दिवाली का त्योहार आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

By: Pinki Mon, 24 Oct 2022 09:21:14

दिवाली का त्योहार आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

आज यानी 24 अक्टूबर 2022 को दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन माता लक्ष्मी भक्तों पर विशेष कृपा करती हैं। माना जाता है कि दीपावली के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम लंकापति रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे। 14 वर्ष का वनवास पूरा कर भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्या के लोगों ने पूरी नगरी को दीयों से सजाया था। तभी से पूरे देश में दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। इस अवसर पर धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त, संयोग और पूजा विधि के बारे में विस्तार से -

दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 24, 2022 को शाम 05 बजकर 27 मिनट से शुरू
अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 25, 2022 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर खत्म
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - शाम 7 बजे से लेकर रात 9 बजे तक
प्रदोष काल - शाम 06 बजकर 10 मिनट से शाम 08 बजकर 39 मिनट तक
वृषभ काल - शाम 07 बजकर 26 मिनट से रात 09 बजकर 26 मिनट तक

इस विधि से करें लक्ष्मी पूजा

लक्ष्मी पूजन के दौरान सबसे पहले शुद्धिकरण कर लें। सबसे पहले अपने ऊपर जल छिड़ककर शुद्धिकरण कर लें। इसके बाद सभी सामग्री पर भी जल छिड़क लें। इसके बाद हथेली में तीन बार जल लेकर उसे पी लें और चौथी बार हाथ धो लें ।

इसके बाद चौकी पर स्वास्तिक का चिह्न बनाकर लाल कपड़ा बिछा लें और भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, कुबेर भगवान और मां सरस्वती की नई मूर्तियों को स्थापित करें।

इसके बाद दीप को जला लें। इसके बाद सबसे पहले संकल्प लें। इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान कर लें। इसके बाद माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और मां सरस्वती का स्मरण करें। इसके बाद कलश का ध्यान करें। अब मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए। अब फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करे। इनके साथ-साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी विधिपूर्वक पूजा करे। पूजा करते समय 11 छोटे दीप और एक बड़ा दीप जलाना चाहिए।

लक्ष्मी मां की पूजा करते समय रखें इन बातों का विशेष ध्यान

- तुलसी को विष्णु प्रिय कहा जाता है और भगवान व‌िष्‍णु के शाल‌िग्राम स्वरूप से उनका विवाह हुआ है। इस नाते वह देवी लक्ष्मी की सौतन हैं। इसलिए देवी लक्ष्मी को कुछ भी अर्पित करते समय उसमें तुलसी और तुलसी मंजरी न डालें। ऐसा करने से लक्ष्मी मां नाराज हो जाती हैं।

- लक्ष्मी पूजा करते समय कोशिश करें कि दीपक की ज्योत लाल रंग की हो। इसके अलावा दीए को भूलकर भी मां लक्ष्मी के बाईं ओर ना रखें, बल्कि दाईं ओर रखें, क्योंकि भगवान विष्णु को दुनिया में रोशनी फैलाने का प्रतीक माना जाता है और मां लक्ष्मी विष्णु भगवान की पत्नी हैं इसलिए मां लक्ष्मी की पूजा करते समय दीपक को हमेशा मां के दाईं और ही रखें।

- मां लक्ष्मी सुहागिन हैं इसलिए भूलकर भी उन्हें सफेद रंग के फूल ना चढ़ाएं। लक्ष्मी मां की पूजा करते समय मां को केवल लाल और गुलाबी रंग के ही फूल चढ़ाएं।

- लक्ष्मी मां की मूर्ति को भूलकर भी सफेद रंग की दरी पर ना रखें। साथ ही पूजा करते समय सफेद या काले रंग की किसी भी तरह की वस्तु को इस्तेमाल करने से बचें।

- लक्ष्मी मां की पूजा के बाद प्रसाद को मंदिर के दक्षिण तरफ रखें। दिवाली का जश्न मनाने से पहले घर के सभी लोग एक साथ मिलकर लक्ष्मी मां और गणेश जी की पूजा करें और प्रसाद जरूर ग्रहण करें।

लक्ष्मी पूजा के मंत्र

- महालक्ष्मी के महामंत्र ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: का कमलगट्टे की माला से कम से कम 108 बार बार जाप करेंगे तो आपके ऊपर मां लक्ष्‍मी की कृपा बनी रहेगी।

-“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥”
“ॐ गं गणपतये नमः॥”

मां लक्ष्‍मी की आरती

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

दुर्गा रूप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता…

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। जय गणेश जय गणेश…

एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।। जय गणेश जय गणेश…

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डू के भोग लगे संत करें सेवा।। जय गणेश जय गणेश…

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। जय गणेश जय गणेश…

अंधे को आंख देत कोढिन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।। जय गणेश जय गणेश…

‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। जय गणेश जय गणेश…

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। जय गणेश जय गणेश…

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