लोहार्गल धाम : पांडवों ने तीर्थ राज की उपाधि दी, राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ

By: Ankur Thu, 27 June 2019 5:32:42

लोहार्गल धाम : पांडवों ने तीर्थ राज की उपाधि दी, राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ

राजस्थान को अपनी संस्कृति और ऐतिहासिक जगहों के लिए जाना जाता हैं, तभी तो पर्यटन के लिए राजस्थान को बहुत पसंद किया जाता हैं। खासकर पुष्कर ऐसी जगह हैं जहां सभी पर्यटक जाना पसंद करते हैं क्यंकि यह राजस्थान का सबसे बड़ा तीर्थ हैं। लेकिन आज हम आपको पुष्कर के बाद आने वाले राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े तीर्थ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम हैं लोहार्गल धाम। यह धाम अपनी पौराणिक कथाओं के लिए बहुत जाना जाता हैं। तो आइये जानते हैं लोहार्गल धाम के बारे में।

झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी कस्बे से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर लोहार्गल धाम स्थित है। इस तीर्थ का सम्बन्ध पांडवों, भगवन परशुराम, भगवान सूर्य और भगवान विष्णु से है।

महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था, लेकिन जीत के बाद भी पांडव अपने परिजनों की हत्या के पाप से चिंतित थे। लाखों लोगों के पाप का दर्द देख श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि जिस तीर्थ स्थल के तालाब में तुम्हारे हथियार पानी में गल जाएंगे वहीं तुम्हारा मनोरथ पूर्ण होगा। घूमते-घूमते पाण्डव लोहार्गल आ पहुंचे तथा जैसे ही उन्होंने यहां के सूर्य कुण्ड में स्नान किया, उनके सारे हथियार गल गए। इसके बाद शिव जी की आराधना कर मोक्ष की प्राप्ति की। उन्होंने इस स्थान की महिमा को समझ इसे तीर्थ राज की उपाधि से विभूषित किया।

lohargal dham,pandavs got melted in water,rajasthan ,झुंझुनूं, लोहार्गल धाम

यहां प्राचीन काल से निर्मित सूर्य मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके पीछे भी एक अनोखी कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में काशी में सूर्यभान नामक राजा हुए थे, जिन्हें वृद्धावस्था में अपंग लड़की के रूप में एक संतान हुई। राजा ने भूत-भविष्य के ज्ञाताओं को बुलाकर उसके पिछले जन्म के बारे में पूछा। तब विद्वानों ने बताया कि पूर्व के जन्म में वह लड़की मर्कटी अर्थात बंदरिया थी, जो शिकारी के हाथों मारी गई थी। शिकारी उस मृत बंदरिया को एक बरगद के पेड़ पर लटका कर चला गया, क्योंकि बंदरिया का मांस अभक्ष्य होता है।

हवा और धूप के कारण वह सूख कर लोहार्गल धाम के जलकुंड में गिर गई, किंतु उसका एक हाथ पेड़ पर रह गया। बाकी शरीर पवित्र जल में गिरने से वह कन्या के रूप में आपके यहां उत्पन्न हुई है। विद्वानों ने राजा से कहा कि आप वहां पर जाकर उस हाथ को भी पवित्र जल में डाल दें तो इस बच्ची का अंपगत्व समाप्त हो जाएगा। राजा तुरंत लोहार्गल आए तथा उस बरगद की शाखा से बंदरिया के हाथ को जलकुंड में डाल दिया। जिससे उनकी पुत्री का हाथ स्वत: ही ठीक हो गया। राजा इस चमत्कार से अति प्रसन्न हुए। विद्वानों ने राजा को बताया कि यह क्षेत्र भगवान सूर्यदेव का स्थान है। उनकी सलाह पर ही राजा ने हजारों वर्ष पूर्व यहां पर सूर्य मंदिर व सूर्यकुंड का निर्माण करवा कर इस तीर्थ को भव्य रूप दिया।

lohargal dham,pandavs got melted in water,rajasthan ,झुंझुनूं, लोहार्गल धाम

यहां एक विशाल बावड़ी भी है जिसका निर्माण महात्मा चेतनदास जी ने करवाया था। यह राजस्थान की बड़ी बावडिय़ों में से एक है। पहाड़ी पर सूर्य मंदिर के साथ ही वनखण्डी जी का मन्दिर है। कुण्ड के पास ही प्राचीन शिव मन्दिर, हनुमान मन्दिर तथा पाण्डव गुफा स्थित है। इनके अलावा चार सौ सीढिय़ां चढऩे पर मालकेतु जी के दर्शन किए जा सकते हैं। श्रावण मास में भक्तजन यहां के सूर्य कुण्ड से जल से भर कर कांवड़ उठाते हैं। यहां प्रति वर्ष माघ मास की सप्तमी को सूर्य सप्तमी महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें सूर्य नारायण की शोभायात्रा के अलावा सत्संग प्रवचन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।

भाद्रपद मास में श्रीकृषण जन्माष्टमी से अमावस्या तक प्रत्येक वर्ष लोहार्गल के पहाड़ों में हजारों लाखों नर-नारी 24 कोस की पैदल परिक्रमा करते हैं जो मालकेतु बाबा की चौबीस कोसी परिक्रमा के नाम से प्रसिद्ध है। पुराणों में परिक्रमा का महात्म्य अनंत फलदायी बताया है। अब यह परिक्रमा और ज्यादा प्रासंगिक है। हरा-भरा वातावरण। औषधि गुणों से लबरेज पेड़-पौधों से आती शुद्ध-ताजा हवा और ट्रैकिंग का आनंद यहां है। और फिर खुशहाली की कामना से अनुष्ठान तो है ही। अमावस्या के दिन सूर्य कुण्ड में पवित्र स्नान के साथ यह परिक्रमा विधिवत संपन्न होती है।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com