1996 में अमिताभ के एक कदम ने बनाया था उन्हें आलोचना का पात्र
By: Priyanka Maheshwari Wed, 11 Oct 2017 3:40:50
अपने सफलतम करियर को देखकर उन्होंने 1995 में 'एबीसीएल' (अमिताभ बच्चन कार्पोरेशन लिमिटेड) नामक फिल्म कंपनी शुरू की। जिसने अपनी पहली फिल्म से फिल्म उद्योग को चंद्रचूड सिंह और अरशद वारसी जैसे सितारे दिए। 1996 में अमिताभ बच्चन ने अपनी कम्पनी के जरिए बंगलौर में 'विश्व सुन्दरी प्रतियोगिता' का आयोजन करवाया, जिसकी भारत में जबरदस्त आलोचना की गई। इस आलोचना के चलते यह प्रतियोगिता असफल हुई और अमिताभ बच्चन की कम्पनी एबीसीएल करोडों के नुकसान में आ गई।
बाजार का पैसा चुकाने के लिए अमिताभ बच्चन ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, यहाँ तक कि उन्होंने अपना बंगला 'जलसा' भी गिरवी रख दिया। आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह से असफल हो चुके अमिताभ बच्चन ने फिल्मों में पुन: सक्रिय होने का प्रयास किया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। असफलता के इसी दौर में वर्ष 2000 में उनके पास टीवी कार्यक्रम 'कौन बनेगा करोड़पति' का प्रस्ताव आया। काफी जद्दोजहद और पारिवारिक विचार-विमर्श के बाद उन्होंने इस कार्यक्रम को प्रस्तुत करने का बीड़ा उठाया।
भारत में उन दिनों टीवी चैनल अपने पैर पसार रहा था, ऐसे में अमिताभ बच्चन का टीवी से जुडऩा फिल्म उद्योग के लिए एक करारा झटका था। 'कौन बनेगा करोड़पति' का प्रसारण शुरू हुआ और इस कार्यक्रम को अमिताभ बच्चन ने अपनी धीर गंभीर आवाज और अनोखे प्रस्तुतीकरण से उस वर्ष के सबसे सफलतम कार्यक्रमों में शुमार करवाया।
टीवी के जरिये मिली इस सफलता को अमिताभ बच्चन ने फिल्मों में भुनाया। उन्होंने फिल्मों में फिर से सक्रिय होने के लिए यश चोपडा का दामन थामा जिसके साथ वे दीवार, त्रिशूल, कभी-कभी, सिलसिला में काम कर चुके थे। यश चोपडा ने उन्हें कहा कि मैं तो फिल्म नहीं बना रहा लेकिन मेरा बेटा आदित्य चोपडा जरूर एक फिल्म बना रहा है, जिसमें उसने शाहरुख खान को बतौर नायक लिया है। तुम उससे मिलो हो सकता है उसके पास कोई भूमिका हो जो वह तुम्हें दे सके। आदित्य चोपडा़ ने अमिताभ बच्चन को पहली बार निर्देशित करने का मौका खोना उचित नहीं समझा और उन्होंने उन्हें वो भूमिका दी, जो फिल्म का केन्द्रीय पात्र था।
'मोहब्बतें' प्रदर्शित हुई और इसने सफलता का नया आयाम स्थापित किया। इस फिल्म की सफलता ने अमिताभ बच्चन को ऐसी भूमिकाएँ दिलाने में मदद की जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा तक नहीं था। अब फिल्म लेखक व निर्देशक अमिताभ को केन्द्र में रखकर कथाएँ लिखने लगे। वर्ष 2000 में 'मोहब्बतें' से शुरू हुआ यह सिलसिला इस वर्ष प्रदर्शित हुई 'पिंक' तक लगातार सफलतापूर्वक जारी है।