अब ब्रिटेन ने जारी की एडवाइजरी, अपने नागरिकों से कहा - जम्मू-कश्मीर जाने से परहेज करें

By: Priyanka Maheshwari Sat, 03 Aug 2019 6:24:03

अब ब्रिटेन ने जारी की एडवाइजरी, अपने नागरिकों से कहा - जम्मू-कश्मीर जाने से परहेज करें

जम्मू-कश्मीर में 10 हजार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के बाद गुरुवार को केंद्र सरकार ने 28 हजार और सुरक्षाकर्मियों को भेजने का फैसला किया। उसके बाद आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर अमरनाथ यात्रा को समयसे पहले खत्म करने को कहा। जम्मू कश्मीर के गृह सचिव ने अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को एडवाइजरी कर उन्हें तुरंत घाटी छोड़ने की सलाह दी है। गृह सचिव द्वारा जारी एडवाइजरी के बाद अब ब्रिटेन ने भी भारत आने वाले अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर जाने से परहेज करें। विदेशी एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय (एफसीओ) ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेश का भी जिक्र किया है, जिसमें अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों से लौटने के लिए कहा गया है। एफसीओ ने बम, ग्रेनेड हमले, गोलीबारी और अपहरण सहित अप्रत्याशित हिंसा का खतरा जताया है। ब्रिटेन सरकार ने कहा कि एफसीओ जम्मू शहर, एयर माध्यम से जम्मू की यात्रा और लद्दाख को छोड़कर जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों में नहीं जाने की सलाह देता है।

एफसीओ ने कहा, '2 अगस्त 2019 को भारतीय मीडिया ने रिपोर्ट किया कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने पर्यटकों और अमरनाथ यात्रियों को सलाह दी है कि वे कश्मीर घाटी में अपने प्रवास को तुरंत रोक दें और सुरक्षा खतरों के कारण जल्द से जल्द घर लौटने के लिए आवश्यक उपाय करें। नई दिल्ली स्थिति ब्रिटिश हाई कमीशन पूरी घटना की निगरानी कर रहा है। यदि आप जम्मू और कश्मीर में हैं, तो आपको सतर्क रहना चाहिए, स्थानीय अधिकारियों की सलाह का पालन करना चाहिए।'

एफसीओ ने एडवाजरी में कहा, 'जम्मू-कश्मीर में सैन्य ठीकानों और अन्य जगहों पर कई आतंकी हमले हुए हैं। 14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए जम्मू-श्रीनगर के बीच हाईवे पर हमला किया और कई मारे गए।' एफसीओ ने सुंजवान में हुए हमले और विरोध प्रदर्शनों का भी जिक्र किया। विदेशी एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय ने कहा, 'आपको सतर्क रहना चाहिए और स्थानीय मीडिया की निगरानी करनी चाहिए और स्थानीय अधिकारियों और अपनी यात्रा कंपनी की सलाह का पालन करना चाहिए।'

क्यों बढ़ी हलचल?

पिछले कई हफ़्तों से जम्मू-कश्मीर में सेना की चहल-पहल बढ़ गई है, जम्मू-कश्मीर में 10 हजार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के बाद गुरुवार को केंद्र सरकार ने 28 हजार और सुरक्षाकर्मियों को भेजने का फैसला किया। हालांकि बाद में केंद्र ने इस दावे को खारिज किया। उसके बाद आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर अमरनाथ यात्रा को समयसे पहले खत्म करने को कहा है। जम्मू-कश्मीर से 35A हटाने को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है।

कांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला

अमरनाथ यात्रा रोके जाने की कांग्रेस ने निंदा की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'कल गृह मंत्रालय ने अमरनाथ यात्रा के यात्रियों, पर्यटकों से वापस लौटने को कहा। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। पहले जब अमरनाथ यात्रा पर हमले हुए तो यात्रा महज कुछ वक्त के लिए सस्पेंड रही। चाहे कोई भी सरकार हो ऐसी एडवाइजरी कभी नहीं आई। हम इसकी निंदा करते हैं।'

उमर ने की राज्यपाल से मुलाकात

इन गतिविधियों के मद्देनजर स्थानीय पार्टियां कई तरह की आशंका जता रही है। आज ही पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा हमने गवर्नर से राज्य के बारे में चर्चा की। हमें कुछ नहीं बताया जा रहा है। गवर्नर ने हमें बताया कि 370 को लेकर किसी ऐलान की तैयारी नहीं की जा रही है। हमें राज्य में तैनात अफसरों से भी कोई जवाब नहीं मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यकीन दिलाया है कि 35ए से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। प्रधानमंत्री भी यहां चुनाव चाहते हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम संसद में भारत सरकार से सुनना चाहते हैं कि वह जम्मू कश्मीर के बारे में क्या सोचते हैं। हमारी पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे को लेकर मुलाकात हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 35-ए हटाने का हमारा कोई इरादा नहीं है, लेकिन अब अचानक श्रद्धालुओं के यहां से वापस भेजा जा रहा है। हम चाहते हैं कि सोमवार को सदन की शुरुआत होते ही सरकार इस पर अपना पक्ष साफ करे। उमर अब्दुल्ला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अनुच्छेद 35-ए से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी

वही राज्यपाल ने कहा, 'अमरनाथ यात्रा पर आतंकवादी हमलों के संबंध में सुरक्षा एजेंसियों को विश्वसनीय जानकारी मिली थी। नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी बढ़ा दी गई जिसका सेना ने प्रभावी ढंग से जवाब दिया गया।' राज्यपाल ने राज्य के राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा है कि वे अपने समर्थकों से शांत रहने और घाटी में ‘‘बढ़ा-चढ़ा कर फैलाई गई अफवाहों’’ पर विश्वास न करने के लिए कहें।

बता दे, जम्मू-कश्मीर में बीते एक हफ़्ते से फौज़ों की बढ़ती तैनाती को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इससे ये अटकल लगाया जा रहा है कि राज्य में कुछ बड़ा होने वाला है। हालांकि सरकार इसे बहुत तूल देने से बच रही है। राजनीतिक दलों को अंदेशा है कि कहीं ये 35 ए को हटाने की कवायद न हो।

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