दुनिया के सबसे खूंखार आदिवासी है भारत में, हेड हंटर्स भी कहा जाता है उनको

By: Ankur Wed, 27 June 2018 12:39:27

दुनिया के सबसे खूंखार आदिवासी है भारत में, हेड हंटर्स भी कहा जाता है उनको

भारत एक ऐसा देश हैं जिसे अपनी विविधता के लिए जाना जाता हैं। भारत की विविध संस्कृति और प्रजातियाँ ही इसकी पहचान हैं। लेकिन आज हम जिस प्रजाति के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वह बहुत खूंखार हैं और हमारे देश के ही एक गाँव में ही रहती हैं और यह गांव भारत का सबसे खतरनाक गांव माना जाता है। इस प्रजाति के लोग खाना तो भारत में खाता है लेकिन सोने किसी ओर देश में जाता है। अब ऐसा क्यों हैं आइये जानते हैं इसके बारे में।

दरअसल भारत की सीमा पर एक गांव बसा है जहां कोयांक आदिवासी रहते है। इन आदिवासियों का आधा गांव भारत में तो आधा गांव म्यामांर में आता है और इस गांव का नाम है लोंगवा। इस गांव के सभी लोग काफी खुंखार माने जाते है। इस गांव के दोनो ही हिस्से एक दुसरे के खून के प्यासें है और देखते ही सिर काट दिया जाता है।

लोंगवा घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से लगता भारत का आखिरी गांव है। इस गांव में कोंयाक आदिवासी रहते है। भारत के इस पूर्वोत्तर राज्य में 16 जनजातियां रहती हैं। जिनमें से कोंयाक आदिवासियों को बेहद खूंखार माना जाता है। इस कबीलेे की सत्ता और जमीन के लिए वर्षो से संघर्ष चला आ रहा है और हर दो तीन दिनों में यहां वाद विवाद चलता रहता है और ये विवाद इतना ज्यादा बढ जाता है कि लोग एक दूसरें के खून के प्यासें हो जाते है। यहां तक की लोग सिर काटने से भी नही चूकते।

कोयांक आदिवासी अपने कबीले और अपने लोगो के अलावा किसी और से कोई मतलब रखना पसंद नही करते। यहा तक कि कभी-कभी इनके त्यौहार पर भी लडाई और खून खराबा शुरू हो जाता है। कोंयाक आदिवासी सबसे खूंखार आदिवासियों में से एक माने जाते हैं। 1940 से पहले अपने कबीले और उसकी ज़मीन पर कब्जे के लिए वे अन्य लोगों के सिर काट देते थे। कोयांक आदिवासियों को हेड हंटर्स भी कहा जाता है। इन आदिवासियों के ज्यादातर गांव पहाड़ी की चोटी पर होते थे, ताकि वे दुश्मनों पर नज़र रख सकें।

जिस दिन भी यहां हत्या और दुश्मन का सिर धड से अलग किया जाता है उस दिन को ये लोग उत्सव के रूप में मानते है और इसे यादगार घटना माना जाता है। इस दिन यहा के लोग अपनी कामयाबी पर जश्न मनाया जाता है और चेहरें पर टैटूज बनाकार गांव में निकलते है। हालांकि सिर काटने पर पूर्ण तया 1940 में प्रतिबंध लगा दिया गया था लेकिन फिर भी आज भी यहा ऐसी घटनाएं होती रहती है।

कोयांक आदिवासी के मकान घास फूंस के बने होते है और ये काफी विशाल भी होते है इनके इन्ही घरों मे रसोई, कमरें, भंडारण सभी की अलग व्यवस्था होती है। आधुनिक सभ्यता और दुनिया में क्या हो रहा है उससे भी काफी दूर है लकड़ी के घर और छप्पर एक खूबसूरत संग्रह हैं, लेकिन कहीं-कहीं टिन की छतों और कंक्रीट का निर्माण बदलाव की कहानी का संकेत दे रहे हैं।

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