रिसर्च में आया सामने - क्यों संक्रमित लोगों के पास रहने के बावजूद नहीं होता कोरोना

By: Priyanka Maheshwari Tue, 11 Jan 2022 4:16:20

रिसर्च में आया सामने - क्यों संक्रमित लोगों के पास रहने के बावजूद नहीं होता कोरोना

कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) की वजह से पूरी दुनिया में एक बार फिर कोरोना के केस बढ़ना शुरू हो गए हैं। पिछले 24 घंटों में 21.04 लाख नए मामले सामने आए हैं। 9.55 लाख लोग ठीक हुए हैं और 4,608 लोगों की मौत हुई है। इतने अधिक मरीजों के मिलने के बावजूद अफरा तफरी का माहौल नहीं है। अमेरिका, यूरोप सहित कई देशों में कोरोना के नए मामलों में तेजी देखी जा रही है लेकिन इन देशों में नियमों में ढील दी जाने लगी है। ऐसा आखिर क्यों हो रहा है। वैज्ञानिक ने इसका संभावित कारण खोज निकाला है। इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में यह पाया है कि इस बार कुछ लोगों में कोरोना होने का जोखिम बहुत कम है।

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शोधकर्ताओं ने कहा है कि दरअसल, सामान्य सर्दी-जुकाम से लड़ने के लिए लोगों के शरीर में रक्षात्मक इम्यून सेल्स का स्तर बहुत बढ़ गया है, जिसके कारण कोविड-19 संक्रमण का जोखिम बहुत कम हो गया है।

सोमवार को प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया कि जिन लोगों को पहले कभी कोरोना नहीं हुआ, उनके शरीर में सामान्य सर्दी-जुकाम से लड़ने के लिए टी सेल्स के स्तर में काफी वृद्धि हो गई, इसलिए कोरोना संक्रमित व्यक्ति के साथ रहते हुए भी इन लोगों को कोरोना नहीं हुआ। इस अध्ययन को नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

इंपीरियल नेशनल हार्ट एंड लंग्स इंस्टीट्यूट की रिया कुंदू ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति सार्स कोविड -2 वायरस (SARS-CoV-2 virus) के संपर्क में आता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे हमेशा कोरोना हो ही जाए। हालांकि ऐसा क्यों होता है, अभी इसका पूरा कारण पता नहीं चला है लेकिन हमें बहुत जल्दी इसके कारण का पता चल जाएगा। फिलहाल, हमने अपनी रिसर्च में पाया है कि शरीर में पहले से बनी टी कोशिकाओं का उच्च स्तर कोरोना वायरस से रक्षा में महत्वपूर्ण रूप से काम करता है। यह टी कोशिका सामान्य सर्दी से रक्षा करने के दौरान बनती है।

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 52 लोगों के सैंपल का परीक्षण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। ये लोग कोरोना संक्रमित व्यक्ति के साथ रह रहे थे लेकिन इनमें से आधे को कोरना नहीं हुआ। उन्होंने अध्ययन में पाया कि इसमें टी कोशिकाओं की प्रतिरक्षात्मक भूमिका होती है। यह अन्य तरह के कोरोना वायरस से संपर्क में आने के दौरान बनी थी।

वैज्ञानिकों ने कहा कि एंटीबॉडी की तुलना में टी सेल्स के ज्यादा समय तक जीवित रहने की संभावना है। यही कारण है कि उनमें टी सेल्स तो बहुत पहले विकसित हो गया लेकिन उसका असर बहुत बाद तक रहा। टी सेल्स संक्रमित सेल्स को मार सकती है और गंभीर बीमारी होने से बचा भी सकती है।

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