मॉब लिंचिंग पर सरकार कानून लाने को तैयार, राज्यों को कहा- खुफिया जानकारी जुटाने के लिए टास्क फोर्स बनाएं
By: Priyanka Maheshwari Wed, 25 July 2018 08:17:06
मॉब लिंचिंग की बढती घटनाओं पर चिंता जताते हुए मंगलवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि गृह सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर मंत्रिमंडलीय समूह (जीओएम) इस संबंध में निर्णय लेगा। केंद्र सरकार ने राज्यों को जारी एडवायजरी में भीड़ हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए जिले में एसपी स्तर का नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा है। केंद्र सरकार जरूरत पड़ने पर भीड़ हिंसा को रोकने के लिए कानून भी लाएगी।
टास्क फोर्स गठित
- साथ ही खुफिया जानकारी जुटाने और सोशल मीडिया सामग्री पर करीब नजर रखने के लिए टास्क फोर्स गठित करने को भी कहा गया है। जिससे कि बच्चा उठाने वाले या पशु चोर के संदेह में किसी पर भी हमला न हो। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि भीड़ हिंसा के संबंध में इन निर्देशों का पालन नहीं करने वाले पुलिस अधिकारी या जिला प्रशासन के अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मॉब लिंचिंग नई घटना नहीं है
लोकसभा में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मॉब लिंचिंग नई घटना नहीं है। यह सालों से चला आ रहा है। सरकार चिंतित है। कई बार राज्यों को एडवाइजरी भेजी गई है। मैं यहां अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कही उस बात को नहीं दुहराना चाहता कि देश में सबसे बड़ी मॉब लिंचिंग वर्ष 1984 में देश की राजधानी में सिखों के खिलाफ हुआ था।
इस पर माकपा के मोहम्मद सलीम ने पूछा कि क्या इसमें गुजरात में साल 2002 में मुसलमानों का हुआ नरसंहार शामिल नहीं है। इससे पहले इस मुद्दे पर लगातार दूसरे दिन सदन में जबर्दस्त हंगामा हुआ।
कांग्रेस के मल्लिाकर्जुन खडग़े ने इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे असमाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ा संदेश देने के बदले सरकार के मंत्री ऐसे मामले को दोषियों को सार्वजनिक तौर पर माला पहनाते हैं।
इस दौरान माकपा ने पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में हुई ऐसी घटनाओं का उल्लेख किया। पार्टी सांसद मोहम्मद सलीम ने इस मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए।