आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पूरे श्रद्धा-भाव से योगिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह पावन व्रत 21 जून, शनिवार को आ रहा है। पंचांग के अनुसार, इस दिन योगिनी एकादशी पर भद्रा का प्रभाव भी रहेगा, जिससे व्रत और पूजा के समय को लेकर सतर्कता आवश्यक हो जाती है। यह एकादशी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से भक्तों को मनचाहा फल और दिव्य सुखों की प्राप्ति होती है। आइए जानें इस विशेष दिन के पूजन मुहूर्त, भद्रा का समय, व्रत पारण की विधि और इस व्रत के आध्यात्मिक फल।
योगिनी एकादशी पर भद्रा का साया:
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार योगिनी एकादशी के दिन भद्रा काल का प्रभाव सुबह 05:24 से लेकर 07:18 बजे तक रहेगा। भद्रा काल को पूजा-पाठ के लिए शुभ नहीं माना जाता, इसलिए इस दौरान पूजा से परहेज़ करना चाहिए।
पूजन मुहूर्त और शुभ समय:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:04 से 04:44 तक — ध्यान, ध्यान-योग और मंत्र जाप के लिए सर्वश्रेष्ठ।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:55 से दोपहर 12:51 तक — पूजा व धार्मिक कर्म के लिए शुभ।
अमृत काल: दोपहर 01:12 से 02:41 तक — दैवीय ऊर्जा का प्रभाव रहता है।
व्रत पारण का समय:
योगिनी एकादशी व्रत का पारण 22 जून 2025, रविवार को किया जाएगा। पारण का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:47 से शाम 04:35 बजे तक रहेगा। इस दौरान व्रत तोड़ने से पूर्व संकल्प और पूजा संपन्न करना उत्तम माना गया है।
योगिनी एकादशी व्रत का पुण्यफल:
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति पाता है। यह व्रत करने वाला 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य अर्जित करता है। इसके प्रभाव से जीवन में सुख-शांति, धन-धान्य और समृद्धि का संचार होता है। कहा जाता है कि इस व्रत से अतीत के दोष भी समाप्त हो जाते हैं और जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। किसी विशेष निर्णय या अनुष्ठान से पहले योग्य पंडित या ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।