: मेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Mangalore International Airport), जो मंदिर से 59.1 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ से टैक्सी लेकर सीधे मंदिर पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग: उडुपी रेलवे स्टेशन, मंदिर से मात्र 3.2 किमी दूर है। यहाँ से आप ऑटो या टैक्सी किराए पर लेकर आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग: आप अपनी निजी गाड़ी, टैक्सी या सरकारी और प्राइवेट बसों से भी उडुपी मंदिर तक पहुँच सकते हैं।